बदर खान सूरी को अमेरिका में 2 महीने तक हिरासत में रखा गया। बदर जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एक भारतीय रिसर्चर हैं। उन्हें 17 मार्च को वर्जीनिया में उनके घर के बाहर गिरफ्तार किया गया था। सूरी ने बताया कि हिरासत के दौरान उन्हें कलाई, टखने और शरीर पर जंजीरों से बांधा गया, जिससे उन्हें बहुत तकलीफ हुई। उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर में गंदगी थी और जब उन्होंने इसकी शिकायत की तो इसका कोई जवाब नहीं मिला।
इस दौरान वह अपने तीन बच्चों और पत्नी मफेज सालेह के लिए बहुत चिंतित थे। दरअसल, अमेरिकी अधिकारियों ने सूरी पर हमास का प्रचार करने और यहूदी-विरोधी भावनाएं फैलाने का आरोप लगाया था, जिसके कारण उनका वीजा रद्द कर दिया गया। हालांकि, उनके वकील और समर्थकों का कहना है कि यह उनकी पत्नी के फिलिस्तीनी मूल और उनके विचारों के कारण हुआ। 14 मई को जज पेट्रीसिया जाइल्स ने उनकी रिहाई का आदेश दिया। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि उनकी हिरासत ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया। अब सूरी अपने परिवार के पास वर्जीनिया लौट आए हैं।
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जेल में कैसे रहते थे सूरी?
सूरी ने जेल से रिहा होने के बाद पहली बार अपनी आपबीती शेयर की। उन्होंने बताया कि हिरासत के दौरान उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया गया। शुरुआत के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे हाथ, पैर और शरीर में जंजीरों से बांधा गया था। पहले सात-आठ दिन तो मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, अपनी परछाई तक नहीं पहचान पा रहा था।'
परिवार से दूर रहना सूरी के लिए सबसे तकलीफदेह था, खासकर अपने छोटे बच्चों की चिंता उन्हें हर वक्त सताती रही। उन्होंने बताया, 'मेरा सबसे बड़ा बेटा सिर्फ नौ साल का है और जुड़वां बच्चे पांच साल के हैं। मेरा नौ साल का बेटा जानता था कि मैं जेल में हूं और वह बहुत परेशान था। मेरी पत्नी बताती थी कि वह रोज रोता था और उसे मानसिक मदद की जरूरत पड़ गई थी।'
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सूरी की पत्नी ने क्या कहा?
सूरी की पत्नी, मफेज सालेह ने कोर्ट के फैसले के बाद राहत की सांस ली। उन्होंने कहा, 'मैं दिल से चाहती हूं कि जज को गले लगाकर धन्यवाद करूं। मेरे और मेरे तीन बच्चों के लिए यह एक बड़ा दिन है, जो हर दिन अपने पापा को देखने के लिए तरसते थे।'
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन के शुरुआती समय से ही अमेरिका में कई कॉलेज छात्रों को हिरासत में लिया गया है, खासकर वे जो इज़राइल-हमास संघर्ष से जुड़े कैंपस प्रदर्शनों में शामिल थे। बदर खान सूरी हाल ही में रिहा होने वाले ऐसे छात्रों में से एक हैं। इससे पहले टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की तुर्की की छात्रा रुमेसा ओज़टर्क और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फिलिस्तीनी छात्र मोहसेन महदावी को भी कोर्ट के आदेश से रिहा किया गया था।