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बगल में खड़े मंत्री ने छींका, ट्रंप का अंधविश्वास बाहर आ गया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो वायरल है। इससे पता चलता है कि ट्रंप पश्चिम देशों में प्रचलित सबसे आम अंधविश्वास पर यकीन रखते हैं। जानते हैं कि यह अंधविश्वास क्या है?

Donald Trump and Robert F. Kennedy Jr.

डोनाल्ड ट्रंप और रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर। (Photo Credit: Social Media)

कुछ दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप मीडिया से मुखातिब हैं। उनके बगल में स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर खड़े हैं। इस बीच रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर को छींक आ गई। ट्रंप ने हंसते हुए कहा कि आशा है कि मुझे अभी कोविड-19 नहीं हुआ होगा। यह सुनते सभी लोग हंस पड़े। ट्रंप ने इस बीच एक और बात कही। उस पर बहुत कम लोगों का ध्यान गया। जब रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने छींका तो ट्रंप ने तुरंत कहा कि 'God bless you'। इन तीन शब्दों का संबंध पश्चिम देशों से जुड़े एक रोचक अंधविश्वास से है। इस वाकये ने यह भी साबित कर दिया कि डोनाल्ड ट्रंप भी अंधविश्वासी हैं। आइये जानते हैं- यह अंधविश्वास क्या है, इसकी शुरुआत कब से हुई और पश्चिमी देशों में छींकने को अपशगुन क्यों मानते हैं। 

 

अगर आप किसी पश्चिमी देशों में छींकते हैं तो सामने वाला व्यक्ति तुरंत कहता है कि भगवान आपका भला करे। वहीं भारत जैसे देशों में छींकने पर व्यक्ति क्षमा मांगता है। पश्चिम में छींक को अपशगुन माना जाता है। भारत में भी अगर कोई व्यक्ति कहीं जा रहा है और उस वक्त किसी ने छींक दिया तो उसे लोग अच्छा नहीं मानते हैं। मगर पश्चिम देशों की कहानी अलग है।

 

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छठी शताब्दी ईसवीं में इटली में एक भयानक महामारी फैली थी। इसके लक्षणों में छींक आना शामिल था। अक्सर छींक आने के बाद लोगों की मौत हो जाती थी। आम जनमानस में छींक के प्रति खौफ भर गया। अगर कोई व्यक्ति छींकता था तो लोग मानते थे कि उसकी मौत नजदीक है। छींकने पर लोग 'आप स्वस्थ रहे' जैसे शब्दों से अपनी संवेदना व्यक्त करते थे, लेकिन तत्कालीन पोप ग्रेगरी ने इस प्रथा में बदलाव किया। 

 

उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर कोई छींकता है तो स्वस्थ रहने की जगह 'भगवान आपका भला करें' शब्दों का इस्तेमाल करें। कई सदियों में यह सामान्य धारणा बन गई कि छींक वाले व्यक्ति की सेहत सही नहीं है। उसे ईश्वरीय कृपा की जरूरत है। जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण इससे अलग है। सैकड़ों साल बीतने के बाद भी पश्चिमी देशों में यह अंधविश्वास खूब प्रचलित है।

 

अब सवाल यह उठता है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप की वजह से मंत्री रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर अपनी छींक रोक लेते तो... दरअसल, वैज्ञानिकों का मानना है कि छींक रोकना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपको छींक आती है तो उसे बिल्कुल न रोकें। लाइव साइंस वेबसाइट से बातचीत में सेंट लुईस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में सिर और गर्दन के सर्जन एलन वाइल्ड ने बताया कि मैं छींक रोकने की सलाह नहीं देता हूं।

 

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उनका कहना है कि नाक को रगड़ने, जोर से सांस लेने और ऊपर वाले होंठ को दबाने से छींक रुक सकती है। लेकिन छींक आने पर उसे बाहर निकालना ही बेहतर है। वाइल्ड का कहना है कि छींक से शरीर के अंदरूनी हिस्से में चोट लगने का खतरा कम है। मगर कई बार बदकिस्मत से ऐसा होता है। अगर को शख्स बहुत तेजी से छींकता है तो गर्दन को चोट लग सकती है।

छींक रोकने से क्या हो सकता है?

  • छींक रोकने पर सीने के डायाफ्राम को चोट लग सकती है। 
  • मस्तिक की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है।
  • अगर ब्लड प्रेशर में इजाफा हुआ तो रक्त वाहिका फट सकती है।
  • कान की यूस्टेशियन नलियों में हवा भर सकती है।
  • कान के आंतरिक हिस्से को चोट लग सकती है।
  • कान के पर्दे तक फट सकते हैं। 
  • आंख में सफेद वाले हिस्से में रक्त वाहिका टूट सकती है।
     
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