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गाजा में इजरायल ने भूख को बनाया हथियार, खुलेआम युद्ध अपराध कैसे, समझिए

इजरायल और हमास की जंग 7 अक्तूबर 2023 में शुरू हुई थी। जंग महीनों से चल रही है, हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों विस्थापित हैं। इजरायल ने गाजा तक पहुंचने वाली मदद ऐसे रोकी, जिसकी आलोचना हो रही है। पढ़ें रिपोर्ट।

Gaza Crisis

गाजा में एक ढही इमारत पर बैठा बच्चा। (Photo Credit:UNICEF/UNI726130/El Baba)

7 अक्तूबर 2023। हमास के आतंकियों ने अचानक से इजरायल पर हमला बोला। सैकड़ों मिसाइल दागे, सीमा के भीतर तक घुस आए। हमास की कार्रवाई में 1200 से ज्यादा इजरायली नागरिक मारे गए 251 से ज्यादा लोग बंधक बनाए गए। पूरे दुनिया की सहानुभूति इजरायल के साथ हो गई। इजरायल ने हमास जवाब को देने की ठानी। महज कुछ दिनों में पूरा गाजा शहर जमींदोज हो गया, वहां के आम नागरिक सड़कों पर आ गए, शरणार्थी शिविरों में जाकर बसना पड़ा। इजरायल ने संघर्ष विराम टूटने के बाद गाजा की ऐसी नाकेबंदी की कि फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों को गुहार लगाना पड़ रहा है कि इजरायल को अपने हमलों को रोकने की जरूरत है।

गाजा के लोग भूखमरी, कुपोषण और दवाइयों के लिए तरस रहे हैं। एक तरफ प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि हमास ऐसे ही हमलों से खत्म हो सकता है। बाकी बचे बंधकों को बचाया जा सकता है। इजरायली डिफेंस फोर्स गाजा की गलियों में है, पूरे गाजा पर सैन्य नियंत्रण की तैयारी की जा रही है। एक तरफ दुनिया इजरायल से युद्ध रोकने की मांग कर रही है, बेंजामिन नेतन्याहू अपने इरादों में साफ हैं कि वे जंग नहीं रोकेंगे।

इजरायल पर आरोप क्या लग रहे हैं?
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के प्रमुख टॉम फ्लेचर ने कहा है कि अगले 48 घंटों में गाजा में मदद नहीं पहुंची तो वहां 14 हजार से ज्यादा बच्चे मर सकते हैं। पूरी दुनिया इन बच्चों को बचाने की गुहार लगा रही है। इजरायल ने यहां पहुंचने वाली मदद ऐसे रोकी है कि गाजा के लोग खाने के लिए तरस गए हैं, बच्चे कुपोषण से मर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इजरायल ने गाजा में सिर्फ 5 ट्रक भेजने की इजजात दी लेकिन यह नाकाफी रही। इजरायल ने हमास के खिलाप 10 हफ्ते की मानवीय मदद की ही नाकेबंदी कर दी थी, जिसके बाद पहले से भुखमरी की कगार पर पहुंची जनता की स्थितियां और बदहाल हो गईं। 

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गाजा के एक कैंप में मेडिकल चेकअप करती डॉक्टर। (Photo Credit: UNICEF-SoP/2024)

क्यों कर रहे हैं नेतन्याहू ऐसा?
बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि हमास को पूरी तरह से सरेंडर करना होगा, बंधकों को वापस करना होगा और हथियार डालने होंगे। अगर गाजा हथियार मुक्त हुआ तो युद्ध खत्म करने पर इजरायल विचार कर सकता है। 


बेंजामिन पर क्या-क्या आरोप हैं?
बेंजामिन नेतन्याहू और इजरायली डिफेंस फोर्स पर आरोप है कि उनकी तरफ से युद्ध अपराध किया जा रहा है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायलय ने वारंट तक जारी किया है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने गाजा के हालात को त्रादी बताया है, जहां वैश्विक कानूनों की धज्जियां उड़ रही हैं, गाजा की आबादी पर इजरायल का सैन्य शासन लागू किया जा रहा है।

          गाजा में किन चीजों को रोका जा रहा है?

  • दैनिक इस्तेमाल में आने वाले जरूरी सामान
  • दवाइयों के लिए लोग तरस रहे हैं
  • बच्चों में कुपोषण की स्थिति बन रही है
  • लाखों लोगों को खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है

    इजरायल पर लगे गंभीर आरोप क्या हैं?
  • नरसंहार 
  • युद्ध अपराध 
  • नागरिकों पर जानबूझकर हमले
  • मानवीय सहायता में बाधा
  • नागरिक इलाकों की तबाही
  • भुखमरी को हथियार के रूप में इस्तेमाल के आरोप
  • जबरन विस्थापन
  • अस्पतालों और स्कूलों पर हमले
  • पानी और जरूरी संसाधनों को रोकना

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UNICEF-SoP/2024

 

गाजा में मानवीय मदद की स्थिति क्या है?
गाजा में मानवीय मदद पहुंच रही है, 5 ट्रकों के पहुंचने की इजाजत दी गई है। अलग बात है कि इजरायल के हमलों में फिलिस्तीन के आम नागरिक भी माने जा रहे हैं। अब तक 40 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। अब लोग खाने और दवाइयों के लिए तरस रहे हैं। 

इजरायल पर किन वैश्विक कानूनों को तोड़ने के आरोप लग रहे हैं?
चौथा जिनेवा कन्वेंशन का अनुच्छेद 55 कहता है कि कब्जा करने वाले देश का कर्तव्य है कि वह आबादी के लिए भोजन और चिकित्सा आपूर्ति तय करे। अनुच्छेद 55 के मुताबिक, 'कब्जा करने वाली ताकत का यह कर्तव्य है कि वह अपनी पूरी क्षमता से कब्जे वाले क्षेत्र की जनता के लिए भोजन और चिकित्सा आपूर्ति सुनिश्चित करे। अगर क्षेत्र के संसाधन अपर्याप्त हों, तो उसे जरूरी खाद्य सामग्री, दवाइयां और अन्य आवश्यक चीजें लानी चाहिए।'

अनुच्छेद 55 के मुताबिक, 'कब्जा करने वाली ताकत कब्जे वाले क्षेत्र में उपलब्ध भोजन, सामग्री या चिकित्सा आपूर्ति को केवल अपनी सेना और प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए ले सकती है, और तब भी केवल तभी जब नागरिकों की जरूरतों का ध्यान रखा गया हो। अन्य अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत, कब्जा करने वाली ताकत को यह तय करना होगा कि ली गई किसी भी सामग्री के लिए उचित मूल्य चुकाया जाए।'

(Photo Credit:  NICEF/UNI726130/El Baba)

अनुच्छेद कहता है, 'प्रोटेक्टिंग पावर को किसी भी समय कब्जे वाले क्षेत्र में भोजन और चिकित्सा आपूर्ति की स्थिति की जांच करने की आजादी होगी, सिवाय उन मामलों के जहां अत्यावश्यक सैन्य कारणों से अस्थायी प्रतिबंध लगाए गए हों।'

दिलचस्प बात यह है कि अनुच्छेद 59 कहता है कि इस नियम को बिना किसी शर्त के पूरा करना अनिवार्य है। अब आसान भाषा में अनुच्छेद 59 को समझते हैं। किसी युद्धग्रस्त क्षेत्र में, अगर वहां की जनता भोजन, दवाइयां और कपड़े जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रही है तो कब्जा करने वाला देश, वहां मानवीय मदद को पहुंचने से नहीं रोकेगा।  

कौन सी संस्थाएं गाजा में कर रही हैं मदद?

  • वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP)
  • यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन्स फंड (UNICEF)
  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO)
  • ऑफिस फॉर द कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमैनिटेरियन अफेयर्स (OCHA)
  • इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM)
  • यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर पेलेस्टाइन रिफ्यूजीज (UNRWA)
  • यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP)
  • यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (UNFPA)
  • फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO)
  • यूनाइटेड नेशंस रिफ्यूजी एजेंसी (UNHCR)

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गाजा में भुखमरी की नौबत आ सकती है। (Photo Credit: UNICEF/Abed Zagout)


अनुच्छेद 59 के मुताबिक ये राहत योजनाएं किसी देश की तरफ से या वैश्विक संस्थाओं की ओर से भेजी जाती हैं। कपड़ा, दवा और खाद्य सामग्रियों के अधिकार से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता है। यह अनुच्छेद संधि में शामिल देशों को इन राहत सामग्रियों को बिना रोक-टोक के गुजरने की इजाजत देता है। ये राहत सामग्रियां जरूरतमंद लोगों के लिए हैं, न कि कब्जा करने वाली ताकत के फायदे के लिए।

और किन वैश्विक कानूनों को इजरायल तोड़ रहा है?
गाजा में इजरायल की कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के तौर पर देखा जा रहा है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इजरायल अब युद्ध अपराध कर रहा है। इजरायल पर चौथे जिनेवा कन्वेंशन की शर्तों को तोड़न के आरोप लग रहे हैं। इजरायल पर जिनेवा संधि के अनुच्छेद 3, 18, 23, 49 और 55 को तोड़ने के आरोप लग रहे हैं। इन अपराधों में नागरिकों पर हमले, अस्पतालों-स्कूलों का विनाश, मानवीय सहायता में रुकावट, भुखमरी को हथियार के रूप में उपयोग, और जबरन विस्थापन शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इन कार्रवाइयों को युद्ध अपराध कहा है। 

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