जब स्वास्थ्य की बात आती है तो इसमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों का ख्याल रखना आवश्यक होता है। आमतौर पर लोग मेंटल हेल्थ पर कम ध्यान देते हैं हालांकि मानिसक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। ऐसा माना जाता है कि एंग्जायटी सिर्फ आपके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है लेकिन यह सच नहीं है। विज्ञान कहता है कि यह इससे कई ज्यादा है। एंग्जाइटी सिर्फ आपके दिमाग ही नहीं शरीर के अन्य अंगों पर भी प्रभाव डालती हैं। अगर आपने एंग्जाइटी को हल्के में लिया तो आने वाले समय में स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक यह सबसे समान्य मेंटल डिसऑर्डर है। 2021 तक इस बीमारी से 359 मिलियन लोग दुनियाभर में पीड़ित थे। हर 4 में से 1 व्यक्ति एंग्जाइटी की समस्या से जूझ रहा है। ऐसे कई लोग है जिन्हें पता ही नहीं है कि वह एंग्जाइटी से जूझ रहे हैं।
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चिंता मतलब बीमारियों का घर
जिन लोगों को एंग्जाइटी की समस्या रहती हैं उन्हें जरूत से ज्यादा चिंता होती है, डर लगता है, बेचैनी महसूस होती है और काम में ध्यान नहीं लगता है। इन लक्षणों का मतलब है कि शरीर में स्ट्रेस सिस्टम जरूरत से ज्यादा काम कर रहा है। अत्यधिक चिंता की वजह से कोर्टिसोल और एड्रीनलीन का लेवल हाई रहता है जिसकी वजह शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव पड़ता है।
हृदय संबंधी दिक्कत- एंग्जाइटी डिसऑर्डर और हृदय की सेहत के बीच में सीधा संबंध है। बहुत ज्यादा तनाव लेने बीपी बढ़ सकता है, हृदय की धड़कने असामान्य रूप से बढ़ती है। ये सभी लक्षण कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को प्रभावित करते हैं जिसकी वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर की समस्या हो सकती है।

इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है - चिंता के कारण शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। कोर्टिसोल का लेवल हाई रहने से इम्यून सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। इसका नतीजा यह होता है कि शरीर की संक्रमणों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
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मांस पेशियों में दर्द- चिंता की वजह से मांस पेशियों में तनाव बढ़ता है जिस वजह से सिरदर्द, पीठ या गर्दन में दर्द की समस्या होती है। रिसर्च में पाया गया कि अधिक तनाव की वजह से मांसपेशियों में दर्द होता है।

पेट संबंधी समस्या
स्टडी में पाया गया कि एंग्जाइटी से पीड़ित लोगों में आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया में बदलाव देखने को मिला। यह बदलाव पाचन से जुड़ी समस्याओं को बढ़ाने का काम करता है। जब आंतों में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है तब इसका सीधा असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। इसकी वजह से पेट में दर्द, मतली, पेट फूलना और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
एंग्जाइटी से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
- एंग्जाइटी से बचने के लिए गहसी सांस ले, ध्यान लगाए, योग करें।
- इसके अलावा रोजाना 30 से 45 मिनट तक एक्सरसाइज करें।
- संतुलित आहार लें।
- पर्याप्त मात्रा में नींद लें।
- अकेलापन महसूस होने पर दोस्तों या करीबी व्यक्ति से बात करें।
- जरूरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से मिलें।
Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।