उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यूपी सरकार को मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी। अब यूपी सरकार के मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाने के लिए मंदिर के आसपास 5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर सकेगी।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने यूपी सरकार की उस याचिका को मंजूर कर लिया, जिसमें कहा गया था कि श्री बांके बिहारी मंदिर के पैसों का इस्तेमाल सिर्फ मंदिर के आसपास 5 एकड़ जमीन को खरीदने के लिए किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने शर्त रखते हुए यह भी कहा कि जिस जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा, वह देवता या ट्रस्ट के नाम पर रजिस्टर होनी चाहिए।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 8 नवंबर 2023 को मंदिर के खजाने से जमीन का अधिग्रहण करने पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दो बड़ी बातें कहीं। पहली- मंदिर के आसपास 5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए मंदिर के खजाने से 500 करोड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। और दूसरी- अधिग्रहित की गई जमीन को देवता या ट्रस्ट के नाम पर रजिस्टर किया जाएगा।
दो जजों की बेंच ने यह भी साफ किया कि मंदिर के आसपास जो जमीन खरीदी जाएगी, वहां पर पार्किंग, श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था, टॉयलेट, सिक्योरिटी पोस्ट जैसी सुविधाएं बनाई जाएंगी।
कोर्ट ने 2022 में मंदिर में मची भगदड़ का जिक्र भी किया। कोर्ट ने कहा कि भगदड़ इसलिए मची क्योंकि भीड़ को संभालने के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया कि मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में अब सिर्फ कोर्ट ही रिसीवर नहीं होगी। बांके बिहारी मंदिर की देखरेख भी अब तक सिविल जज के पास थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में वैष्णव संप्रदाय से जुड़े व्यक्ति को रिसीवर नियुक्त किया जाए।
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कहां हैं बांके बिहारी मंदिर?
बांके बिहारी मंदिर मथुरा के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है। बांके बिहारी भगवान कृष्ण का ही रूप है, जिसे मंदिर में दिखाया गया है। इस मंदिर को 1864 में स्वामी हरिदास ने बनवाया था। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति खुद प्रकट हुई है।
यह मंदिर सिर्फ 1,200 वर्ग फीट में बना है। यहां हर दिन 50 हजार श्रद्धालु आते हैं। हफ्ते के आखिरी में यहा आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 1.5 से 2 लाख तक पहुंच जाती है। त्योहारों पर तो यहां 5 लाख तक श्रद्धालु एक दिन में आ जाते हैं।
कैसा होगा यहां बनने वाला कॉरिडोर?
जिस तरह काशी विश्वनाथ मंदिर में कॉरिडोर बना है, उसी की तर्ज पर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाया जाएगा। कॉरिडोर से बांके बिहारी मंदिर जाने के तीन रास्ते होंगे। पहला- जुगल घाट से। दूसरा- विद्यापीठ चौराहे से। और तीसरा- जादौन पार्किंग से।
जुगल घाट से मंदिर जाने वाले रास्ते में बनने वाली सड़क 25 मीटर चौड़ी होगी। विद्यापीठ चौराहे की सड़क 7 मीटर और जादौन पार्किंग की सड़क 15 मीटर चौड़ी होगी।
बताया जाता है कि बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर दो मंजिला होगा। कॉरिडोर में श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएं होंगी। परिक्रमा के लिए एक रास्ता भी बनेगा। इसका ऊपरी हिस्सा 11,600 वर्ग मीटर और निचला हिस्सा 11,300 वर्ग मीटर का होगा।
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कॉरिडोर से क्या फायदा होगा?
इस कॉरिडोर के लिए यूपी सरकार 262 करोड़ रुपये खर्च करेगी। 500 करोड़ रुपये में मंदिर के आसपास की 5 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी। कॉरिडोर के लिए 300 से ज्यादा दुकानों और मकानों का अधिग्रहण किया जाएगा और इसके लिए मुआवजा दिया जाएगा।
यूपी सरकार का कहना था कि मंदिर में अब तक एक बार में करीब 800 श्रद्धालु ही दर्शन कर पाते थे लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद 5,000 श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
इस कॉरिडोर के जरिए मंदिर और यमुना नदी को जोड़ा जाएगा। श्रद्धालु यमुना में डुबकी लगाने के बाद कॉरिडोर के जरिए सीधे मंदिर तक पहुंच सकेंगे।