भारत में सिरदर्द को आम परेशानी समझी जाती है। क्या आप जानते हैं सिरदर्द आपके आत्महत्या का कारण बन सकता है। ऐसा हम नहीं जामा की स्टडी में कहा गया है। आइए जानते हैं क्या कहती है स्टडी। स्टडी में हेडेक डिसॉर्डर का जिक्र हुआ तो पहले उसे समझ लीजिए। अगर आपको बार-बार सिरदर्द होता है तो इसे हेडेक डिसॉर्डर (Headache Disorder) कहा जाता है। बार-बार सिरदर्द होने की वजह से आप आत्महत्या करने की कोशिश कर सकते हैं। डेनमार्क के आरहस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में बताया है कि जिन लोगों को बार-बार सिरदर्द की समस्या होती है वे लोग आत्महत्या करने की कोशिश ज्यादा करते हैं।
शोधकर्ताओं ने 25 सालों तक लंबा अध्ययन किया है जिसका टाइटल था कि जिन लोगों को सिरदर्द की समस्या रहती है वे लोग आत्महत्या जल्दी कर लेते हैं। ये स्टडी JAMA न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुई है। स्टडी में पता लगाया कि कैसे माइग्रेन, तनाव की वजह से सिरदर्द, पोस्टट्रूमैटिक सिरदर्द और ट्राइजेमिनल ऑटोनोमिक सेफालजिया से पीड़ित लोगों में आत्महत्या का खतरा अधिक होता है।
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सिरदर्द होने वाला व्यक्तियों में आत्मत्या करने का खतरा ज्यादा
दुनियाभर की लगभग 66.6% आबादी सिरदर्द से प्रभावित है जो कई तरह के मानसिक बीमारियों का कारण बनता है। पिछली कई स्टडी में भी बताया गया है कि माइग्रेन वाले लोगों में आत्महत्या करने का जोखिम ज्यादा होता है लेकिन अन्य सिरदर्द वाली बीमारी को आत्महत्या से जोड़ने वाले स्टडी लिमिटेड है।
स्टडी में पाया गया कि 1,19,486 लोग सिरदर्द से पीड़ित हैं और 5,97,430 लोगों में हेडेक डिसॉर्डर पाया गया है जिसमें माइग्रेन, तनाव की वजह से सिरदर्द, पोस्टट्रूमैटिक सिरदर्द और ट्राइजेमिनल ऑटोनोमिक सेफालजिया शामिल हैं। शोध में पाया गया कि सिरदर्द से पीड़ित 0.78% लोगों ने आत्महत्या करने की कोशिशि की थी जबकि हेडेक डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों में 0.33% थे। 15 साल की समय सीमा में 0.15% लोग हेडेक डिसऑर्डर से पीड़ित थे जिसमें से 0.21% प्रतिशत लोगों में आत्महत्या देखी गईं।
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सिरदर्द से पीड़ित लोगों में कैंसर, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, स्ट्रोक, सिर की चोट, मूड डिसॉर्डर का खतरा ज्यादा होता है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि आपकी आयु, लिंग और शिक्षा का स्तर क्या है। रिसर्च पेपर में शोधकर्ताओं ने बताया कि सिरदर्द की वजह से आत्महत्या की कोशिश और आत्महत्या के बीच में मजबूती देखी गई है और इन मरीजों को व्यवहार स्वास्थ्य मूल्यांकान और इलाज से फायदा मिल सकता है।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने की डॉक्टर की सलाह लें।