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आम नहीं है खांसी और सांस फूलने की बीमारी, जरा सी चूक जानलेवा हो जाएगी

ज्यादातर लोगों को लगता है कि ई सिगरेट सेहत के लिए ज्यादा नुकसानदायक नहीं होता है। हालांकि यह सच नहीं है। ई सिगरेट की वजह से फेफड़ों की गंभीर बीमारी हो सकती हैं।

Popcorn Lung

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)

हमारे खानपान का असर हमारी सेहत पर पड़ता है। कई लोग कुछ तनाव से बचने के लिए सिगरेट और ई सिगरेट का सेवन करते हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि ई सिगेरट सेहत के लिए खतरनाक नहीं होता है। इस वजह से युवाओं में भी इसका क्रेज काफी ज्यादा है। अगर आपको भी ऐसा लगता है तो बिल्कुल गलत है। ई सिगरेट सेहत के लिए बेहद हानिकारक है और इसे कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

 

ई सिगरेट की वजह से फेफड़ों में पॉपकॉर्न लंग बीमारी हो सकती है। हाल ही में अमेरिका की 17 साल की ब्रियान कलेन को यह बीमारी हुई है। उनकी मां ने ब्रियान की मां क्रिस्टी मार्टिन ने बताया कि उनकी बेटी ने 14 साल की उम्र में वैंपिंग शुरू की थी। 3 साल से लगातार वैंपिंग करने की वजह से ब्रियान को फेफड़ों की यह खतरनाक बीमारी हुई है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षणों के बारे में।

 

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पॉपकॉर्न लंग का कारण

 

'पॉपकॉर्न लंग' को ब्रोंरियोलाइटिस ओब्लिटरन्स कहते हैं। इस बीमारी में व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होता है। साल 2000 में यह बीमारी आई थी। यह बीमारी सबसे पहले पॉपकॉर्न प्लांट में काम करने वाले मजदूरों को हुई थी। जांच में सामने आया कि ये मजदूर डायएसिटाइल नाम के केमिकल के संपर्क में आए थे जो इस बीमारी का मुख्य कारण था। इसलिए इसका नाम पॉपकार्न लंग नाम पड़ गया।

 

 

ये फेफड़ों में मौजूद एयर स्कैस (सांस के रास्तों) को नुकसान पहुंचाता है। डायएसिटाइल सांस के छोटे छोटे रास्तों में पहुंचकर फाइब्रोसिस यानी सिकुडन कर देता है। ये छोटे रास्ते हैं इसलिए लंबे समय तक इनमें डायएसिटाइल का असर रहता है। इस वजह से आपको खांसी आती हैं और धीरे धीरे सांस लेने में दिक्कत होती है।

 

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डायएसिटाइटल केमिकल का इस्तेमाल पहले फूड प्रोडक्ट्स में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता था। इसका इस्तेमाल पॉपकॉर्न में बटर का स्वाद लाने के लिए किया जाता था। हालांकि बाद में इस केमिकल का इस्तेमाल ई सिगरेट में फ्लेवर लाने के लिए किया जाता है।

 

पॉपकॉर्न लंग के लक्षण

  • बार-बार खांसी आना
  • सांस लेने में दिक्कत होना
  • थकान महसूस होना

इस बीमारी के बारे में चेस्ट एक्स रे और सीटी स्कैन के जरिए पता लगाया जा सकता है। बीमारी की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी की जाती है। हालांकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। 

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।

 

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