लाल सागर में केबल कटने की वजह से भारत, पाकिस्तान और मीडिल ईस्ट के कई देशों में इंटरनेट सेवाएं बाधित हो गई हैं। समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने बताया है कि यह रुकावट एक कमर्शियल जहाज के कारण हुई ही। इसमें बताया गया है कि जहाज ने रुकने के लिए अपना लंगर पानी के अंदर से खींच लिया, जिससे लाल सागर में पानी के नीचे मौजूद इंटरनेट केबल कट गए।
रिपोर्टों के मुताबिक, लाल सागर में इंटरनेट सेवा देने वाले मोटे और बड़े तार पानी के अंदर मौजूद हैं। यह केबल तार कम गहरे पानी में होते हैं, जिससे जहाजों के खींचने वाले लंगर केबल को नुकसान पहुंचा देते हैं। अब विशेषज्ञों का कहना है कि क्षतिग्रस्त केबलों की मरम्मत में कई हफ्ते लग सकते हैं। केबल तारों को ठीक करने में इतना लंबा समय लगने के पीछे कई वजहें बताई गई हैं।
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क्यों हो रही है देरी?
एपी ने अपनी रिपोर्ट में केबल तारों के मरम्मत होने वाली देरी के बारे में बताया है। इसमें साइबर सुरक्षा कंपनी पालो ऑल्टो के कंसल्टिंग सिस्टम इंजीनियर यासर सईद का हवाला दिया गया है। इंजीनियर यासर सईद ने बताया कि दुनिया में केवल तीन या चार कंपनियां ही ऐसे गहरे समुद्र में स्थित केबलों की मरम्मत करने में सक्षम हैं। संसाधनों और कंपनियों की इस कमी का मतलब है कि जब केबल तारों में कोई दिक्कत होती है तो इसकी मरम्मत में देरी होती है।
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इंटरनेट केबल तार समुद्र तल में गहराई में होते हैं, जिससे इनकी मरम्मत बेहद तकनीकी हो जाती है। सईद ने खलीज टाइम्स को बताया, 'ऐसे केबल को ठीक करने के लिए बहुत हाई तकनीक की जरूरत होती है क्योंकि केबल समुद्र में बहुत गहराई में दबे होते हैं। आपको विशेष फाइबर गोताखोरों की जरूरत होती है जो समुद्र की गहराई में जाकर, सटीक कट का पता लगा सकें और उसे ठीक कर सकें।'
उन्होंने आगे कहा कि इसलिए यह आसान काम नहीं है और इसमें महीनों लग सकते हैं।
किन वजहों से होती है दिक्कत?
सिस्को के सॉल्यूशन आर्किटेक्ट स्वप्नेंदु एम. ने बताया कि केबल को नुकसान अक्सर जहाजों के लंगर डालने, प्राकृतिक आपदाओं, या दुर्लभ मामलों में होती है। नुकसान के सटीक कारण और स्थान की पहचान करना महत्वपूर्ण है लेकिन इसमें समय लगता है, जिससे मरम्मत में और देरी होती है।
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि फाइबर केबल समय के साथ प्राकृतिक रूप से खराब होने का खतरा बना रहता है। इस तरह के घिसाव से रखरखाव मुश्किल हो जाता है और हर पांच से दस साल में दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।