logo

ट्रेंडिंग:

इस देश में राष्ट्रपति के 'बॉडीगार्ड' ने कैसे किया तख्तापलट? पढ़ें पूरी कहानी

पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी-बिसाऊ में उस शख्स ने ही तख्तापलट कर दिया, जिसके पास राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। तख्तापलट के एक दिन बाद उसे देश का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।

Coup in Guinea-Bissau

गिनी-बिसाऊ में तख्तापलट। ( Photo Credit: X/@crownintelgroup)

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

अफ्रीका महाद्वीप में एक और तख्तापलट हो गया है। अबकी बार पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी-बिसाऊ में सेना ने सत्ता पर कब्जा किया है। 2020 के बाद यह अफ्रीका महाद्वीप में हुआ 9वां तख्तापलट है। सूडान और माली तख्तापलट के मुहाने पर हैं। हालांकि पिछले पांच साल में माली दो बार तख्तापलट का सामना कर चुका है। इस साल गिनी बिसाऊ से पहले अक्टूबर महीने में मेडागास्कर में भी तख्तापलट हो चुका है।

 

गिनी-बिसाऊ में 23 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग हुई। कुल 12 प्रत्याशी मैदान में थे। मगर मुख्य मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो और विपक्षी नेता फर्नांडो डायस दा कोस्टा के बीच था। चुनाव में जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी को 50 फीसद से अधिक वोट हासिल करना जरूरी था। इससे कम वोट पाने पर दोबारा चुनाव होना तय था। रविवार को 65 फीसद से अधिक मतदान रिकॉर्ड किया गया। गुरुवार यानी 27 नवंबर को रिजल्ट आना था। उससे पहले बुधवार को दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया। मगर मतगणना से पहले ही सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौजूदा राष्ट्रपति और अफ्रीकन पार्टी के अध्यक्ष को गिरफ्तार किया गया है।

 

यह भी पढ़ें: 'विदेश से चल रहा नैरेटिव, राहुल गांधी-कांग्रेस से सावधान रहने की जरूरत'- बीजेपी

गिनी-बिसाऊ में अभी किसी सरकार थी?

गिनी-बिसाऊ के मौजूदा राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो (53) सेना के पूर्व जनरल थे। नवंबर 2016 से 2018 तक देश के प्रधानमंत्री और फरवरी 2020 से राष्ट्रपति थे। फरवरी 2025 के आखिर में इनका कार्यकाल खत्म होना था। मगर सुप्रीम कोर्ट ने उनका कार्यकाल 4 सितंबर तक बढ़ा दिया और चुनाव को नवंबर तक टाल दिया। चुनाव से पहले राष्ट्रपति उमारो ने देश की मुख्य विपक्षी अफ्रीकन पार्टी ऑफ द इंडिपेंडेंस ऑफ गिनी और केप वर्डे पर चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया।

मजबूत थी विपक्षी नेता की स्थिति

2019 के राष्ट्रपति चुनाव में उमारो सिसोको एम्बालो के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री डोमिंगोस सिमोस परेरा ने चुनाव लड़ा था। उन्हें दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। मगर इस चुनाव से राष्ट्रपति उमारो ने परेरा और उनकी अफ्रीकन पार्टी पर बैन लगाया तो परेरा ने विपक्षी प्रत्याशी फर्नांडो डायस दा कोस्टा को अपना समर्थन दिया। बताया जा रहा है कि अफ्रीकन पार्टी के समर्थन मिलने और सामाजिक मुद्दों को उठाने से डायस की स्थिति मजबूत थी। उमारो सिसोको को लगने लगा था कि वह चुनाव हार जाएंगे। हालांकि एक दिन पहले उन्होंने अपनी जीत का दावा भले ही किया था। मगर नतीजे आने से पहले ही सेना ने खेल कर दिया, लेकिन इसमें भी झोल दिख रहा है।

किसने किया तख्तापलट?

सैन्य जनरल होर्ता एन टैम मौजूदा राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो के सुरक्षा गार्ड प्रमुख थे। उनके पास राष्ट्रपति की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी थी। अब उसी व्यक्ति ने राष्ट्रपति को कथित तौर पर गिरफ्तार करके सत्ता पर कब्जा जमा लिया है। तख्तापलट के एक दिन बाद एन टैम को अंतरिम राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। सेना मुख्यालय में शपथ लेने वाले एन टैम एक साल तक अपने पद पर रहेंगे। 

तख्तापलट पर विश्वास क्यों नहीं?

गिनी-बिसाऊ के मौजूदा तख्तापलट पर वहां के विपक्ष को विश्वास नहीं हो रहा है। उसका आरोप है कि मौजूदा राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो ने सेना की मिलीभगत से नकली तख्तापलट किया है। उन्हें अपनी हार पता थी। इस कारण सेना के इस्तेमाल से चुनाव रिजल्ट रोकने की यह एक साजिश है। उमारो के प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी फर्नांडो डायस ने भी यही आरोप लगाया। फ्रांस24 से फोन पर हुई बातचीत में मौजूदा राष्ट्रपति उमारो ने कहा कि मुझे पद से हटा दिया गया है। मैं अभी जनरल स्टाफ मुख्यालय में हूं। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकन पार्टी के मुखिया डोमिंगोस सिमोस परेरा को भी गिरफ्तार किया गया है।

तख्तापलट के बाद कैसे हैं हालात?

गिनी-बिसाऊ की सेना ने तख्तापलट को व्यवस्था बहाली का कदम बताया। इसके अलावा अगली सूचना तक पूरी चुनावी प्रक्रिया को निलंबित कर दिया। मतलब साफ है कि अब चुनाव नतीजे नहीं आएंगे। इसके अलावा देश की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। रात में कर्फ्यू का आदेश जारी कर दिया गया है। इंटरनेट बंद करने की तैयारी है। गिनी-बिसाऊ में चुनाव 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी में हुए। मगर बिना रिजल्ट के सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया।

 

यह भी पढ़ें: भारत में घुसते ही गिर जाएंगे तुर्की-पाकिस्तान के ड्रोन, क्या है इंद्रजाल सिस्टम?

दो बार पहले भी उमारो की सरकार पलटने की साजिश हो चुकी

नवंबर में चुनाव से पहले अक्टूबर में एक बार तख्तापलट की कोशिश हो हुई थी। मगर असफल रही। यह प्रयास गिनी-बिसाऊ के एक सैन्य अधिकारियों के ग्रुप ने किया था। हालांकि बाद में सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। सेना ने सैन्य प्रशिक्षण स्कूल के निदेशक ब्रिगेडियर जनरल दहाबा नवलना, कमांडर डोमिंगोस न्हान्के और मारियो मिडाना को पकड़ा था। इससे पहले साल 2023 में भी राष्ट्रपति उमारो सिसोको के खिलाफ तख्तापलट का प्रयास हुआ था।

गिनी-बिसाऊ के बारे में जानें

गिनी-बिसाऊ को साल 1974 में पुर्तगाल से आजादी मिली थी। तब से अब तक यह देश कम से कम नौ बार तख्तापलट या उसकी कोशिश का सामना कर चुका है। पुर्तगाली शासन होने के कारण यहां पुर्तगाली भाषा भी बोली जाती है। 2014 के बाद यहां कानून का शासन स्थापित हुआ। मगर मौजूदा तख्तापलट ने एक नया सियासी संकट पैदा कर दिया है।

 

विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक गिनी-बिसाऊ की गिनती दुनिया के सबसे गरीब देशों में होती है। यहां की करीब आधी आबादी गरीब है। पश्चिमी अफ्रीका में बसा यह देश गिनी और सेनेगल के बीच स्थित है। देश की एक सीमा अटलांटिक महासागर से लगती है। यहां की आबादी करीब 22 लाख है। देश की पहचान नशीले पदार्थ के बड़े केंद्र के तौर पर होती है।

Related Topic:#International News

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap