'तीसरी दुनिया' के लोग डोनाल्ड ट्रंप को खटकते क्यों हैं?
डोनाल्ड ट्रंप ने तीसरी दुनिया कहकर गई देशों पर पाबंदी लगाने की बात कह रहे हैं। क्यों इन्हें थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज कहते हैं, आइए समझते हैं।

अेमरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। (Photo Credit: PTI)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज' कहे जाने वाले देशों को धमकी दी है कि वे हमेशा के लिए अमेरिका आने पर पाबंदी लगा देंगे। इन देशों के साथ प्रवासी नीतियां खत्म कर देंगे। वॉशिंगटन में हुई गोलीबारी के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप इन देशों से नाराज हैं। अमेरिकी गृह विभाग ने अफगान पासपोर्ट पर यात्रा करने वाले सभी लोगों को वीजा जारी करने पर रोक लगा दी है।
सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मार्को रुबियो ने कहा कि यूनाइटेड स्टेट्स के लिए अपने देश और लोगों की सुरक्षा से बड़ी कोई प्राथमिकता नहीं है। वॉशिंगटन में हुई गोलीबारी में एक नेशनल गार्ड सैनिक की मौत हो गई और दूसरे को गंभीर चोट लग गई।
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मार्को रुबियो:-
डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ने अफ़गान पासपोर्ट पर यात्रा करने वाले लोगों के लिए वीजा जारी करने पर तुरंत रोक लगा दी है। गृह विभाग नेशनल सिक्योरिटी और पब्लिक सेफ्टी की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहा है।
'नेशनल गार्ड पर हमला, जो बाइडेन की गलती'
डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, 'अमेरिका ने तकनीकी रूप से बहुत तरक्की की है, लेकिन बाइडेन सरकार की गलत इमिग्रेशन पॉलिसी ने इसे बर्बाद कर दिया। सभी थर्ड वर्ल्ड देशों से माइग्रेशन को स्थाई रूप से रोकना होगा, ताकि हमारा सिस्टम पूरी तरह रिकवर हो सके।'
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डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका:-
जो विदेशी अमेरिका के लिए फायदेमंद न हों, हमारे देश से प्यार न करें, या पश्चिमी सभ्यता से मेल न खाएं, उन्हें डिपोर्ट किया जाएगा। अगर कोई विदेशी सरकारी सहायता पर निर्भर है या सुरक्षा के लिए जोखिम है तो उसे भी बाहर किया जाएगा।
अफगानिस्तान पर ऐक्शन क्यों?
27 नवंबर को व्हाइट हाउस के पास हुई गोलीबारी में सारा बेकस्ट्रॉम की मौत हो गई थी। एंड्र्यू वोल्फ गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पुलिस ने संदिग्ध के रूप में 29 साल के अफगान नागरिक रहमानुल्लाह लकानवाल को गिरफ्तार किया है। रहमानुल्लाह लकानवाल 2024 में शरणार्थी के तौर पर अमेरिका आया था और अप्रैल 2025 में उसे पनाह दी गई थी। डोनाल्ड ट्रंप ने इसे बाइडेन की लापरवाही का नतीजा बताया।
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अब ट्रंप ने क्या किया है?
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 28 नवंबर को घोषणा की कि अफगानिस्तान समेत 19 देशों के हर ग्रीन कार्ड होल्डर की इमिग्रेशन स्टेटस की पूरी जांच होगी। ग्रीन कार्ड होल्डर, अमेरिका में स्थाई निवासी होते हैं।
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज अब उन देशों के नागरिकों पर सख्ती बरतेगा, जो तीसरी दुनिया से आए हैं, भले ही उनके पास ग्रीन कार्ड क्यों न हो।
डोनाल्ड ट्रंप ने 19 देशों को 'आइडेंटिफाइड कंसर्न' के तौर पर लिस्ट किया है। इसके लिए कार्यकारी आदेश जारी किया है। ये देश ऐसे हैं, जिन्हें अमेरिका अपने लिए खतरा मान रहा है। इस ऑर्डर में 12 देशों पर पूरी तरह से यात्रा पाबंदी लगाई गई, जबकि 7 देशों पर आंशिक प्रतिबंध। ये देश ज्यादातर गरीब, अस्थिर और आतंकी खतरे वाले हैं।
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किन देशों को खतरा मान रहे ट्रंप?
- अफगानिस्तान
- म्यांमार
- चाड
- कांगो
- इक्वेटोरियल गिनी
- इरिट्रिया
- हैती
- ईरान
- लीबिया
- सोमालिया
- सूडान
- यमन
डोनाल्ड ट्रंप, इन देशों को खतरा मानते हैं। यहां के पासपोर्ट पर यात्रा को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।
आंशिक प्रतिबंध वाले 7 देश कौन से हैं?
- बुरुंडी
- क्यूबा
- लाओस
- सिएरा लियोन
- टोगो
- तुर्कमेनिस्तान
- वेनेजुएला
'थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज' किन्हें कहते हैं?
अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के गरीब और विकासशील देशों को तीसरी दुनिया कहा जाता है। इन देशों की कानून व्यवस्था हमेशा हाशिए पर रही है, आतंकवाद और गृह युद्ध इन देशों में आज तक नहीं थम पाया है। ऐतिहासिक रूप से तीसरी दुनिया का इस्तेमाल विश्व युद्ध से जुड़ा है। दुनिया जब अलग-अलग धुरी में बंट रही थी, तब शीत युद्ध के दौरान वैश्विक रणनीतिकारों ने दुनिया को तीन श्रेणियों में रखा था।
- फर्स्ट वर्ल्ड: अमेरिका से जुड़े अमीर, लोकतांत्रिक देश। इन देशों में उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश आते थे।
- सेकंड वर्ल्ड: कम्युनिस्ट देशों को दूसरी दुनिया में रखा गया। इनमें सोवियत संघ, पूर्वी यूरोप, उत्तर कोरिया, वियतनाम और चीन जैसे देशों को रखा गया।
- थर्ड वर्ल्ड: जो देश तटस्थ थे, विकासशील थे या गरीब थे, उन्हें तीसरी दुनिया कहा गया। ये देश ज्यादातर अफ्रीका से जुड़े थे। एशिया और लैटिन अमेरिका के कृषि आधारित देशों को इस श्रेणी में रखा गया था।
तीसरी दुनिया 'गाली' क्यों बनी?
पश्चिमी देश, अविकसित और पिछड़े देशों को तीसरी दुनिया के तौर पर देखते हैं। वैश्विक कूटनीति में यह अपमानजनक है। अब इन देशों के लिए 'विकासशील देश' या 'ग्लोबल साउथ' जैसे शब्द इस्तेमाल होते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने इसे फिर से इस्तेमाल कर बहस छेड़ दी है।
डोनाल्ड ट्रंप को खटकते क्यों हैं तीसरी दुनिया के लोग?
- अमेरिका में प्रवास करने वाले ज्यादातर लोगों में इन्हीं देशों के लोग शुमार हैं। कुछ प्रताड़ना से, कुछ बेहतर अवसर की तलाश में अमेरिका में पहुंचते हैं। इन्हीं देशों में से एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो अवैध तरीके से अमेरिका में दाखिल होता है। मौजूदा अमेरिकी सरकार प्रवासी नीतियों के खिलाफ है।
- ट्रंप लगातार प्रवासियों के खिलाफ बयान करते हैं। वह सख्त प्रवासी नीतियों के समर्थक रहे हैं। दुनिया के कई देशों में वह अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट कर चुके हैं। भारत भी उन देशों में से एक है, जिसके नागरिकों को डिपोर्ट किया गया है।
- डोनाल्ड ट्रंप, इन देशों को अपने लिए खतरा मानते हैं। डोनाल्ड ट्रंप मानते हैं कि 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' की नीति के लिए अवैध प्रवासी खतरा हैं। वह चाहते हैं कि अमेरिकी संसाधनों पर अमेरिकियों का ही हक हो, प्रवासियों का नहीं।
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अब ट्रंप ने क्या किया है?
डोनाल्ड ट्रंप ने अफगान नागरिकों से जुड़े सभी प्रवासी अनुरोधों को को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि अमेरिकी लोगों की सुरक्षा सबसे ऊपर है, और बाइडेन की लापरवाह नीतियों का खामियाजा देश नहीं भुगतेगा।
इस फैसले का क्या होगा?
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले को कोर्ट में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। फेडरल अदालतों ने पहले भी डोनाल्ड ट्रंप की मनमानी नीतियों के खिलाफ फैसले सुना चुकी हैं। डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का असर दुनिया भर में गरीब देशों से अमेरिका जाने वाले लाखों लोगों पर पड़ सकता है।
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