केरल में इडुक्की विधानसभा सीट से कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने राज्य में बढ़ते 'ब्रेन इटिंग अमीबा' के मामलों को उठाया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में प्राइमरी एमेबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) के मामले बढ़ रहे हैं। यह एक दुर्लभ और जानलेवा मस्तिष्क संक्रमण है, जो नेगलेरिया फाउलेरी बैक्टीरिया की वजह से फैलता है। उन्होंने कहा है कि राज्यभर में ब्रेन इटिंग अमीबा के मामले बढ़े हैं।
डीन कुरियाकोस ने लोकसभा में दावा किया कि राज्य में ब्रेन ईटिंग अमीबा के 60 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। 20 से ज्यादा मौतें हुईं हैं, जिनमें बच्चे और किशोर भी शामिल हैं। डीन कुरियाकोस ने दावा किया कि इस केस में मृत्युदर 90 फीसदी से ज्यादा है।
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क्या चिंता जताई है?
डीन कुरियाकोस ने दावा किया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पर्यावरण में बदलाव नजर आ रहे हैं। उन्होंने संसद में कहा, 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स बताती हैं कि क्लाइमेट चेंज हमारे ताजे पानी के स्रोतों को गर्म कर रहा है, जिससे वे इस जानलेवा अमीबा के पनपने की जगह बन रहे हैं। यह अब सिर्फ राज्य का मामला नहीं रहा, यह क्लाइमेट की वजह से होने वाली एक बायोलॉजिकल आपदा है।'
क्या चाहते हैं डीन कुरियाकोस?
नेशनल सेंटरल फॉर डिजीज कंट्रोल की एक टीम भेजी जाए, यह पता किया जाए कि केरल ही क्यों इन संक्रामक बीमारियों के केंद्र में है। जीवन बचाने वाली दवाओं की सप्लाई तय हो। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च को निर्देश दिया जाए कि वह इस मामले पर स्टडी करने के लिए तुरंत रिसर्च शुरू करे।
डर की क्या बात है?
केरल में साल 2025 में 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' के संक्रमण की वजह से कई लोगों ने जान गंवाई। यह दुर्लभ बीमारी गर्म मीठे पानी में रहने वाले 'अमीबा' से होती है, जो नाक के रास्ते दिमाग में पहुंचकर तेजी से ब्रेन टिश्यू को नष्ट कर देती है। यह अमीबा तालाब, कुएं, नदी या गर्म पानी में पनपता है। नाक में पानी जाने से संक्रमण होता है।
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क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?
मरीजों में सामान्य तौर पर सिरदर्द, बुखार, उल्टी, गर्दन अकड़ना और बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। केरल में साल 2016 से मामले बढ़ रहे हैं। बेहतर जांच से मामले ज्यादा पता चल रहे हैं, लेकिन मौत दर घटी है। इस साल करीब 25 प्रतिशत केस बढ़े हैं। डॉक्टरों का कहना है, जल्दी पता चलने पर एंटीमाइक्रोबियल और स्टेरॉयड जैसी दवाइयों से जान बचाई जा सकती है।
केरल में ही क्यों बढ़ रहे मामले?
जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल मैनेजमेंट की ओक रिपोर्ट बताती है कि केरल में करीब 55 लाख कुएं और 55 हजार तालाब हैं, जहां लोग रोज पानी इस्तेमाल करते हैं। कुछ मामले तालाब में नहाने, नाक साफ करने या दवा फैक्ट्रियों से जुड़े हैं। जलवायु परिवर्तन से गर्मी बढ़ने और प्रदूषण से अमीबा तेजी से फैल रही है
क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा?
ब्रेन-ईटिंग अमीबा एक थर्मोफिलिक, अमीबा है। यह मुख्य रूप से गर्म मीठे पानी के स्रोतों में पनपता है। गर्म झील, तालाब, नदियां और झरने इसके बेहतर सोर्स माने जाते हैं। अगर पानी का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस के बीच है तो यह तेजी से फैलता है। गर्मी और गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में यह ज्यादा घातक हो सकता है। इसका संक्रमण दुर्लभ लेकिन घातक होता है।
संक्रमण से बचें कैसे?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की स्टडी के मुताबिक इस संक्रमण से बचने के लिए झील, तालाब, नदी, गर्म झरने में तैरते, गोता लगाते या वॉटर स्पोर्ट्स करते समय नाक में क्लिप लगाएं या सिर को पानी से ऊपर रखें। तैराकी के दौरान पानी को नाक में न जाने दें। नेजल इरिगेशन के लिए कभी नल का पानी सीधे न इस्तेमाल करें। केवल उबला हुआ और ठंडा किया हुआ पानी इस्तेमाल करें। पूल में क्लोरी की मात्रा दुरुस्त रखें। अगर गर्म पानी में जाने के बाद बुखार, सिरदर्द या मेनिंगाइटिस जैसे लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सरकार ब्रेन ईटिंग अमीबा को रोकने के लिए क्या कर रही है?
BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने 27 लाख कुएं क्लोरीन से साफ किए, तालाबों पर नहाने की मनाही के बोर्ड लगाए, स्विमिंग पूल की निगरानी बढ़ाई। स्वास्थ्य विभाग लोगों से अपील कर रहा कि साफ पानी इस्तेमाल करें, नाक में पानी न जाने दें, नोज क्लिप यूज करें, बच्चों को स्प्रिंकलर से दूर रखें।