अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर तालिबान प्रशासन से मंशा जाहिर की है कि उन्हें बगराम एयरबेस का पूरा नियंत्रण चाहिए। उन्होंने कहा है कि अगर यह एयरबेस अमेरिका को वापस नहीं दिया जाता है तो अफगानिस्तान बुरा अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भी बगराम एयरबेस पर कब्जा जमाने की बात कही थी। वह बार-बार कह रहे हैं कि बगराम एयरबोस को फिर से हासिल करने की कोशिश उनकी सरकार कर रही है। तालिबान ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर कहा है कि विदेशी ताकतों की दखल अब अफगानिस्तान नहीं सहेगा।
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डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका:-
अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस, उसे बनाने वाले अमेरिका को वापस नहीं सौंपता है तो बहुत बुरी चीजें हो सकती है।
क्या चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप?
19 सितंबर तको अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार खुलकर कहा कि उनकी सरकार अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को तालिबान से वापस लेने की कोशिश कर रही है। यह एयरबेस काबुल से महज एक घंटे की दूरी पर है और अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
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डोनाल्ड ट्रंप:-
हमने इसे तालिबान को मुफ्त में दे दिया था। अब हम इसे वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं।
बगराम एयरबेस वापस क्यों चाहते हैं?
डोनाल्ड ट्रंप ने मार्च से ही अपने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों से इस बारे में बातचीत कर रहे थे। बेस वापस लेने के पीछे कई वजहें हैं।
- चीन पर नजर: यह बेस चीन की सीमा से महज 500 मील दूर है।
- खनिज: अफगानिस्तान में दुर्लभ खनिजों और खनन की सुविधा।
- ISIS: आतंकी संगठनों पर नजर, काउंटर-टेरर नोड बनाने पर जोर।
- कूटनीति: डिप्लोमैटिक सेंटर दोबारा खोलने की कवायद।
- एशिया में दखल: अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी की कवायद।
क्या तालिबान इसकी मंजूरी देगा?
डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि तालिबान को अमेरिका से कई चीजों की जरूरत है। वह इसी वजह से दबाव बना रहे हैं। उन्होंने फिर से जो बाइडन सरकार की आलोचना की और कहा कि 2021 में अगर विदड्रॉल उनके समय होता तो वह बगराम पर कब्जा रखते। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि यह बेस चीन के न्यूक्लियर मिसाइल बनाने वाले इलाके से ठीक एक घंटे दूर है।
डोनाल्ड ट्रंप:-
हम अफगानिस्तान की वजह से नहीं, बल्कि चीन की वजह से बगराम एयरपोर्ट रखते।
क्यों खास है यह एयरबेस?
बगराम एयरबेस अमेरिका का अफगानिस्तान में 20 साल का मुख्य सैन्य केंद्र था। यहां दो मील लंबा रनवे है, जो बड़े कार्गो प्लेन, फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर के लिए इस्तेमाल होता था। जॉर्ज बुश, बराक ओबामा और ट्रंप तीनों राष्ट्रपतियों ने यहां दौरा किया था। तालिबान ने यहां कई हमले भी किए। सुसाइड बॉम्बिंग और रॉकेट अटैक हुए। 2021 में अमेरिकी सैनिकों के जाते वक्त उन्होंने करीब 900 C-17 कार्गो लोड सामान हटाया और 16,000 हथियार तबाह कर दिए।
ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2020 के तालिबान डील में अमेरिकी सैनिकों की पूरी वापसी तय हुई थी। अब तालिबान ने साफ मना कर दिया है कि अमेरिकी दखल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। तालिबान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा, 'अफगानिस्तान और अमेरिका को बिना किसी सैन्य मौजूदगी के बातचीत करनी चाहिए।'
क्या कूटनीतिक संबंध जारी रहेंगे?
तालिबान ने राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों के लिए दरवाजा खुला रखा लेकिन मिलिट्री बेस वापस देने से इनकार किया। यहां चीन की मौजूदगी नहीं है लेकिन अमेरिका की राह आसान नहीं है।
2023 में सुर्खियों में था यह एयरबेस
2023 में अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में कहा गया था कि बगराम छोड़ने से काबुल एयरपोर्ट पर ही रेस्क्यू का बोझ पड़ा। सैनिकों की वापसी और उलझ गई। तालिबान के होते हुए, अफगानिस्तान में अमेरिकी की एंट्री अभी आसान नहीं है।