अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की उस अपील को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने हश मनी मामले में सजा सुनाए जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले में ट्रंप को 10 जनवरी (भारत के हिसाब से 11 जनवरी) को सजा सुनाई जानी है। सुप्रीम कोर्ट ने 5-4 से ट्रंप की इस अपील को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की अपील?
फेडरल सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की इस अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस आधार पर ट्रंप की अपील को ठुकरा दिया कि उनकी सजा बोझ नहीं होगी, क्योंकि जज ने संकेत दिया है कि वो उन्हें जेल की सजा नहीं सुनाएंगे। इसके बाद ट्रंप के वकीलों ने दलील रखी कि कम से कम सजा सुनाने पर तब तक रोक लगा दी जाए, जब तक ट्रंप राष्ट्रपति पद नहीं संभाल लेते। इसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
ट्रंप चाहते थे केस खारिज हो जाए
राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद ट्रंप अपने खिलाफ इस मामले को खारिज करवाना चाहते थे। ट्रंप की टीम ने अदालत में भी इस केस को खारिज करने की अपील की थी। ट्रंप की टीम ने तर्क दिया था कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए ये मामला लटका रहने से उनके कामकाज में रुकावट आएगी। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और सजा सुनाने की तारीख का ऐलान कर दिया। इसके बाद ट्रंप की टीम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
जेल नहीं जाएंगे ट्रंप!
हश मनी केस में ट्रंप को पिछले साल मई में न्यूयॉर्क की कोर्ट ने दोषी ठहराया था। इस मामले में उन्हें 10 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। ट्रंप को इस दौरान कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होना होगा। हालांकि, जज ने संकेत दिए हैं कि ट्रंप को जेल नहीं भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि इस मामले में ट्रंप को जेल की बजाय प्रोबेशन या फिर जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है। कहा तो ये भी जा रहा है कि उन्हें सशर्त रिहा भी किया जा सकता है।
क्या है हश मनी केस?
पिछले साल मई में ट्रंप को पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को चुप रहने के लिए 1.30 लाख डॉलर देने के मामले में दोषी ठहराया गया था। ट्रंप ने 2006 में स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ संबंध बनाए थे। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में स्टॉर्मी इसे सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं। इसके बाद ट्रंप ने उन्हें चुप रहने के लिए 1.30 लाख डॉलर की रकम दी थी।