स्किल सिखाने वाली स्कीम में ही कर दिया खेल, CAG ने खोली PMKVY की पोल
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) में गड़बड़ियां सामने आई हैं। CAG की रिपोर्ट में इसे लेकर कई खुलासे हुए हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: Social Media)
युवाओं को रोजगार और एंटरप्रेन्योरशिप के लिए तैयार करने के मकसद से मोदी सरकार ने 2015 में एक स्कीम शुरू की थी। इसका नाम 'प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना' यानी PMKVY था। जुलाई 2015 में जब इसे शुरू किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसके तहत युवाओं को व्यावसायिक, तकनीकी और कौशल विकास की शिक्षा दी जाएगी। इस योजना का सारा जिम्मा केंद्र सरकार के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के पास है।
अब इस योजना में कई सारी बड़ी गड़बड़ियां सामने आईं हैं। इस योजना की गड़बड़ियों को लेकर CAG की रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं।
CAG की इस रिपोर्ट में सामने आया है कि इस योजना के तहत कहीं बैंक खातों में फर्जी नंबर डाले गए हैं तो कहीं कई सारे लाभार्थियों के लिए एक ही फोटो का इस्तेमाल किया गया है। यह भी सामने आया है कि कई सारे ट्रेनिंग सेंटरों पर ताला लगा हुआ है।
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14,500 करोड़ खर्च हो चुके
कौशल विकास योजना को 2015 में लॉन्च किया गया था। 2015 से 2022 के बीच इसे तीन चरणों में लागू किया गया। इन सालों में इस योजना पर 14,500 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
2015-16 में पहला चरण PMKVY 1.0 लागू हुआ, जिसके लिए 1,500 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस चरण में 24 लाख युवाओं को ट्रेनिंग दी जानी थी। हालांकि, 19.86 लाख युवाओं को ही ट्रेनिंग मिली और 14.51 लाख को ही सर्टिफिकेट मिला।
अक्टूबर 2016 में इसका दूसरा चरण लागू किया गया। यह 2016-2020 तक रहा। इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया। इसे केंद्र और राज्य स्तर पर लागू किया गया। इसका 75% फंड केंद्र और 25% राज्य सरकारों ने दिया। दूसरे फेज में 1.10 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग दी गई, जिनमें से 91.58 लाख को सर्टिफिकेट मिला।
इसके बाद जनवरी 2021 में तीसरा फेज आया। 2021-22 में PMKVY 3.0 के लिए 949 करोड़ रुपये का बजट रखा गया। इस दौरान 7.37 लाख युवाओं को ट्रेनिंग दी गई। इनमें से 4.33 लाख को सर्टिफिकेट दिया गया।
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बैंक अकाउंट में गड़बड़ियां
CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस स्किल इंडिया पोर्टल (SIP) पर रिकॉर्ड किए गए बैंक अकाउंट नंबर में गड़बड़ियां पाई गईं।
पता चला कि 95.91 लाख उम्मीदवारों में से 90.66 लाख की बैंक अकाउंट डिटेल्स की फील्ड में 'Zero' या 'Null' लिखा था या फिर उसे खाली ही छोड़ दिया गया था। बाकी बचे 5.24 लाख उम्मीदवारों में से 52,381 उम्मीदवारों के बैंक अकाउंट नंबर दो या उससे ज्यादा बार दोहराए गए थे। इसके अलावा बाकी बचे 4.72 लाख से ज्यादा अकाउंट में एक ही नंबर पर का इस्तेमाल किया गया था। जैसे- बहुत सारे बैंक खातों में '11111111111' और '123456' जैसे नंबर लिखे गए थे।

CAG ने अपनी रिपोर्ट में मई 2023 में मंत्रालय का स्पष्टीकरण भी दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि 'शुरू में SIP पर अकाउंट डिटेल्स एक जरूरी फील्ड थी लेकिन जमीनी स्तर पर लागू करने में समस्याओं के कारण बाद में इसे गैर-जरूरी बना दिया गया।' मंत्रालय ने कहा था कि उम्मीदवारों को पेमेंट आधार कार्ड से जुड़े बैंक अकाउंट में पेमेंट का सपोर्ट दिया गया, जिससे बैंक अकाउंट नंबर लेने की जरूरत नहीं पड़ी।
इस गड़बड़ी का नतीजा यह हुआ कि बहुत से युवाओं को पेमेंट ही नहीं मिली। CAG ने बताया अधूरी जानकारी के कारण PMKVY के 34 लाख से ज्यादा सर्टिफाइड उम्मीदवारों को पेमेंट नहीं मिली। अक्टूबर 2024 की मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि 95.91 लाख सर्टिफाइड उम्मीदवारों में से 61.14 लाख को ही पेमेंट मिली।
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कई लोगों के लिए एक ही फोटो का इस्तेमाल
CAG ने यह भी पाया कि बहुत सारे ट्रेनिंग सेंटर बंद पड़े थे लेकिन कागजों में दिखाया गया कि यहां ट्रेनिंग चल रही है।
रिपोर्ट में सामने आया कि उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में कई लोगों के नाम पर एक ही फोटो लगा दी गई। इससे पता चलता है कि योजना का डेटा और रिकॉर्ड सही नहीं है।

इसमें यह भी कहा गया है कि 24 अलग-अलग सेक्टर्स में 40 करोड़ से ज्यादा युवाओं को स्किल ट्रेनिंग की जरूरत थी लेकिन ट्रेनिंग देने से पहले ये पता नहीं लगाया गया कि किस जॉब के लिए कितने और कौन से रोल की जरूरत है।
यह भी सामने आया है कि PMKVY का काम सिर्फ कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ही नहीं संभालता है, बल्कि 22 अलग-अलग केंद्रीय मंत्रालय और राज्य सरकारें भी देखती हैं लेकिन इनके बीच भी कोई तालमेल नहीं दिखा। इसमें कहा गया है कि इस योजना के लिए जो प्लानिंग और सिस्टम चाहिए था, उसमें कमी रही और इस कारण इतनी सारी गड़बड़ियां सामने आईं।
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