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बख्तरबंद गाड़ियां, पॉटी सूटकेस... PM मोदी के दोस्त पुतिन की सुरक्षा कितनी टाइट?

रूस के राष्ट्रपति पुतिन अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। इस यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। राष्ट्रपति के विदेश दौरे पर रूसी एजेंसियां भी सिक्योरिटी का पूरा ध्यान रखती हैं।

PM Modi and President Putin

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन, Photo Credit: PTI

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस समय भारत यात्रा पर हैं। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पर खुद पुतिन का स्वागत किया और दुनिया ने दोनों देशों के रिश्तों की गहराई को एक बार फिर से देखा। पुतिन की इस यात्रा को लेकर कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। पुतिन किसी भी विदेश दौरे पर जाते हैं उनके साथ उनकी खुद के गार्ड भी जाते हैं जो साए की तरह उनके साथ रहते हैं। पुतिन की सुरक्षा में बहुत ज्यादा सावधानी बरती जा रही है और दिल्ली पुलिस समेत भारत की अन्य सुरक्षा एजेंसी भी उनकी सुरक्षा के इंतजाम करने में लगी हैं। 

 

रूस की सबसे गुप्त सुरक्षा एजेंसियों में से एक एफएसओ यानी फेड्रल सिक्योरिटी सर्विस राष्ट्रपति पुतिन की सुरक्षा की निगरानी कर रही है। उनकी सिक्योरिटी से लेकर ट्रैवल और अन्य हर एक डिटेल की जानकारी वह रखती है। पुतिन के साथ दिखाई देने वाले उनके सिक्योरिटी गार्ड तो उनकी सिक्योरिटी की सिर्फ एक लेयर हैं। एफएसओ उनकी सुरक्षा का ध्यान केबीजी प्रोटोकोल के अनुसार, रखती है। 

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पहलवानों जैसे बॉडीगार्ड

पुतिन की सुरक्षा में तैनात उनके पर्सनल गार्ड की भर्ती प्रेसिंडेट सिक्योरिटी सर्विस (एसबीपी) के जरिए की जाती है। इसमें भर्ती होने के लिए एक मुश्किल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उम्मीदवार की उम्र 35 साल से कम होनी चाहिए और 180 सेंटीमीटर न्यूनतम लंबाई होनी चाहिए। इसके साथ ही उम्मीदवार शारीरिक रूप से स्वस्थ, युद्ध के लिए तैयार और मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। इसके साथ ही उसे विदेशी भाषा का ज्ञान होना चाहिए। सिक्योरिटी में तैनात जवानों का ब्रैकग्राउंड भी चेक किया जाता है।

इन चीजों का भी रखा जाता है ध्यान

पुतिन की सिक्योरिटी में तैनात एक पूर्व बॉडीगार्ड ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पुतिन मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते और कभी-कभी सिक्योरिटी के कारण स्पेशल ट्रेन से सफर करते हैं। उनके सिक्योरिटी नेटवर्क में स्नाइपर, ड्रोन ऑपरेटर, इलेक्ट्रॉनिक-इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट और कम्युनिकेशन यूनिट भी शामिल हैं।

खाने-पीने का रखा जाता है खास ध्यान

पुतिन की सुरक्षा टीम उनके आसपास होने वाली हर एक गतिविधि पर नजर रखती है। उनका खाना बनने से लेकर खाना खाने तक पर नजर रखी जाती है। शेफ को भी स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना होता है। प्रेसिडेंशियल किचन में आने वाली हर चीज की ध्यान से जांच की जाती है। कड़ी सुरक्षा में तैयार किए गए खाने को भी पहले उनके बॉडीगार्ड टेस्ट करते हैं। रूस के प्रेसिडेंशियल किचन में काम कर चुके एक शेफ ने बताया कि लीड़र जहां भी होते हैं, हम वहां होते हैं। बिजनेस ट्रिप हो, छुट्टी हो या फिर कोई प्राइवेट सेरेमनी हो शेफ वहां मौजूद होते हैं।

 

 

पॉटी सूटकेस 

पुतिन की सुरक्षा कितनी कड़ी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है उनका मल-मूत्र भी रूस में ले जाया जाता है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि विदेश यात्रा से उनका मल-मूत्र वाला सूटकेस रूस ले जाया जाता है और वहां उसे नष्ट किया जाता है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि कोई उनकी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी तक ना पहुंच सके। बीबीसी के एक रिपोर्टर ने दावा किया कि पुतिन 1999 से ही इस पॉटी सूटकेस का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि उनकी हेल्थ के बारे में कोई ना जान सके। उन्होंने दावा किया कि कई विदेशी दौरों पर इस शूटकेस का इस्तेमाल किया गया है।

 

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बुलेट प्रूफ गाड़ियां

सड़क पर पुतिन के काफिले में शामिल गाड़ियां बख्तरबंद होती है। इन गाड़ियों में गोली और बम का कोई असर नहीं होता है। इस बख्तरबंद गाड़ियों में बैठे जवानों के पास हैंड ग्रेनेड, मिसाइलें, AK-47 जैसे आधुनिक हथियार होते हैं। इसके साथ ही पुतिन के काफिले में एक ही जैसी कई सारी कारें शामिल होती हैं, जिससे यह पता ना चल सके की पुतिन किस कार में बैठे हैं। 

बॉडीगार्ड के पास मौजूद सूटकेस में क्या?

जब भी पुतिन किसी विदेश दौरे पर जाते हैं तो उनके आसपास दो बॉडीगार्ड दिखाई देते हैं। इनके हाथ में सूटकेस या फिर छाता होता है। यह छाता या सूटकेस आम नहीं होता। यब बुलेटप्रूफ होता है। अगर कोई अचानक रूसी राष्ट्रपति पर हमला कर दे तो हमले को रोकने के लिए राष्ट्रपति के गार्ड इन्हें राष्ट्रपति की ढाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सूटकेस में एक पिस्तौल भी होती है। 


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