इजरायल ने सुन्नी मुस्लिम देश को क्यों दी मान्यता, क्या है आगे का प्लान?
सोमालीलैंड को इजरायली मान्यता मिलने का असर न केवल अफ्रीका, बल्कि मध्य पूर्व के देशों पर पड़ेगा। लाल सागर के एक तट पर सोमालीलैंड हैं और उसके ठीक सामने यमन। इजरायल की रणनीति यहां से हूती विद्रोहियों को काबू करने की है।

सोमालीलैंड को इजरायल ने क्यों दी मान्यता। ( AI generated image)
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमालीलैंड को मान्यता दे दी है। अब इजरायल सोमालीलैंड को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। पिछले 34 साल से सोमालीलैंड अपनी आजादी का दावा करता है, लेकिन अभी तक किसी अन्य देश ने इजरायल की तरह मान्यता देने का जोखिम नहीं उठाया है। इजरायल के इस कदम के बाद से ही अफ्रीका महाद्वीप में हलचल बढ़ गई है। एक तरह जहां अफ्रीकी संघ ने इजरायल के खिलाफ बयान दिया तो वहीं सोमालिया, तुर्की, मिस्र और जिबूती के विदेश मंत्रियों ने फोन पर बात की और इजरायल की कड़े शब्दों में निंदा की।
सोमालीलैंड सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है। देश का कुल क्षेत्रफल 177,000 वर्ग किमी है। करीब 57 लाख की आबादी है। यहां सोमाली के अलावा अरबी और अंग्रेजी भाषा बोली जाती है। 1991 से पहले 1960 में सोमालीलैंड को पांच दिनों की आजादी मिली थी। उस वक्त इजरायल समेत कुल 35 देशों ने मान्यता दी थी। बाद में यह देश सोमालिया में शामिल हो गया था। मगर 31 साल बाद 1991 में सोमालीलैंड ने दूसरी बार अपनी आजादी की घोषणा की और पहली मान्यता हासिल करने में 34 से अधिक वर्षों तक धैर्य रखना पड़ा।
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इजरायल ने क्यों मान्यता दी?
- हमास युद्ध के बाद यमन के हूती विद्रोहियों ने कई बार इजरायल पर हमला किया। लाल सागर पर इजरायली समुद्री जहाजों को निशाना बनाया। इजरायल को इस क्षेत्र में नए साथी की तलाश थी, ताकि हूती विद्रोहियों पर नकेल कसी जा सके। माना जा रहा है कि अब सोमालीलैंड की मदद से इजरायल हूती विद्रोहियों के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ सकता है।
- दुनिया हॉर्न ऑफ अफ्रीका का रणनीतिक महत्व को भलीभांति जानती हैं। समुद्री व्यापार की खातिर यह इलाका बेहद अहम है। सोमालीलैंड का अधिकांश हिस्सा लाल सागर से लगता है। सोमलिया की तुलना में यह इलाका अधिक स्थिर और शांत है। सरकारें भी लोकतांत्रिक तरीके से बदलती हैं। यही वजह है कि इजरायल यहां दांव खेल रहा, ताकि अपने व्यापारिक हितों को सुरक्षित किया जा सके।
- इजरायल को एक ऐसे देश की तलाश थी, जहां गाजा के लोगों को बसाया जा सके। बताया जाता है कि इसी दौरान मोसाद ने सोमालीलैंड की सरकार से संपर्क था। वहां राष्ट्रपति अब्दुल्लाही इसी साल अक्टूबर में गुप्त तरीके से इजरायल पहुंचे। यहां बेंजामिन नेतन्याहू, मोसाद के चीफ डेविड बार्निया और रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज के साथ बैठक की। भविष्य में इजरायल यहां गाजा के लोगों को बसा सकता है।
- गाजा पर हमले के बाद इजरायल पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुका है। अफ्रीका महाद्वीप में उसके खिलाफ आवाज अधिक बुलंद है। अब इजरायल अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंध सुधारने और नई रणनीति बनाने में जुटा है, ताकि भविष्य में लाल सागर और यमन की निगरानी की जा सके। सोमालीलैंड को मान्यता देने से पहले इजरायल ने जांबिया में करीब 50 साल बाद अपना दूतावास दोबारा खोला।
कब अलग हुआ था सोमालीलैंड?
अफ्रीकी देश सोमालिया के कुछ हिस्से पर ब्रिटेन का शासन था। बाकी हिस्से पर इटली का कब्जा था। 90 के दशक में सोमलिया गृह युद्ध की चपेट में था। इसी दौरान 1991 में ब्रिटिश संरक्षित इलाके ने सोमालिया से अलग होकर सोमालीलैंड नाम से अलग देश की आजादी का ऐलान कर दिया। करीब 34 साल बाद सोमालीलैंड को उस वक्त बड़ी सफलता मिली, जब शुक्रवार को इजरायल ने उसे स्वतंत्र देश की मान्यता दी। सोमालिया की सरकार ने भी कभी सोमालीलैंड की आजादी को स्वीकार नहीं किया। पिछले साल इथियोपिया ने सोमालीलैंड के साथ एक समझौता करने का प्रयास किया, लेकिन राजनयिक दबाव के आगे उसे झुकना पड़ा।
मान्यता मिलने से सोमालीलैंड को क्या फायदा?
वर्तमान में सोमालीलैंड का अपना झंडा है। अपनी संसद और मुद्रा है। हरगेइसा उसकी राजधानी है। वह लगातार अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। कुछ समय पहले सोमालीलैंड की सरकार ने ताइवान और संयुक्त अरब अमीरात के साथ रिश्तों को मजबूत बनाना शुरू किया। मौजूदा समय में अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही सोमालीलैंड के राष्ट्रपति हैं।
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अगर सोमालीलैंड के लोकेशन की बात करें तो यह देश अदन की खाड़ी पर बसा है। खुद की सरकार, पासपोर्ट और सेना के अलावा सोमालीलैंड के पास किसी भी देश की मान्यता नहीं थी। मान्यता नहीं होने के कारण इसे विदेशी सहायता, लोन और निवेश हासिल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मान्यता देने के बाद अब इजरायल सोमालीलैंड को लोन और सहायता दे सकता है। अभी सोमालीलैंड में ब्रिटेन, इथियोपिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, डेनमार्क, केन्या और ताइवान के संपर्क कार्यालय हैं। इजरायल दूतावास स्थापित करने वाला पहला देश होगा।
इजरायल की मान्यता से कौन-कौन खफा?
सोमलिया, मिस्र और फिलिस्तीन ने इजरायल के कदम की निंदा की। सोमालिया की सरकार ने कहा कि सोमालीलैंड को मान्यता देना सोमाली संप्रभुता पर जानबूझकर किया गया हमला है। यह क्षेत्रीय शांति को कमजोर करेगा। फिलिस्तीन प्राधिकरण ने सोमालीलैंड को दी गई इजरायली मान्यता को खारिज कर दिया। वहीं मिस्र ने कहा कि हम सोमलिया की एकता, अखंड़ता और संप्रभुता के साथ खड़े हैं। तुर्की ने भी इजरायल के खिलाफ बयान दिया और कहा कि उसका यह कदम सोमालिया के घरेलू मामलों में खुला दखल है।
अफ्रीकी संघ ने इजरायल के इस कदम को पूरे महाद्वीप की शांति और स्थिरता के लिए खतरा बताया। इजरायल के कदम से सोमालिया बेहद खफा है। उसने इजरायल से मान्यता को रद्द करने की मांग और कहा कि उसकी इस आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उधर, सऊदी अरब भी इजरायली फैसले के खिलाफ है।
मान्यता के बाद आगे क्या होगा?
माना जा रहा है कि मान्यता मिलने के बाद इजरायल और सोमालीलैंड के बीच रणनीतिक साझेदारी शुरू होगी। इसकी एक झलक सोमालीलैंड के राष्ट्रपति ने अपने बयान में खुद दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत का प्रतीक है। इससे क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा मजबूत होगी और सभी हितधारकों को साझा लाभ पहुंचेगा। उन्होंने इजरायल से मिली मान्यता को ऐतिहासिक पल बताया और कहा कि उनका देश अब्राहम समझौते में शामिल होने को उत्सुक है। अब्राहम समझौते का उद्देश्य इजरायल और अरब देशों को करीब लाना है, ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित की जा सके।
इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार के मुताबिक दोनों देश जल्द ही दूतावास की स्थापना और राजदूतों की तैनाती करेंगे। उन्होंने विदेश मंत्रालय को सोमालीलैंड के साथ विभिन्न क्षेत्रों में तुरंत संबंध स्थापित करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि इजरायल और सोमालीलैंड की सरकार के बीच करीब एक साल से बातचीत चल रही थी। दोनों पक्षों ने संयुक्त रूप से मान्यता देने पर निर्णय लिया है। दोनों देश मिलकर काम करेंगे, ताकि आपसी संबंध, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके।
क्या अमेरिका भी चलेगा बड़ी चाल?
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि इजरायल की तरह सोमालीलैंड को मान्यता देने का कोई विचार नहीं है। हालांकि अगस्त में उन्होंने कहा था कि हम सोमालीलैंड पर काम कर रहे हैं। यह एक जटिल मुद्दा है। ट्रंप की पार्टी के अहम नेता सीनेटर टेड क्रूज कई बार सोमालीलैंड को मान्यता देने की आवाज उठा चुके हैं। हाल के दिनों में सोमालिया और अमेरिका के रिश्तों में खटास भी आई है।
डोनाल्ड ट्रंप कई बार सोमालिया पर निशाना साध चुके हैं। मान्यता देने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की पहल पर हस्ताक्षरित अब्राहम समझौते की भावना के मुताबिक है। मतलब साफ है कि इजरायल के इस खेल की जानकारी ट्रंप को जरूर रही होगी।
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