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बटर, चिप्स और शराब में मौजूद ट्राइग्लिसराइड बना देगा हार्ट का मरीज

खराब लाइफस्टाइल के कारण हृदय रोग के मामले तेजी से बढ़े हैं। आइए जानते हैं कैसे ट्राइग्लिसराइड्स की वजह से हृदय की बीमारियां होने का खतरा क्यों बढ़ जाता है।

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प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)

आज के समय में खराब खानपान और सीडेंटरी लाइफस्टाइल हमारे सेहत के लिए नुकसानदायक है। हम में से ज्यादातर लोग जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं। इन चीजों में शुगर और अनहेल्दी फैट होता है। अनहेल्दी फैट के अधिक सेवन की वजह से हम कई तरह की बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। हम सभी जानते हैं कि खानेपीने के चीजों में दो तरह के फैट मौजूद होते हैं। एक गुड और दूसरा बेड फैट होता है। अगर ब्ल्ड प्रेशर के साथ कोलेस्ट्रॉल के लेवल पर ध्यान देते हैं तो साथ में ट्राइग्लिसराइड्स पर भी ध्यान दें।

 

ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा ज्यादा होने से हृदय संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप अपनी लाइफस्टाइल पर ध्यान देंगे तो ब्लड से ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम कर सकते हैं।

 

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क्या होता है ट्राइग्लिसराइड्स?

 

ट्राइग्लिसराइड्स एक तरह का लिपिड फैट होता है जो आपके ब्लड में शामिल होता है। जब हम खाना खाते हैं तो ट्राइग्लिसराइड्स का काम होता है कि शरीर को एनर्जी दें और कैलोरी को इकट्ठी करें। ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ने से हार्ट की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

 

ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रोल में क्या अंतर होता है?

 

ट्राइग्लिसराइड्सऔर कोलेस्ट्रोल में दो अलग तरह का लिपिड होता है जो ब्लड में सर्कुलेट होता है। ट्राइग्लिसराइड्स कैलोरी को इकट्ठा करता है और जरूरत पड़ने में शरीर को एनर्जी देता है। वहीं, कोलेस्ट्रोल शरीर के कोशिकाओं (सेल्स) को बनाता है और उन्हें रिपेयर करने का काम करता है।

 

ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने से क्या होता है?

 

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ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा ज्यादा होने से हृदय की धमनियां मोटी हो जाती है जिससे स्ट्रोक, हार्ट अटैक और हार्ट डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा ज्यादा होने से डायबिटीज और मोटापा का खतरा भी बढ़ जाता है। 

 

Mayo Clinic के मुताबिक, ब्लड टेस्ट के जरिए ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल जान सकते हैं।

 

सामान्य- 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम
बार्डरलाइन से ज्यादा- 150 से 199 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर
ज्यादा- 200 से 499 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर
सबसे ज्यादा- 500 से ज्यादा मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर

 

किन चीजों में होता है ट्राईग्लिसराइड्स

 

ट्राईग्लिसराइड्स सैचुरेटेड फैट (बटर, आईस क्रीम,चीज), ट्रांस फैट (फ्राइड फूड, फ्रेच फ्राइज, पिज्जा), शुगरी फूड और ड्रिंक,पैकेट वाली चीजें , चिप्स और शराब शामिल है।


ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम करने के लिए क्या करें

 

रोजाना एक्सरसाइज करें- हर दिन रोजाना करीब 30 मिनट एक्सरसाइड करें। रोजाना एक्सरसाइज करने से ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा कम होगी और शरीर में गुड कोलेस्ट्रोल बढ़ेगा। काम के दौरान भी ब्रेक लेकर वॉक पर निकलें। लंच में सीढियों का इस्तेमाल करें।
शुगर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें ना खाएं- जिन चीजों में चीनी की मात्रा ज्यादा होती है उन चीजों का सेवन ना करें।
वजन घटाए- वजन घटाने के लिए फिजिकल एक्टिविटी करें। अपने डाइट में एक्सट्रा कैलोरी वाली चीजों को सेवन ना करें। कैलोरी का सेवन करनें से ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा भी कम होती है।
हेल्दी फैट खाए- अपना खानपान में उन चीजों में शामिल करें जिसमें गुड फैट मिलता है जैसे ओमेगा 3 फैटी एसिड वाली चीजें। ट्रांस फैट का सेवन ना करें। 
शराब ना पिएं- शराब  हाई कैलोरी और शुगर वाली चीज होती हैं जिसके अधिक सेवन से ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ जाता है।

 

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है।

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