अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूनाइटेड किंगडम की दूसरी आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस राजकीय यात्रा का लंदन और विंडसर में काफी विरोध हो रहा है। प्रदर्शनकारी सड़कों पर ट्रंप के विरोध में जमकर नारे बाजी और नारे लिखे बैनर से अपना विरोध जता रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने 'नस्लवाद को ना', 'ट्रंप को ना' और 'इजरायल को हथियार देना बंद करो' जैसे नारे लिखे हुए बैनर के जरिए अपना विरोध जता रहे हैं। एक्टिविस्ट ग्रुप 'लेड बाय डंकी' इस विरोध का नेतृत्व कर रहा है और इस ग्रुप के 4 सदस्य गिरफ्तार भी हुए हैं।
50 से ज्यादा यूनियन और चैरिटी संस्थाओं के समूहों, स्टॉप ट्रंप कोएलिशन के आयोजकों ने मध्य लंदन के पोर्टलैंड प्लेस से व्हाइटहॉल की ओर मार्च निकाला। कुछ प्रदर्शनकारियों ने 20 फीट के 'ट्रंप बेबी ब्लिंग' के छोटे संस्करण ले रखे थे, जो 2019 में राष्ट्रपति की पहली राजकीय यात्रा के विरोध के लिए बहुत बड़ा प्रतीक बन गया था। पुलिस का अनुमान है कि इस प्रदर्शन में 5,000 तक लोग मौजूद थे।
डोनाल्ड ट्रंप का यूनाइटेड किंगडम का दूसरा दौरा 16 से 18 सितंबर 2025 तक चलेगा। उनका 2019 के पहले दौरे के बाद दूसरा ऐसा दौरा है। इस दौरान भी लंदन में हजारों लोगों ने ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। आइए जानते हैं कि इन विरोध-प्रदर्शन के पीछे की संस्था Led By Donkeys क्या है, जिसके 4 सदस्य गिरफ्तार हुए हैं?

Led By Donkeys अभियान क्या है?
'लेड बाय डंकी' अभियान ब्रिटेन का एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट ग्रुप है, जिसे 2019 में शुरू किया गया था। इस ग्रुप की शुरुआत चार दोस्तों ने की थी। इस अभियान का उद्देश्य नेताओं की बयानबाजी और उनके काम के बीच के विरोधाभासों को लोगों के सामने लाना है। इसका नाम फर्स्ट वर्ल्ड वॉर से लिया गया है। फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के समय ब्रिटिश सैनिकों को शेर कहा जाता था और जनरलों को गधा या donkeys कहा जाता था। यह 'lions led by donkeys' से आता है, जो नेताओं की लाचारी पर कटाक्ष करता है। इस ग्रुप ने इस नाम को अपनाया ताकि वे ब्रिटेन के नेताओं के दोगलेपन को उजागर कर सके, खासकर ब्रेक्सिट (Brexit) जैसे मुद्दों पर।
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शुरुआत में ये लोग बड़े-बड़े बिलबोर्ड्स और पोस्टरों पर राजनेताओं के पुराने ट्वीट, बयान और वादों को छापते थे। इनमें खासकर ब्रेक्जिट (Brexit) से जुड़े नेताओं के विरोधाभासी बयान शामिल होते थे। उदाहरण के तौर पर, किसी नेता ने पहले ब्रेक्जिट के समर्थन में और बाद में खिलाफ में बयान दिया हो तो दोनों बातें साथ-साथ दिखा दी जाती थीं। इससे जनता को साफ पता चलता था कि नेता कितनी बार अपने ही बातों से पलटते हैं। इसका मूल तरीका 'गोरिल्ला एक्टिविज्म' है। रात में बड़े-बड़े पोस्टर लगाना, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए।
इस अभियान की खासियत यह है कि यह व्यंग्य और तंज दोनों का इस्तेमाल करते हुए सच्चाई को सामने लाता है। बाद में Led By Donkeys ने सोशल मीडिया और वीडियो कैंपेन के जरिए भी काम करना शुरू किया। वे जलवायु परिवर्तन, भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर भी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं। ब्रेक्सिट कैंपेन (2019), कोविड-19 मेमोरियल (2021), यूक्रेन सपोर्ट (2022) जैसे कई बड़े मुद्दों पर कैंपेन चलाया।