ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी है। किसी भी व्यक्ति को स्ट्रोक तब आता है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह बाधित हो जाती है जिसकी वजह से मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती हैं और परेशानियां होने लगती है। ब्रेन स्ट्रोक कई बार जानलेवा भी हो सकता है। इसकी वजह से पैरालिसिस का अटैक आ सकता है। ब्रेन स्ट्रोक के मामले पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं।
हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से स्ट्रोक के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। WHO के अनुसार, हर साल दुनिया भर में स्ट्रोक के 12.2 मिलियन से अधिक नए मामले सामने आते हैं। हर 40 सेकंड में एक स्ट्रोक होता है, और हर 4 मिनट में एक स्ट्रोक से मौत होती है। पहले 55 की उम्र के बाद ब्रेन स्ट्रोक होता था लेकिन अब युवाओं में भी इसका खतरा 40 से 50% तक बढ़ गया है। अब किसी भी उम्र के व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। सर्दी के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक के केस बढ़ जाते हैं। आइए इस बीमारी से जुड़े लक्षण और इलाज के बारे में जानते हैं।
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सर्दी में क्यों बढ़ता है स्ट्रोक का खतरा?
सर्दी के मौसम में सिर और कान को ढककर रखें ताकि ठंडी हवाएं दिमार पर असर न डालें। तापमान में अचानक बदलाव ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज के खतरे को बढ़ा देता है।
स्ट्रोक के लक्षण
- चेहरे, हाथ और पैर का अचानक सुन्न होना।
- बोलने में परेशानी होना।
- चलने में परेशानी
- चक्कर आना
- तेज सिरदर्द
- पैरलाइज हो सकते हैं
स्वस्थ जीवनशैल से कम हो सकता है स्ट्रोक का खतरा
ब्रेन स्ट्रोक का मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल है। हाई बीपी, डायबिटीज, मोटापा, तनाव, शराब, धूम्रपान की वजह से भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। न्यूरो सर्जन डॉक्टर मुकेश दुबे के मुताबिक अगर लाइफस्टाइल में सुधार किया जाए तो 70% इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।

डॉक्टर मुकेश दुबे (न्यूरो सर्जन)- स्ट्रोक का खतरा उन्हीं लोगों को ज्यादा होता है जो हाइपरटेंशन, डायबिटीज, मोटापा या तनाव से पीड़ित हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करके इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। धूम्रपान और शराब का सेवन स्ट्रोक का मुख्य कारण है। स्वस्थ जीवनशैली ही ब्रेन स्ट्रोक की पहली और सबसे असरदार दवा है।
डॉक्टरों के मुताबिक स्ट्रोक के गोल्डन रूल के बारे में ज्यादातर लोग जागरूक नहीं है। अगर स्ट्रोक आने के साढ़े 4 घंटे के अंदर व्यक्ति का इलाज शुरू कर दिया जाए तो मस्तिष्क की कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाया जा सकता है। मरीज को जैसे ही बोलेने, चलने या देखने में दिक्कत महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर्स के मुताबिक आप इलाज में जितना देर करेंगे परेशानियां उतनी ज्यादा बढ़ेंगी। स्ट्रोक की वजह से बोलने में दिक्कत होती है, याददाश्त जा सकती है और मृत्यु भी हो सकती है।
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कैसे बच सकते है?
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।
वजन को कंट्रोल में रखता है।
शुगर को नियंत्रित रखें।
धूम्रपान और शराब छोड़ें।
स्वस्थ आहार लें।
योग करें।
एक्सरसाइज करें।