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शरीर बन जाता है पत्थर, क्या है यह गंभीर बीमारी? जानें लक्षण और बचाव

हम आपको त्वचा की दुर्लभ बीमारी इचथ्योसिस के बारे में बता रहे हैं। इसमें त्वचा पर मोटी परत जम जाती है।

Ichthyosis

इचथ्योसिस बीमारी की प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit: social media

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दुनिया में विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती हैं। हमने कैंसर, डायबिटीज, स्ट्रोक, डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों के बारे में जानते हैं लेकिन कई ऐसी दुर्लभ बीमारियां हैं जिनके मामले कम है। ये बीमारियां जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।

 

हम आपको इचथ्योसिस वल्गरिस नाम की बीमारी के बारे में बता रहे हैं। यह त्वचा की गंभीर बीमारी है जिसमें व्यक्ति की त्वचा में नमी बनाए रखने वाली कोशिकाएं खत्म हो जाती है। इस दौरान त्वचा की कोशिकाएं बहुत जल्दी-जल्दी बनने लगती हैं और पुरानी कोशिकाएं बहुत धीरे-धीरे छोड़ते हैं। इससे मोटी पपड़ीदार त्वचा बनने लगती है।

 

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इचथ्योसिस बीमारी क्या है?

इचथ्योसिस लगभग 30 त्वचा स्थितियों का एक समूह है जो त्वचा के शुष्क होने और पपड़ीदार होने का कारण बनता है। इचथ्योसिस के ज्यादातर मामले हल्के होते हैं लेकिन यह गंभीर भी हो सकता है। कुछ मामलों में इचथ्योसिस अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी में व्यक्ति की त्वचा सांप की केचुल या मछली की तरह दिखाई देने लगती है।

 

इचथ्योसिस के लक्षण

 

यह रोग त्वचा की डेड स्किन के झड़ने की प्रकिया को धीमा कर देता है। त्वचा के बढ़ने से त्वचा मोटी और सूखी बनती रहती है। 

  • त्वचा पर छोटे-छोटे धब्बे बन जाना
  • सेफद या ब्राउन रंग के निशान पड़ना
  • त्वचा में गहरी और दर्दनाक दरारें आना
  • सूखी पपड़ीदार त्वचा
  • त्वचा में रेडनेस
  • घुटनों को मोड़ने में तकलीफ होना
  • खुजली

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इचथ्योसिस का कारण

इचथ्योसिस वल्गरिस एक जेनेटिक बीमारी है जो आपको माता- पिता से विरासत में मिल सकती है। जिन बच्चों के माता-पिता में से किसी एक को यह बीमारी होती है तो उनमें इसके हल्के लक्षण देखने को मिलते हैं। कुछ लोगों में इसके गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं। अगर आपको अपने बच्चे की त्वचा पर स्केलिंग या खुदरापन दिख रहा है तो तुरंत त्वचा विशेषज्ञ से बात करें। इस बीमारी के लक्षण आपको कोहनी और निचले पैरों पर दिखाई देते हैं।

 

इचथ्योसिस वल्गरिस के लक्षण 5 साल या उससे छोटी उम्र के बच्चों में देखने को मिलते हैं। इसके लक्षण किशोरावस्था में बढ़ सकते हैं। कभी-कभी उम्र के साथ इसके लक्षणों में सुधार भी देखने को मिलता है। यह बीमारी आमतौर पर ठीक नहीं होती है। इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

 

 

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