दक्षिण अमेरिकी देश पेरू की राजधानी लीमा में नेपाल जैसा माहौल दिख रहा है। हजारों की संख्या में युवा सड़कों पर उतरे हैं। आगजनी और लूटपाट के दृश्य सामने आ रहे हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन भीड़ सड़कों पर डटी है। सरकार विरोधी प्रदर्शन में शामिल युवकों ने लाठी-डंडों और पत्थरों से हमला किया है। लीमा के सिटी सेंटर में करीब 500 लोगों की भीड़ जमा है।
कुछ प्रदर्शनकारियों ने कार्यकारी और कांग्रेस भवनों में घुसने की कोशिश की। यहां हुई झड़प में तीन अधिकारी घायल हुए हैं। इसके अलावा रेडियो स्टेशन एक्सिटोसा के मुताबिक उनके रिपोर्टर और कैमरामैन को गोली लगी है। पेरू के पर्यटन मंत्री के मुताबिक विरोध प्रदर्शन के बीच रेल यात्रा स्थगित होने के कारण 900 पर्यटकों को निकाला गया है। यह सभी इंका गढ़ माचू पिच्चू के पास फंसे थे।
पेरू में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अगुवाई 'जेनरेशन जेड' नाम का समूह कर रहा है। यह विरोध प्रदर्शन संगठित अपराध, सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और पेंशन सुधार के खिलाफ है। सरकार खासकर राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे के खिलाफ लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
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प्रदर्शनकारियों ने क्या कहा?
अरब न्यूज के मुताबिक एक प्रदर्शनकारी का कहना है कि पहले के मुकाबले पेरू में अब लोकतंत्र कम हो गया है। डर और जबरन वसूली के कारण यह और भी बदतर होता जा रहा है। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि कांग्रेस की कोई विश्वसनीयता नहीं है। उसे लोगों का समर्थन भी नहीं है। वह इस देश में तबाही मचा रही है।
हिसंक प्रदर्शन के पीछे की कहानी
दीना एर्सिलिया बोलुआर्टे जेगर्रा पेरू की राष्ट्रपति हैं। 2022 में वे देश की 64वीं राष्ट्रपति बनीं। अगले साल उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। देशभर में संगठित अपराध के बढ़ते मामले और जबरन वसूली की घटनाओं से उनके खिलाफ आक्रोश पनपा। पूर्व राष्ट्रपति पेड्रो कैस्टिलो की सरकार में बोलुआर्टे उपराष्ट्रपति थीं। जब से बोलुआर्टे ने सत्ता संभाली है, तब से उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। पेरू की जनता उनके इस्तीफे की मांग कर रही है। उनकी रेटिंग भी लगातार गिर रही है। एक आंकड़े के मुताबिक पेरू में सरकार विरोधी प्रदर्शन में अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है।
पेड्रो कैस्टिलो साल 2021 में राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने पेरू लिब्रे नाम की वामपंथी पार्टी से चुनाव लड़ा। लोगों को उनके कार्यकाल से खूब उम्मीदें थीं। हालांकि वह खरे नहीं उतरे। सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। यही वजह थी कि 16 महीने की सरकार में 78 मंत्रियों को बदलना पड़ा।
बाद में कांग्रेस में कैस्टिलो ने बहुमत खो दिया। दो बार महाभियोग का सामना भी करना पड़ा। दक्षिणपंथी विपक्ष ने कैस्टिलो पर दबाव बनाए रखा। 7 दिसंबर 2023 को उन्होंने महाभियोग से बचने की खातिर कांग्रेस को भंग करने की कोशिश की। इसके बाद कैस्टिलो को गिरफ्तार करके पद से हटा दिया गया। जनता उनके रिहाई की मांग भी उठा रही है।
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उपराष्ट्रपति बोलुआर्टे ने दक्षिणपंथी दलों से गठबंधन किया और राष्ट्रपति बन गईं। उनके इस कदम से वामपंथी दलों में नाराजगी बढ़ी। उन्होंने बोलुआर्टे को विश्वासघाती करार दिया। कैस्टिलो के समर्थकों ने बोलुआर्टे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बाद में किसान संगठनों ने भी मोर्चो खोल दिया। सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दमन का रास्ता अपनाया। उन्हें आतंकवादी तक कह डाला। बोलुआर्टे के खिलाफ प्रदर्शन में छात्र, किसान और सियासी दल शामिल हैं।