हार्वर्ड में विदेशी छात्रों की NO ENTRY, ट्रंप की 6 मांगें क्या हैं?
अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में से एक हार्वर्ड में अब विदेशी छात्र नहीं पढ़ सकेंगे। ट्रंप सरकार ने विदेशी छात्रों के हार्वर्ड में एडमिशन पर रोक लगा दी है। मगर ऐसा क्यों हुआ? इसका असर क्या होगा? समझते हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी। (Photo Credit: X@Harvard)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को लेकर एक और कड़ा फैसला लिया है। ट्रंप सरकार ने अब हार्वर्ड पर विदेशी छात्रों को एडमिशन देने पर रोक लगा दी है। इसका मतलब हुआ कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अब विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं दे सकेगा। होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड के स्टूडेंट्स एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) को खत्म करने का आदेश दिया है। होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ने बयान जारी कर बताया कि हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं देगा और जो छात्र अभी पढ़ रहे हैं, उन्हें अपना ट्रांसफर करवाना होगा।
व्हाइट हाउस ने कहा कि विदेशी छात्रों को एडमिशन देना एक 'विशेषाधिकार' है, न कि 'अधिकार'। व्हाइट हाउस ने हार्वर्ड पर अपने संस्थान को अमेरिका विरोधी, यहूदी विरोधी और आतंकवाद समर्थक आंदोलनकारियों के अड्डे में बदलने का आरोप लगाया है।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने CNN को बताया, 'हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिकी छात्रों पर बुरा असर डालने वाली समस्याओं को हल निकालने में बार-बार नाकाम रही है।' उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपने किए का अंजाम भुगतना होगा।
ट्रंप सरकार के इस फैसले का असर हार्वर्ड में पढ़ने वाले एक चौथाई से ज्यादा विदेशी छात्रों पर पड़ सकता है। प्रोफेसरों ने चेतावनी दी है कि विदेशी छात्रों के बड़े पैमाने पर निकाले जाने से यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक क्षमता पर असर पड़ने का खतरा है।
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ट्रंप सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, तब से ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी समेत कई शैक्षणिक संस्थानों के साथ टकराव शुरू हो गया है। अप्रैल में ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड को दी जाने वाली 2.3 अरब डॉलर की फंडिंग रोक दी है। ट्रंप सरकार ने कई मांगें की थीं, जिन्हें मानने से हार्वर्ड ने मना कर दिया था। इसके बाद ट्रंप सरकार और हार्वर्ड के बीच तल्खियां और बढ़ गई थीं।
अब ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड पर विदेशी छात्रों को एडमिशन देने पर रोक लगा दी है। होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव क्रिस्टी नोएम ने बताया कि हार्वर्ड ने अपने विदेशी छात्रों के बारे में रिकॉर्ड देने से इनकार कर दिया था, इसलिए यह कदम उठाया गया।
This administration is holding Harvard accountable for fostering violence, antisemitism, and coordinating with the Chinese Communist Party on its campus.
— Secretary Kristi Noem (@Sec_Noem) May 22, 2025
It is a privilege, not a right, for universities to enroll foreign students and benefit from their higher tuition payments… pic.twitter.com/12hJWd1J86
उन्होंने हार्वर्ड पर यहूदी छात्रों के खिलाफ हिंसा और हमास समर्थकों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। साथ ही हार्वर्ड में 'अनसेफ' माहौल बनाने का आरोप भी लगाया है।
यह कदम ट्रंप सरकार की उन नीतियों का हिस्सा हैं, जिसमें वे अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी को निशाना बना रहे हैं। उनका मानना है कि ये यूनिवर्सिटीज लिबरल विचारधारा को बढ़ावा देती हैं, जो उनके हिसाब से गलत है।
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इस फैसले का असर क्या होगा?
- विदेशी छात्रों परः हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 6,793 विदेशी छात्र हैं। यह कुल छात्रों का 27% है। इनमें से 788 भारतीय छात्र हैं। इन छात्रों को अब दूसरी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना होगा, वरना उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है।
- हार्वर्ड परः यूनिवर्सिटी में 140 से ज्यादा देशों के छात्र पढ़ते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, एक छात्र सालभर में 87,000 डॉलर की फीस भरता है। विदेशी छात्रों के न आने से हार्वर्ड की कमाई पर इसका असर पड़ेगा।
- पढ़ाई परः हार्वर्ड के इकोनॉमी के प्रोफेसर जेसन फुरमैन ने इसे 'भयावह' बताया है। उन्होंने कहा कि रिसर्च और इनोवेशन के लिए विदेशी छात्र जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका को बड़ा नुकसान होगा।
अब हार्वर्ड के पास क्या है रास्ता?
ट्रंप सरकार ने साफ कर दिया है कि विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगाने वाला फैसला तुरंत लागू हो गया है। हार्वर्ड 2025-26 के लिए विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं दे सकेगी। इसके साथ ही अभी जो विदेशी छात्र यहां पढ़ रहे हैं, उन्हें अब दूसरे कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना होगा। ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड के सामने 6 मांगें रखी हैं।
- पिछले 5 साल में विदेशी छात्रों के गैरकानूनी गतिविधि से जुड़े सभी रिकॉर्ड देने होंगे। यह गतिविधियां कैंपस के अंदर या बाहर हो सकती हैं।
- पिछले 5 साल में विदेशी छात्रों की तरफ से हुई हिंसक या खतरनाक गतिविधियों से जुड़े रिकॉर्ड देने होंगे। कैंपस के अंदर या बाहर हुई गतिविधियों की जानकारी देनी होगी।
- पिछले 5 साल में विदेशी छात्रों ने किसी दूसरे छात्रों या यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को कोई धमकी दी है, तो उसका रिकॉर्ड भी देना होगा।
- पिछले 5 साल में किसी विदेशी छात्र ने अगर किसी दूसरे छात्रों या कर्मचारियों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाया है तो उसका भी रिकॉर्ड देना होगा।
- पिछले 5 साल में किसी विदेशी छात्र के खिलाफ अगर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है, तो उसकी रिकॉर्ड भी सरकार को देना होगा।
- पिछले पाँच साल में हार्वर्ड कैंपस में किसी भी प्रदर्शन से जुड़े सभी ऑडियो या वीडियो फुटेज मांगे गए हैं, जिसमें कोई विदेशी छात्र शामिल रहा हो।
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हार्वर्ड का क्या है कहना?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने ट्रंप सरकार के इस फैसले की आलोचना की है और इसे 'गैरकानूनी' बताया है। हार्वर्ड ने इसे 'बदले की कार्रवाई' बताते हुए कहा है कि इससे यूनिवर्सटी को गंभीर नुकसान होने का खतरा है।
हार्वर्ड के प्रवक्ता जेसन न्यूटन ने कहा, 'हम अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों और स्कॉलर्स को होस्ट करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, जो 140 से ज्यादा देशों से आते हैं और यूनिवर्सिटी और इस देश को बेहद समृद्ध करते हैं।' उन्होंने कहा, 'यह जवाबी कार्रवाई हार्वर्ड कम्युनिटी और हमारे देश को नुकसान पहुंचाती है और हार्वर्ड के एकेडमिक और रिसर्च मिशन को कमजोर करती है।'
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