25 दिसंबर को दुनियाभर में क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में सेलिब्रिट किया जाता है। इस दिन लोग क्रिसमस ट्री को सजाते हैं, चर्च में प्रार्थना करते हैं, मोमबत्तियां जलाते हैं और दोस्तों संग पार्टी करते हैं। इस खास दिन पर लोग एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं। दुनियाभर में इस त्योहार को लोग अलग-अलग तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है।
क्रिसमस के त्योहार का बच्चों को बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि इस दिन उन्हें तोहफे मिलते हैं। क्रिसमस ट्री को सजाते समय उसमें चांद, सितारे लगाएं जाते हैं। घर में लाल जुराब को भी लटकाया जाता है। क्या आपने सोचा है कि इस प्रथा की शुरुआत कैसे हुई थी?
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क्रिसमस पर क्यों लटकाए जाते हैं लाल मोजे?
ऐसी मान्यता है कि तुर्की के मायरा में सेंट निकोलस नाम का एक अमीर व्यक्ति रहता था। वह व्यक्ति बहुत दयालु और अमीर था। वह जरूरतमंद लोगों की छिपकर मदद करता था ताकि उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचें। एक बार निकोलस को एक गरीब व्यक्ति के बारे में पता चला जिसकी तीन बेटियां थीं। वह अपनी बेटियों की शादी पैसों की कमी की वजह से नहीं कर पा रहा था। निकोलस ने उस व्यक्ति की मदद के लिए रात में लाल मोजे में ढेर सारे पैसे भरकर घर के नीचे रख दिए।
निकोलस ने उस व्यक्ति की कई बार मदद की। गरीब व्यक्ति ने निकोलस को ऐसा करते देख लिया। निकोलस ने कहा कि वह यह बात किसी को न बताएं लेकिन धीरे-धीरे यह बात पूरे गांव में फैल गई। इसके बाद लोग क्रिसमस पर सेंट निकोलस के नाम पर सांता क्लॉस बनकर लाल मोजे में गिफ्ट छिपाकर रखने लगे।
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कौन थे सांता क्लॉस
सांता क्लॉस का असली सांता निकलोस था। इतिहासकारों का कहना है कि प्रभु यीशू और सांता के बीच में कोई कनेक्शन नहीं है। वह बर्फीली पहाड़ियों में रहते थे। वह बचपन में ही पादरी बन गए थे। वह बहुत दयालु थे और उन्हें बच्चों से बेहद प्यार था। क्रिसमस के दिन वह बच्चों को गिफ्ट देते थे।