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फिलिस्तीन को मान्यता, जवाब देने की तैयारी में इजरायल; क्या एक्शन लेगा?

पश्चिमी देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी है। इससे इजरायल खफा है। वह अब जवाब देने की तैयारी में है। मगर कोई कदम उठाने से पहले नेतन्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे।

Israel News.

बेंजामिन नेतन्याहू। (AI generated image)

फिलिस्तीन मुद्दे पर इजरायल पश्चिमी जगत में अलग-थलग पड़ता जा रहा है। कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तान को मान्यता दे दी है। मगर पश्चिमी देशों के इस कदम से इजरायल फिलिस्तीन मामले में और आक्रामक रुख अपना सकता है। अगर ऐसा हुआ तो खाड़ी के देश इजरायल के खिलाफ उठ खड़े होंगे, क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वेस्ट बैंक में इजरायल की कोई भी दखलअंदाजी को रेड लाइन माना जाएगा। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि खाड़ी देशों के रेड लाइन वाली धमकी का मतलब क्या है? अब सवाल यह उठ रहा है कि फिलिस्तीन को मान्यता के जवाब में इजरायल क्या कदम उठाएगा?

किस प्लान पर काम कर रहा इजरायल?

इधर पश्चिमी देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी उधर बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बड़ी बैठक बुलाई। इसमें उन कदमों पर गहन चर्चा हुई, जिन्हें मान्यता देने के जवाब में इजरायल उठाया जा सकता है। संभावना है कि इजरायल वेस्ट बैंक के कुछ हिस्से को अपने क्षेत्र में मिला सकता है। प्लान के मुताबिक इजरायल वेस्ट बैंक के एरिया-ए के कुछ भाग को एरिया- बी में शामिल करेगा। एरिया- बी के कुछ हिस्से को सी में शामिल किया जाएगा। इससे फिलिस्तीन का सिविलियन कंट्रोल खत्म हो जाएगा। पूरा क्षेत्र इजरायल के नियंत्रण में आ जाएगा।

 

यह भी पढ़ें: 'फिलिस्तीन कोई देश नहीं होगा, US से लौटकर जवाब दूंगा'- नेतन्याहू

बेंजामिन नेतन्याहू पर क्या दबाव?

रविवार को बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़े शब्दों में कहा कि फिलिस्तीन राज्य नहीं बनेगा। इससे इजरायल का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। फिलिस्तीन को मान्यता देने के जवाब में इजरायल कौन सा कदम उठाएगा। इसका जवाब अमेरिका से लौटने के बाद दिया जाएगा। इजरायल में नेतन्याहू की सरकार दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी दलों के गठबंधन से चल रही है।


उन पर सहयोगी दल वेस्ट बैंक को अपने मिलाने और फिलिस्तीन की मान्यता का जवाब देने का दबाव बना रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि अगले साल इजरायल में चुनाव है। अगर पश्चिम देशों के जवाब में इजरायल ने वेस्ट बैंक का विलय किया तो इसका फायदा गठबंधन को मिल सकता है। 

वेस्ट बैंक प्लान पर अमेरिका का क्या रुख?

अमेरिका दबी जुबान में इजरायल को कह चुका है कि वह विलय के पक्ष में नहीं। मगर असल फैसला ट्रंप और नेतन्याहू की मीटिंग के बाद होगा। इजरायल के चैनल 12 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते नेतन्याहू ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के सामने वेस्ट बैंक विलय का मुद्दा उठाया था। नेतन्याहू ने कहा था कि हम पर एरिया- सी को मिलाने का गठबंधन दबाव बना रहा है। एरिया-सी के तहत वेस्ट बैंक का 60 फीसद हिस्सा आता है।

 

जवाब में रुबियो ने कहा कि गाजा युद्ध खत्म करने और बंधकों की वापसी पर फोकस करें। किसी अन्य मुद्दे पर नहीं। उधर, इजरायल के सामरिक मामलों के मंत्री रॉन डेरमर ने कहा कि चाहे कुछ भी हो अमेरिका के साथ पूरा समन्वय बनाए रखा होगा। मतलब साफ है कि अगर इजरायल कोई कदम उठाता है तो यह अमेरिका के समन्वय से होगा। 

सऊदी अरब और यूएई ने क्या मैसेज भेजा?

सऊदी अरब ने इजरायल को कड़ा संदेश भेजा है। कहा कि अगर इजरायल ने फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों के जवाब में वेस्ट बैंक के किसी हिस्से को अपने में मिलाया तो यह रेड लाइन होगी। इसके सभी क्षेत्र में व्यापक नतीजे होंगे। माना जा रहा है कि सऊदी अपना एयरस्पेस बंद कर सकता है। इजरायल के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश पर विराम लगा सकता है।

 

इजरायल को सख्त संदेश भेजने वाला सऊदी अरब इकलौता देश नहीं है। कुछ दिन पहले ही संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भी कहा था कि इजरायल का विलय प्लान रेड लाइन होगा। माना जा रहा है कि अगर इजरायल ने वेस्ट बैंक को मिलाने का कदम उठाया तो यूएई उसके साथ अपने रिश्तों को तोड़ सकता है।  

 

यह भी पढ़ें: UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को देश माना, इजरायल पर असर क्या?

ट्रंप के साथ खाड़ी के देशों की बड़ी मीटिंग

पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम के बाद फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, माल्टा, सैन मैरिनो और अंडोरा भी फिलिस्तीन को मान्यता देने की तैयारी में है। इस बीच इजरायल भी इन देशों पर जवाबी कार्रवाई की तैयारी में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल कुछ देशों के वाणिज्य दूतावासों को बंद कर सकता है। खासकर फ्रांस उसकी निगाह पर चढ़ा है। इस बीच ट्रंप सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, बहरीन और कुवैत  के साथ एक मीटिंग करेंगे। इसमें खाड़ी देश के कतर पर इजरायली हमले पर अमेरिका  का रुख जानने की कोशिश करेंगे।

 

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