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रोहिंग्या के बाद 6000 चिन को म्यांमार से क्यों भगा दिया? समझिए

म्यांमार से एक बार शरणार्थी संकट गहरा गया है। म्यांमार के चिन प्रांत में दो गुटों में संघर्ष के बाद अब वहां से लोग भागकर मिजोरम आ रहे हैं। अब तक 6 हजार से ज्यादा शरणार्थी आ चुके हैं।

myanmar refugee

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

पड़ोसी मुल्क म्यांमार में एक बार फिर जातीय संघर्ष शुरू हो गया है। इसका नतीजा भारत को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि जातीय संघर्ष के कारण वहां से भागकर लोग यहां आ रहे हैं। यह संघर्ष म्यांमार के चिन प्रांत में हुआ है, जहां दो हथियारबंद गुट- चिन नेशनल डिफेंस फोर्स (CNDF) और चिनलैंड डिफेंस फोर्स-हुआलंगोरम (CDF-H) आपस में भिड़ गए हैं।

 

जिन दो गुटों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हुई हैं, वे दोनों म्यांमार की सैन्य सरकार (जुंटा) के खिलाफ लड़ रहे हैं। संघर्ष शुरू होने के बाद म्यांमार के चिन प्रांत से करीब 6 हजार शरणार्थी मिजोरम आ गए हैं। इससे पहले 2021 में सैन्य सरकार के आने के बाद म्यांमार के रखाइन प्रांत में संघर्ष शुरू हो गया था, जिस कारण वहां से रोहिंग्या मुसलमानों को भागकर भारत आना पड़ा था।

 

हालात तब और बिगड़ गए जब सोमवार को चिन नेशनल आर्मी (CNA) ने भी इस संघर्ष में शामिल होते हुए CNDF के गढ़ माने जाने वाले रिहली गांव पर हमला किया। यह गांव मिजोरम के सैखुम्पाई गांव से कुछ ही किलोमीटर दूर है।

 

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कैसे और क्यों शुरू हुआ यह सब?

चिन समुदाय से जुड़े दो गुटों में यह संघर्ष शनिवार (4 जुलाई) को शुरू हुआ था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि शनिवार को CNDF ने दोपहर में सताव्म, लियान्हा और तुईचिरह गांव में बड़ा हमला किया। करीब 6 घंटे तक CNDF के लड़ाकों ने गोलीबारी की थी।

 

CNDF ने दावा किया है कि उसने तुईचिरह गांव में CDF-हुआलंगोरम कैंप के सभी 8 कैंप पर कब्जा कर लिया है। वहीं, CDF की पॉलिटिकल विंग हुआलंगोरम पीपुल्स ऑर्गनाइजेश (HPO) ने दावा किया कि उन्होंने सरेंडर नहीं किया, बल्कि वे पीछे हटने को मजबूर थे।

 

ताजा संघर्ष में CDF-हुआलंगोरम के दो लड़ाकों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस संघर्ष में अब तक CDF-हुआलंगोरम के लल्लियांडिंगा और सी. लालहमुआकमविया की मौत हो चुकी है।

 

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मिजोरम में आई शरणार्थियों की बाढ़

म्यांमार में गहराए इस संकट से मिजोरम में शरणार्थियों की बाढ़ आ गई है। म्यांमार बॉर्डर से सटे मिजोरम के जोखावथार में तीन में 4 हजार से ज्यादा शरणार्थियों को रजिस्टर किया गया है।

 

जोखावथार की ग्राम परिषद के सचिव लालरावंकिमा ने बताया कि सिर्फ 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को ही रजिस्टर किया गया है, इसलिए बच्चों को मिलाकर शरणार्थियों की संख्या 5,500 से ज्यादा हो सकती है। उन्होंने बताया कि हर एक घर में 25 से 30 लोग रहे हैं, जबकि बाकी लोगों को कम्युनिटी और चर्च हॉल में रखा गया है।

 

एक सिविल सोसायटी लीडर ने बताया कि सैखुम्पाई गांव में म्यांमार से आए 700 से ज्यादा शेल्टर की तलाश में हैं। यह वे लोग हैं, जो रिहली में हुई हिंसा के बाद यहां आए हैं।

 

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मिजोरम से ही है कनेक्शन

म्यांमार के चिन प्रांत में चिन समुदाय के लोग रहते हैं। इनका मिजोरम से भी कनेक्शन है। मिजोरम के मिजो और चिन प्रांच के चिन लोग जो समुदाय का ही हिस्सा हैं।

 

मिजोरम के गृह मंत्री के. सपदांगा ने कहा कि संघर्ष के कारण शरणार्थी बनकर आए लोगों की हर मुमकीन मदद की जाएगी। उन्होंने कहा, 'मिजोरम सरकार अपनी क्षमता के अनुसार हर मुमकीन मदद करेगी। न केवल इसलिए क्योंकि वे हमारे जातीय रिश्तेदार हैं, बल्कि यह हमारी मानवीय जिम्मेदारी भी है।'

 

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