सीने पर 'बोझ' से, ग्लैमर वर्ल्ड की एंट्री तक, ब्रेस्ट इंप्लांट्स का लेखा-जोखा
अमेरिका, यूरोप से लेकर एशिया तक, सिलिकॉन ब्रेस्ट इंप्लांट का चलन तेजी से बढ़ा है। ग्लैमर वर्ल्ड की कई हस्तियां इंप्लांट्स करा चुकी हैं। क्यों इसका क्रेज है, समझिए।

सांकेतिक तस्वीर। Photo Credit: Khabargaon.
मॉडल और अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा ने अपने ब्रेस्ट इंप्लांट हटवा लिए हैं। उन्होंने ब्रेस्ट एन्हान्समेंट सर्जरी कराई थी और सिलिकॉन के प्लेट्स को ब्रेस्ट में इंप्लांट कराया था। शर्लिन चोपड़ा ने कहा था कि दोनों इंप्लांट्स का वजन करीब 825 ग्राम था। अब उनका कहना है कि सिलिकॉन इंप्लांट का उनकी सेहत पर खराब असर पड़ रहा था इसीलिए उन्होंने सर्जरी के बाद करवाई और इंप्लांट हटवा लिए। पहले ब्रेस्ट इंप्लांट लगवाने और फिर हटवाने की इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। महिलाओं में इन इंप्लांट को लेकर एक डर समा गया है कि कहीं खूबसूरती के चक्कर में किया जाने वाला यह खर्च जानलेवा न साबित हो जाए।
शर्लिन चोपड़ा, अब युवा महिलाओं से बार-बार अपील कर रहीं हैं कि खूबसूरत दिखने की चाहत में शरीर के किसी भी हिस्से के साथ खिलवाड़ न करें। अगर ऐसा करना है तो पहले इसके जोखिमों के बारे में किसी विशेषज्ञ से बात करें। शरीर के किसी हिस्से को बढ़ाने के लिए हैवी इंप्लांट कराना, सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
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शर्लिन चोपड़ा, अभिनेत्री:-
ये भारी बोझ मेरे सीने से हट चुके हैं। एक इंप्लांट का वजन 825 ग्राम था। देश की युवा पीढ़ी से मेरी गुजारिश है कि सोशल मीडिया पर दूसरों से प्रभावित होकर, एक्स्ट्रा वाइडेशन की चाहत में अपने शरीर के साथ खिलवाड़ न करें। आपको जो भी बढ़वाना हो, उससे पहले उसके नफा और नुकसान के बारे में जान लें। अपने परिवार और हेल्थ एक्सपर्ट से चर्चा करें। यह भारी वजन सीने से हट गया है। मैं तितली की तरह हल्की महसूस कर रही हूं। सोशल मीडिया की चमक में, भीड़ का हिस्सा न बनें।
शर्लिन ने इंप्लांट क्यों कराया था?
शर्लिन चोपड़ा अपने इंप्लांट्स को लेकर मुखर रहीं हैं। उन्होंने कहा था कि बॉलीवुड इंडस्ट्री के दबाव और कंडीशनिंग की वजह से उन्होंने इंप्लांट कराए थे। शर्लिन चोपड़ा ने साल 2021 में इंप्लांट कराया था। उन्होंने कहा था, 'हीरोइनों के लिए 'परफेक्ट' वाइटल स्टैटिस्टिक्स 36-24-36 बताए जाते हैं। सोशल मीडिया और सोसायटी की उम्मीदों ने मुझे बाहरी वैलिडेशन की तलाश में धकेल दिया, यह एक अपग्रेड था। डॉक्टरों ने चेतावनी दी थी कि बड़े इंप्लांट्स से असुविधा हो सकती है। मुझे लगा कि वक्त के साथ यह ठीक हो जाएगा।'
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ब्रेस्ट इंप्लांट क्यों कराते हैं लोग?
महिलाएं ब्रेस्ट इंप्लांट आत्मविश्वास बढ़ाने, आकर्षक लुक पाने, प्रेग्नेंसी या उम्र के बाद स्तन का आकार सुधारने या मॉडलिंग जैसे करियर के लिए कराती हैं। फेमस सिंगर मेघन ट्रेनर ने ब्रेस्ट इंप्लांट को अपने जीवन का सबसे बेहतर फैसला बताया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें अब पहले की तुलना में बिकिनी में बेहतर फील होता है। सेक्स चेंज सर्जरी के बाद ट्रांसवुमेन भी ब्रेस्ट इंप्लांट कराती हैं। कई बार प्रेग्नेंसी के बाद स्तनों के आकार में बदलाव आता है, जवान दिखने के लिए महिलाएं इंप्लांट का सहारा लेती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर और मास्टेक्टॉमी से ब्रेस्ट गंवाने वाली महिलाएं, ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन के लिए इंप्लांट का सहारा लेती हैं। ब्रेस्ट इंप्लांट कराने वाली महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा ग्लैमर वर्ल्ड से जुटा है। मॉडलिंग, एक्टिंग और बॉडी मॉडिफिकेशन के शौकीनों के लिए इंप्लांट एक विकल्प है। करियर या पर्सनल स्टाइलिंग के लिए लोग इंप्लांट कराते हैं।
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इंप्लाट का साइज कितना होना चाहिए?
डॉ. लीला कासराय, प्लास्टिक सर्जन:-
भारतीय महिलाओं की बॉडी फ्रेमिंग के मुताबिक सिलिकॉन ब्रेस्ट इम्प्लांट का आकार 300-400 ग्राम तक डॉक्टर आमतौर पर रिकमंड करते हैं। यह प्राकृतिक दिखता है। पीठ-कंधे दर्द का जोखिम कम करता है। वजनी या लंबी महिलाओं के लिए 350-450 ग्राम तक सुझाया जा सकता है। सिलिकॉन प्लेट, बॉडी टाइप, लंबाई, वजन और मनचाहे लुक पर निर्भर करता है। सर्जरी से पहले 3D इमेजिंग और ट्रायल के जरिए साइज तय किया जाता है।
कितना खर्च आता है?
भारत में ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी की लागत 60,000 से 2.5 लाख रुपये के बीच में आती है। ब्रेस्ट इंप्लांट जोखिम भरा काम है, इसलिए हमेशा बोर्ड-सर्टिफाइड सर्जन का ही विकल्प चुनें।

राखी सावंत, अभिनेत्री:-
मैं बच्ची थी, घर से भाग गई थी। मुझे बॉलीवुड में एंट्री चाहिए थी। उस वक्त मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स सभी सर्जरी करवा रही थीं। सब कहते थे कि अगर बॉलीवुड में आना है तो आपकी बॉडी और फेस परफेक्ट होना चाहिए। मैं उस वक्त अधूरी थी, इसलिए मैं ऑपरेशन थिएटर में लेटी और एक 'कोल्ड गर्ल' से 'हॉट गर्ल' बन गई। जो चीजें गॉड नहीं देता, वह डॉक्टर दे देते हैं। मैंने सच बोला और उस दिन से ही लोग मुझे 'प्लास्टिक' बुला रहे हैं। मैं प्लास्टिक नहीं हूं, मैं कोई टिश्यू पेपर नहीं हूं। बॉलीवुड की हर अभिनेत्री ये करवाती है, हालांकि वे बताती नहीं हैं लेकिन मैं स्वीकार करती हूं कि मैंने अपना साइज सर्जरी से बढ़ाया है।

ब्रेस्ट इंप्लांट के खतरे, जिन्हें समझना जरूरी है
US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दिसंबर 2023 में एक रिसर्च तैयार की थी। रिसर्च में कहा गया था, 'ब्रेस्ट इंप्लांट के तत्काल बाद निप्पल एरिया में सूजन और रेडनेस नजर आ सकती है। इंप्लांट के घिसने और फटने का खतरा हमेशा बना रहता है। निप्पल और स्तन की संवेदनशीलता में बदलाव आता है। इम्प्लांट को कवर करने वाले टिश्यू सख्त हो जाते हैं। ब्रेस्ट इम्प्लांट की वजह से ब्रेस्ट एसोसिएटेड एनाप्लास्टिक लार्ज सेल लिम्फोमा भी हो सकता है, यह एक दुर्लभ कैंसर है। कुछ मरीजों में ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद बैक पेन, मांसपेशियों में खिंचाव और जोड़ों का दर्द उभरता है। मरीजों को हमेशा ऐसा फील होता है कि सीने पर कुछ रखा है।'
- क्रॉनिक पेन और सेंसेशन: ब्रेस्ट शरीर के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से एक है। इंप्लांट के बाद कई महिलाओं को निप्पल या ब्रेस्ट में दर्द, झनझनाहट या सुन्नपन जैसा महसूस हो सकता है। बैकपेन और जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है।
- ऐडिशनल सर्जरी: इंप्लांट लाइफटाइम नहीं होते। समय के साथ कई महिलाओं को एक या कई बार सर्जरी करानी पड़ सकती है।
- कैप्सुलर कॉन्ट्रैक्चर: यह वह स्थिति है जब इंप्लांट के आसपास बनी स्कार टिश्यू कठोर हो जाती है, जिससे ब्रेस्ट सख्त, दर्दनाक और असामान्य दिखने लगते हैं।
- इंप्लांट का फट जाना: सिलिकॉन इंप्लांट फट जाएं या लीक हो जाएं तो ब्रेस्ट के आकार पर असर दिखने लगता है। सिलिकॉन इंप्लांट फटने के बाद साइलेंट रेप्चर हो जाता है। इसे मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग या अल्ट्रासाउंड से ही पता किया जा सकता है।
- कैंसर का खतरा: कुछ मामलों में इंप्लांट के बाद शरीर की स्कार टिश्यू में एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर विकसित हो सकता है।
- घाव और संक्रमण: कई बार इंप्लांट के बाद संक्रमण बढ़ जाता है, घाव भरने में दिक्कतें आती हैं। इनकी वजह से टिश्यू खराब होने लगते हैं, गांठें पड़ जाती हैं।
- ब्रेस्ट इंप्लांट के बाद कुछ महिलाओं में थकान, ब्रेन फॉग, घुटनों के दर्द की समस्याएं बनी रहती हैं। कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग में दिक्कतें आतीं हैं। कई बार इंप्लांट गलत जगह शिफ्ट हो जाता है। इंप्लांट के बाद ब्रेस्ट के आकार में अंतर दिख सकता है, कई बार झुर्रियां विकसित होने लगती हैं, त्वचा फटने लगती है। हर महिला या ट्रांसपर्सन के इंप्लांट के बाद ऐसे लक्षण नजर आएं, यह जरूरी नहीं है।
ब्रेस्ट इंप्लांट बाजार का भविष्य कैसा है?
प्रेसिडेंस रिसर्च precedenceresearch.com की एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि दुनियाभर में ब्रेस्ट इंप्लांट्स का बाजार और बड़ा हो सकता है। साल 2024 में इसका बाजार करीब 23693 करोड़ रुपये का था। 2025 में ब्रेस्ट इंप्लांट का बाजार करीब 26,629 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच सकता है। साल 2034 तक यह बाजार करीब 51217 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है। दुनिया में कॉस्मेटिक सर्जरी की मांग तेजी से बढ़ गई है। महिलाएं, परफेक्ट बॉडी शेप के हासिल करने के लिए ऐसा कर रही हैं। 
अडल्ट इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाएं भी हैवी इंप्लांट कराती हैं। शर्लिन चोपड़ा ने भारतीय औसत से ज्यादा बड़ा सिलिकॉन प्लेट इंप्लांट कराया था। आमतौर पर भारत में केवल 350 से 400 ग्राम सिलिकॉन ब्रेस्ट इंप्लांट कराते हैं, शेरलिन ने 825 ग्राम के सिलिकॉन प्लेट इंप्लांट कराए थे।

अगर जरूरी हो इंप्लांट तो क्या करें?
डॉक्टर प्रीति यादव, कॉस्मेटिक सर्जन हैं। उन्होंने कहा, 'ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद ब्रेस्ट के आकार और संवेदना में भी बदलाव आ सकते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि इस सर्जरी से पहले संभावित नुकसान को जानना चाहिए। डॉक्टर से खुलकर सलाह-मशविरा करने के बाद ही इंप्लांट के लिए आगे बढ़ना चाहिए। ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद रिकवरी टाइमिंग, सावधानियां, और मरीज को होने वाले फिजिकल और मेंटल बदलावों की जानकारी बेहद जरूरी है। हर महिला या ट्रांस पर्सन के लिए सर्जरी का असर अलग हो सकता है।'
सिलिकॉन ब्रेस्ट इंप्लांट का इतिहास
दुनिया की पहली सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी 1930 में जर्मनी में लिली एल्बे की हुई थी। दुनिया उन्हें सर्जरी से पहले ईनार वेगेनर के तौर पर जानती थी। वह बच नहीं पाईं। साल 1952 में अमेरिका की क्रिस्टीन जॉर्जेंसन ने पहला सफल रिअसाइनमेंट सर्जरी कराया था। तब जेंडर सर्जरी हो जाती थी लेकिन ब्रेस्ट को लेकर शोध चल ही रहे थे। ब्रेस्ट इंप्लांट का इतिहास दशकों पुराना है। 1962 से पहले महिलाएं ग्लिसरीन, सिलिकॉन ऑयल, चर्बी या यहां तक कि सांप के जहर से बनवाई दवाइयां तक इंजेक्ट करवाती थीं। यह प्रक्रिया खतरनाक थी।
साल 1961 में दो अमेरिकी प्लास्टिक सर्जन डॉ. थॉमस क्रोनिन और डॉ. फ्रैंक जेरो ने सिलिकॉन जेल इंप्लांट बनाया था। शुरुआती दिनों के इम्प्लांट पतले और कम चिपचिपे थे। ऐसे इंप्लांट्स के बाद अक्सर कैप्सूलर कॉन्ट्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता था। स्तन सख्त हो जाते थे, इंप्लांट अंदर ही फट जाता था। साल 1980 से 1990 के दशक में सिलिकॉन इंप्लांट से कैंसर और बीमारी की खबरें सामने आईं।
साल 1992 में अमेरिकी एजेंसी FDA (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने सिलिकॉन इंप्लांट्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। कई सालों की रिसर्च और स्टडी के बाद, FDA ने नवंबर 2006 में सिलिकॉन जेल-भरे इंप्लांट्स को दोबारा मंजूरी दी। इसके बाद से यह पूरी दुनिया में अधिकृत रूप से इस्तेमाल हो रहा है।

दुनिया में कैसे बढ़ा इंप्लांट का क्रेज?
दुनिया की सबसे पहली सिलिकॉन ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी टिम्मी जीन लिंडसे नाम की महिला की हुई थी। वह टेक्सास की रहने वाली थीं। एक अस्पताल में वह अपने सीने से एक टैटू हटवाने गई थीं, तभी डॉक्टरों ने उनसे पूछा कि क्या वह एक नए तरह के इंप्लांट के लिए वॉलंटियर बनेंगी। वह तैयार हो गईं और 1962 में यह ऐतिहासिक सर्जरी की गई। यह सर्जरी सफल रही और इसके बाद दुनिया भर में ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन का रास्ता खुल गया।
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