7 देश, 5 ट्रिलियन डॉलर की GDP, समझिए BIMSTEC की पूरी कहानी
थाईलैंड में 6वीं BIMSTEC समिट होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। ऐसे में जानते हैं कि BIMSTEC आखिर है क्या? और भारत के लिए यह क्यों जरूरी है?

BIMSTEC में शामिल होने के लिए पीएम मोदी थाईलैंड पहुंचे हैं। (Photo Credit: @narendramodi)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड पहुंच गए हैं। यहां पीएम मोदी 6वीं BIMSTEC समिट में शामिल होंगे। इस समिट में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा 6 देशों के राष्ट्रप्रमुख हिस्सा ले रहे हैं। 2018 के बाद यह पहली बार है जब BIMSTEC नेताओं की यह समिट ऑफलाइन हो रही है।
BIMSTEC में भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड हैं। चीन से मुकाबला करने के लिए इस संगठन को 1997 में बनाया गया था।
शुरुआत में बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन थे। तब इसे BIST-EC कहा जाता था। 1997 में म्यांमार के आने के बाद इसका नाम BIMST-EC हो गया। 2004 में नेपाल और भूटान के आने के बाद इसका नाम BIMSTEC रखा गया। इसका फुल फॉर्म 'द बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टरल टेक्निल एंड इकोनोमिक कोऑपरेशन' है।
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मगर इसे बनाया क्यों गया था?
1997 में इसका गठन बैंकॉक डिक्लेरेशन के तहत हुआ था। इसका गठन इसलिए किया गया था ताकि दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को एकजुट रखा जा सके। इसे बनाने का एक मकसद बंगाल की खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशिया में चीन के दबदबे को कम करना भी था।
भारत के लिए BIMSTEC इसलिए काफी अहम हो जाता है, क्योंकि यह क्षेत्रीय सहयोग, कनेक्टिविटी, और चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है।
Landed in Bangkok, Thailand.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 3, 2025
Looking forward to participating in the upcoming official engagements and strengthening the bonds of cooperation between India and Thailand. pic.twitter.com/cGzkyJzu8o
कितना खास है BIMSTEC?
- आबादी के लिहाज सेः अगर सातों देशों की आबादी को जोड़ दिया जाए तो यह 2 अरब के आसपास बैठती है। यह दुनिया की कुल आबादी का लगभग 25 फीसदी है। इसमें भारत सबसे बड़ा है।
- अर्थव्यवस्था के लिहाज सेः सातों देशों को मिलाकर इनकी अनुमानित जीडीपी 5.2 ट्रिलियन डॉलर (करीब 445 लाख करोड़ रुपये) है। इसमें अकेले भारत की जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है।
- कारोबार के लिहाज सेः देखा जाए तो BIMSTEC के सदस्य देशों के बीच बहुत ज्यादा कारोबार नहीं होता। BIMSTEC के 6 सदस्य देशों के साथ भारत सिर्फ 2 या 3 फीसदी कारोबार ही करता है। हालांकि, हर साल अंदाजन 25 फीसदी कार्गो बंगाल की खाड़ी से ही गुजरते हैं।
- सैन्य ताकत के लिहाज सेः वैसे तो BIMSTEC कोई सैन्य संगठन नहीं है लेकिन अगर यह होता तो इसमें 60 लाख से ज्यादा सैनिक होते।
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भारत के लिए क्यों अहम है BIMSTEC?
- पड़ोसी देशों से संबंध: ये भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का मौका देता है, खासकर जब SAARC भारत-पाकिस्तान तनाव की वजह से ठप है।
- चीन का प्रभाव कम करना: बंगाल की खाड़ी के आसपास चीन अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिए प्रभाव बढ़ा रहा है। BIMSTEC भारत को इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करता है।
- पूर्वोत्तर भारत का विकास: BIMSTEC भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते बंगाल की खाड़ी से जोड़कर उनके आर्थिक विकास में मदद करता है।
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी: भारत कई प्रोजेक्ट्स के जरिए कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है। इसमें भारत-म्यांमार को जोड़ने वाले कालादान मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट और भारत-थाईलैंड को म्यांमार के रास्ते जोड़ने वाले एशियन ट्राइलाइट हाईवे शामिल है।
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क्या चीन को मिलेगी इसे टक्कर?
BIMSTEC इसलिए जरूरी है, ताकि चीन का मुकाबला किया जा सके। भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' के लिए भी BIMSTEC जरूरी है। हालांकि, BIMSTEC के सदस्य देशों में से ज्यादातर चीन के करीबी हैं।
BIMSTEC के सदस्य देशों में से बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और काफी हद तक श्रीलंका और थाईलैंड पर भी चीन का प्रभाव है। बांग्लादेश में जब तक शेख हसीना प्रधानमंत्री थीं तो चीन का दबदबा थोड़ा कम था। हालांकि, पिछले साल उनकी सरकार का तख्तापलट होने और मोहम्मद युनूस के सलाहकार बनने के बाद बांग्लादेश की करीबियां चीन से काफी बढ़ गईं हैं। हाल ही में चीन के दौरे पर पहुंचे मोहम्मद युनूस ने बांग्लादेश को इस समुद्री क्षेत्र का इकलौता 'गार्जियन' बताया था।
नेपाल और भूटान जैसे भारत से सटे देशों में भी चीन का प्रभाव है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन के समर्थक माने जाते हैं। ओली के प्रधानमंत्री रहते ही नेपाल ने 2017 में चीन के BRI प्रोजेक्ट में शामिल होने वाले दस्तावेज पर दस्तखत किए थे। वह ओली ही थे, जिन्होंने नक्शे में भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताया था। भूटान वैसे तो भारत के करीबी माना जाता है लेकिन कुछ साल से चीन से उसकी करीबियां भी बढ़ी हैं। ऐसी खबरें हैं कि चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाने पर भी भूटान की बातचीत अंतिम दौर में हैं और दोनों के बीच जल्द ही सीमा विवाद सुलझ सकता है।
इसी तरह म्यांमार में 2021 से ही सेना सरकार चला रहा है। फरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की की सरकार का तख्तापलट कर दिया था। म्यांमार पहले से ही चीन का करीबी माना जाता है लेकिन सैन्य सरकार में यह करीबियां और बढ़ी हैं। 2017 में म्यांमार भी BRI में शामिल हो गया था।
वहीं, श्रीलंका में पिछले साल ही अनुरा कुमारा दिसानायके राष्ट्रपति बने हैं। दिसानायके वामपंथी नेता हैं और उनका रुख पहले भारत के खिलाफ रहा है। हालांकि, श्रीलंका के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने पहला विदेशी दौरा भारत का ही किया था। पीएम मोदी भी थाईलैंड के बाद तीन दिन के दौरे पर श्रीलंका जाने वाले हैं। वहीं, थाईलैंड को भी चीन अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है।
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