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पाकिस्तानः लाल मस्जिद के मौलवी ने अपनी ही सरकार को क्यों घेर लिया?

भारत से जारी तनाव के बीच इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल अजीज गाजी ने अपनी ही सरकार को घेरा है। अब्दुल गाजी ने पाकिस्तानी सरकार पर अपने ही लोगों पर बमबारी करने का आरोप लगाया है।

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मौलाना अब्दुल अजीज गाजी। (Photo Credit: X-@gundemedairhs)

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। बात जंग तक आ चुकी है। पाकिस्तान के नेता और आर्मी चीफ असीम मुनीर जंग की धमकी दे रहे हैं। हालांकि, अब पाकिस्तान खुद अपने ही घर में फंसता जा रहा है। इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल अजीज गाजी का कहना है कि भारत के साथ इस्लामी युद्ध नहीं होगा। इतना ही नहीं, अब्दुल गाजी ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए पाकिस्तानियों पर हिंसा और अन्याय करने का आरोप लगाया है। 


लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल गाजी का अपनी ही सरकार को घेरने वाला यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। लोगों को संबोधित करते हुए अब्दुल गाजी पूछते हैं, 'अगर पाकिस्तान और भारत के बीच जंग छिड़ जाती है तो आप में से कितने लोग पाकिस्तान का साथ देंगे? अपना हाथ उठाएं।' उनके यह सवाल किए जाने के बाद जब सन्नाटा रहा तो उन्होंने कहा, 'बहुत म हाथ दिखाई दे रहे हैं। इसका मतलब है कि लोग जागरूक हो रहे हैं। मुद्दा यह है पाकिस्तान और भारत के बीच इस्लामी युद्ध नहीं है।'

 

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'अपने ही लोगों पर गिरा रहे बम'

अब्दुल गाजी ने कहा, 'आज पाकिस्तान में कुफ्र (अविश्वसनीय) की व्यवस्था है, अत्याचारी व्यवस्था है, जो भारत से भी बदतर है। भारत में उतना अत्याचार नहीं है, जितना पाकिस्तान में है। क्या भारत में लाल मस्जिद जैसी कोई भयावह घटना हुई है?'

 


वजीरिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाह की घटनाओं का जिक्र करते हुए अब्दुल गाजी ने कहा, 'क्या भारत में वैसी क्रूरताएं होती हैं, जैसी वजीरिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाह में हुई हैं? क्या उनके लड़ाकू विमानों ने अपने ही लोगों पर बमबारी की है, जिस तरह हमारे विमानों ने की है? क्या भारत में कई सारे लोग लापता हैं? यहां लोग अपनों की तलाश में विरोध प्रदर्शन करते-करते थक चुके हैं। मौलवी लापता हैं, पत्रकार लापता हैं, तहरीक-ए-इंसाफ के लोग लापता हैं।'

 

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सरकार के खिलाफ क्यों हुई लाल मस्जिद?

1965 में जब पाकिस्तान ने अपनी राजधानी कराची से इस्लामाबाद की तब लाल मस्जिद को बनाया गया था। लाल पत्थरों से बनी होने के कारण इसे लाल मस्जिद कहा जाता है। यह जल्द ही कट्टरपंथियों का गढ़ बन गईं, जिस कारण पाकिस्तान की सरकार और खुफिया एजेंसियां इसके करीब आ गईं।


हालांकि, बाद में बहुत कुछ बदल गया। 2006 में लाल मस्जिद के मौलवी भाइयों अब्दुल अजीज और अब्दुल राशिद ने खुलकर पाकिस्तानी सरकार को चुनौती देना शुरू कर दिया। इस मस्जिद के बगल में ही जामिया हफ्सा मदरसा है। लाल मस्जिद ने पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने की वकालत की। लाल मस्जिद के मौलवियों ने पाकिस्तान की सरकार को भ्रष्ट और गैर-इस्लामी मानते हुए उखाड़ फेंकने की अपील की थी। 


इससे लाल मस्जिद और पाकिस्तान की तत्कालीन परवेज मुशर्रफ की सरकार के बीच तनाव बढ़ गया। आखिरकार जुलाई 2007 में मुशर्रफ ने लाल मस्जिद पर सैन्य हमला करने का आदेश दे दिया। इसे 'ऑपरेशन सनराइज' नाम दिया गया।

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