क्या अफगानिस्तान में लौटेगा अमेरिका, बगराम पर निगाह क्यों टिकीं?
अफगानिस्तान में अमेरिका वापसी के मूड में है। मगर उसका यह सपना हकीकत में बदलेगा या नहीं, यह भविष्य के गर्त में छिपा है। लेकिन एक बात तो साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप इस दिशा में पूरी कोशिश से लगे हैं।

अफगानिस्तान में वापसी चाहता है अमेरिका। (AI generated image)
लगभग दो दशक बाद अमेरिकी सेना ने 2021 में अफगानिस्तान को अलविदा कहा था। उस वक्त पूरे अफगानिस्तान में अराजकता देखने को मिली। तालिबान से डरकर बड़ी संख्या में लोग देश से भागने लगे थे। हिंसा और अराजकता के बीच अमेरिका के निकलते ही अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता का उदय हुआ। अब करीब 4 साल बाद दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क को अपनी गलती का अहसास होने लगा है। डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका अब अफगानिस्तान में वापसी करना चाहता है, लेकिन यह राह इतनी आसान नहीं है। आइये जानते हैं कि अफगानिस्तान में अमेरिका क्यों वापसी चाहता है, उसके क्या हित जुड़े हैं?
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पास ही बगराम एयरबेस है। कभी यह जगह अफगानिस्तान में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा रही है। अब तालिबान के कब्जे में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बगराम एयरबेस पर दोबारा अपना कंट्रोल चाहते हैं। इस मामले पर अमेरिका और तालिबान के बीच इसी साल मार्च से बातचीत का सिलसिला जारी है। गुरुवार को ब्रिटेन में डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ही पहली बार इसका खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका बगराम एयरबेस पर दोबारा नियंत्रण पाने की दिशा में काम कर रहा है। हमने इसे तालिबान को फ्री में दे दिया था। वैसे हम इसे वापस लेने की कोशिश में जुटे हैं।'
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बगराम पर क्यों कब्जा चाहता है अमेरिका?
2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका के हटने के बाद से बगराम एयरबेस तालिबान के नियंत्रण में है। इस एयरबेस की लोकेशन बेहद खास है। यही कारण है कि अमेरिका अब किसी भी हाल में इसे अपने कंट्रोल में रखना चाहता है। ट्रंप और उनके सुरक्षा अधिकारी बगराम के रणनीतिक महत्व को जानते हैं। मार्च महीने से इसे वापस लेने की बात चल रही है। इस एयरबेस की काबुल से दूरी महज एक घंटे की है। चीन की सीमा यहां से 500 मील और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद सिर्फ 500 किमी दूर है। अमेरिका बगराम से चीन और पाकिस्तान पर एक साथ नजर रख सकता है।
अमेरिका की असल टेंशन चीन
बगराम का रणनीतिक महत्व ट्रंप खुद ही बता चुके हैं। इसी साल मार्च में ट्रंप ने कहा था कि बगराम उस जगह से बेहद करीब है, जहां चीन परमाणु मिसाइलें बनाता है। गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिटेन में दावा किया कि तालिबान को हमसे कुछ चाहिए और हम वह अड्डा वापस चाहते हैं। डोनाल्ड ट्रंप को हमेशा बगराम की कमी खलती है। 2021 में बगराम से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के पीछे बाइडेन प्रशासन के फैसले को ट्रंप मूर्खतापूर्ण बता चुके हैं। कुछ समय पहले ट्रंप ने कहा था कि हम अफगानिस्तान से बाहर निकलने वाले थे। मगर बगराम पर अपना कंट्रोल नहीं छोड़ते। वहां एक छोटी सी सेना हमेशा तैनात रखते। यह अफगानिस्तान की वजह से नहीं, बल्कि चीन की वजह से करते, क्योंकि इसी जगह से ठीक एक घंटे की दूरी पर वह स्थान है, जहां चीन अपनी परमाणु मिसाइलें बनाता है।
बगराम एयरबेस क्यों अहम?
- अमेरिका की निगाह अफगानिस्तान में मौजूद रेयर अर्थ मिनरल्स पर टिकी है।
- बगराम एयरबेस पर कब्जे के बिना रेयर अर्थ को हासिल करना संभव नहीं है।
- आईएसआईएस पर हमला करने में बगराम अहम भूमिका निभा सकता है।
- बगराम से ईरान की निगरानी संभव। उस पर हमला भी किया जा सकता है।
बगराम एयरबेस के बारे में जानें
बगराम एयरबेस पर दो मील लंबा रनवे है। करीब दो दशक तक अमेरिकी सेना यहां ठहरी। अमेरिका के कई राष्ट्रपति बगराम का दौरा कर चुके हैं। इनमें जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप का नाम शामिल है। ट्रंप के मुताबिक बगराम दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक है। यहां का रनवे भारी कंक्रीट और स्टील से बना है। रनवे 11,800 फीट ऊंचा है। यहां से बमवर्षक विमान और बड़े मालवाहक विमान उड़ान भरने में सक्षम है। बगराम बेस पर एक लाख से अधिक अमेरिका सैनिक ठहर चुके हैं। बगराम में ही अफगानिस्तान की कुख्यात जेल है। अमेरिका ने यहां बिना किसी आरोप के हजारों लोगों को कठोर यातना में रखा।
ट्रंप के दावे पर तालिबान क्या बोला?
तालिबान ने डोनाल्ड ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया है। तालिबान के विदेश मंत्रालय में तैनात जाकिर जलाल का कहना है कि पूरे इतिहास में अफगानों ने सैन्य उपस्थिति को मंजूर नहीं किया है। दोहा वार्ता और समझौते के वक्त इस संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था। मगर संबंधों के अन्य दरवाजे खुले हैं।
क्या बगराम एयरबेस पर चीन की मौजूदगी?
डोनाल्ड ट्रंप कई बार आरोप लगा चुके हैं कि बगराम एयरबेस पर चीन अपनी गतिविधि बढ़ा रहा है। अब अमेरिका को यह डर भी सताने लगा है कि चीन कहीं बगराम बेस पर कब्जा न कर ले। मगर ट्रंप के दावे के विपरीत तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद का कहना है कि बगराम पर अफगानिस्तान का नियंत्रण है, चीन का नहीं।
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बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करने के ट्रंप के दावे पर चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'चीन अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करता है। अफगानिस्तान का भविष्य अफगान लोगों के हाथों में होना चाहिए। क्षेत्र में तनाव बढ़ाना और टकराव पैदा करना सही नहीं होगा।'
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