एच-1बी वीजा पर सख्ती के बाद व्हाइट हाउस ने एक बड़ा बयान दिया है। व्हाइट हाउस का आरोप है कि अमेरिका की कंपनियों ने अमेरिका के ही टेक कर्मचारियों को नौकरी से निकाला। उनकी जगह पर बाहरी कर्मचारियों को रखा गया। व्हाइट हाउस ने एक फैक्टशीट साझा किया। इसमें कहा गया कि एच-1बी कार्यक्रम अमेरिका के आने वाले कर्मचारियों को STEM करियर अपनाने से रोकता है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
व्हाइट हाउस का आरोप है कि एक कंपनी को कुल 5,189 एच-1बी के अनुमोदन मिले। बाद में इसी कंपनी ने 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। एक अन्य कंपनी को कुल 1,698 अनुमोदन मिले। उसने भी 2400 अमेरिकियों की छंटनी की।
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व्हाइट हाउस के मुताबिक एक तीसरी कंपनी को 25,075 एच-1बी अनुमोदन मिले थे। इस कंपनी ने साल 2022 से 27,000 अमेरिकी नौकरियों को नौकरी से निकाला। चौथी कंपनी ने 1,000 अमेरिकियों की छंटनी की। व्हाइट हाउस का आरोप है कि अमेरिकी लोगों को निकालकर कंपनियां अन्य देशों से कम वेतन में कर्मचारियों की भर्ती कर रही हैं। इससे अमेरिका में बेरोजगारी फैल रही।
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ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाया है। भारतीय रुपये में यह रकम 88 लाख बनती है। हालांकि राहत की बात यह है कि यह फीस नए आवेदन पर लगेगी। मतलब मौजूदा एच-1बी वीजा धारक इससे प्रभावित नहीं होंगे। फीस की रकम वीजा स्पॉन्सर करने वाली कंपनियों को चुकाना होगा। अदायगी एकमुश्त होगी।अगर किसी ने 21 सितंबर से पहले एच-1बी वीजा का आवेदन किया है तो उस पर नई फीस नहीं लगेगी। मौजूदा समय में यदि को एच-1बी वीजा धारक अमेरिका के बाहर है तो वापस आने पर भी कोई फीस नहीं देना पड़ेगा।