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केंद्र ने पूर्वोत्तर के 3 राज्यों में 6 महीने के लिए बढ़ाया AFSPA

केंद्र की अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के आठ जिलों और पांच अन्य दूसरे जिलों के 21 पुलिस थानों में छह महीने के लिए आफ्स्पा को बढ़ा दिया है।

AFSPA act

अमित शाह। Photo Credit- PTI

केंद्र सरकार ने मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने रविवार को इसको लेकर अधिसूचना जारी की है। 

 

गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा की वजह से राज्य के कानून व्यवस्था की समीक्षा की गई, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। केंद्र ने मणिपुर के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र को छोड़कर बाकी पूरे राज्य में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक अफस्पा लागू करने का फैसला किया है।

 

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मणिपुर के 6 जिलों में छह महीने के लिए अफस्पा

 

बता दें कि इससे पहले सितंबर 2024 में मणिपुर के 6 जिलों में छह महीने के लिए अफस्पा लागू कर दिया गया था। यह इसी साल 31 मार्च को समाप्त हो रहा था, लेकिन राज्य में जारी हिंसक झड़पों के बाद केंद्र सरकार ने अब यह फैसला लिया है।

 

नगालैंड आठ जिलों में पूर्ण अफस्पा

 

केंद्र की अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के आठ जिलों और पांच अन्य दूसरे जिलों के 21 पुलिस थानों में छह महीने के लिए आफ्स्पा को बढ़ा दिया है। अफस्पा नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्रों के लिए घोषित किया गया है। यहां 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक आफ्स्पा लागू रहेगा।

 

अरुणाचल प्रदेश तीन पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा

 

वहीं, अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ तीन पुलिस थाना क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए अफस्पा को बढ़ाया गया है। अधिसूचना के मुताबिक अरुणाचल के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों में यह कानून लागू किया गया है। इसके अलावा असम की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले के नामसाई, महादेवपुर और चौखाम पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ाया गया है।

 

अफस्पा क्या है?

 

अफस्पा कानून के तहत सुरक्षा एजेंसियां किसी को भी बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती हैं। हालांकि, केंद्र सरकार अफस्पा को केवल देश के अशांत क्षेत्रों में लागू करती है। जहां अफस्पा को लागू किया जाता है वहां सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में सुरक्षाबल बल का भी प्रयोग करते हैं। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया था।

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