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MUDA मामले में ED की बड़ा ऐक्शन, अटैच की 100 Cr कीमत की 92 प्रॉपर्टी

ईडी अब तक कुल 400 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुका है। आरोप है कि गलत तरीके से रिश्वत लेकर जमीनें आवंटित की गई हैं।

enforcement directorate । Photo Credit: PTI

प्रवर्तन निदेशालय । Photo Credit: PTI

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले की जांच में बड़ी कार्रवाई की घोषणा की। ईडी ने 92 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है। इनमें मुख्य रूप से एमयूडीए की साइट्स शामिल हैं। इन संपत्तियों की बाजार कीमत करीब 100 करोड़ रुपये है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई है। ईडी ने इस मामले में अब तक कुल 400 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

 

ईडी ने अपनी आधिकारिक एक्स पोस्ट में कहा, 'ईडी, बैंगलोर ने 9 जून 2025 को पीएमएलए, 2002 के तहत एमयूडीए घोटाले से जुड़े मामले में 100 करोड़ रुपये कीमत की 92 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त किया है। यह मामला सिद्धारमैया और अन्य लोगों से संबंधित है, जिसमें अब तक 400 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।' ईडी के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने बताया कि इससे पहले करीब 300 करोड़ रुपये की कीमत वाली 160 MUDA साइट्स को भी जब्त किया गया था। ईडी के मुताबिक जांच में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए हैं।

 

यह भी पढ़ेंः नोट पकड़ने वाले ED के अफसर खुद 20 लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार

क्या है एमयूडीए घोटाला? 

एमयूडीए घोटाला मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (मुदा) में साइट्स के अवैध आवंटन से जुड़ा एक बड़ा घोटाला है। इस घोटाले में कथित तौर पर नियमों और सरकारी दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर साइट्स का आवंटन किया गया। जांच में पता चला कि एमयूडीए के अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों ने मिलकर फर्जी दस्तावेजों और गलत तरीकों से अयोग्य व्यक्तियों और संस्थाओं को साइट्स आवंटित कीं। इन साइट्स का आवंटन कैश, बैंक ट्रांसफर और अन्य चल-अचल संपत्तियों के बदले रिश्वत लेकर किया गया।

 

इस घोटाले में शामिल लोगों ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर बैंक खातों और सहकारी समितियों के जरिए रिश्वत की रकम को इधर-उधर किया। कई मामलों में आवंटन पत्रों को पहले की तारीख देकर तैयार किया गया, ताकि अवैध गतिविधियों को छिपाया जा सके। जांच में यह भी सामने आया कि एमयूडीए के पूर्व कमिश्नर जीटी दिनेश कुमार जैसे अधिकारियों ने इस घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

 

ईडी की बैंगलोर जोनल ऑफिस ने इस मामले की जांच तब शुरू की, जब मैसूर की लोकायुक्त पुलिस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की।

पूर्व आयुक्त की भूमिका 

जांच में पूर्व एमयूडीए आयुक्त जीटी दिनेश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। उनके द्वारा अयोग्य व्यक्तियों और संस्थाओं को रियायती साइट्स आवंटित करने में नियमों का उल्लंघन किया गया। ईडी ने इस घोटाले में शामिल प्रभावशाली लोगों के लिए काम करने वाली हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटीज और व्यक्तियों के नाम पर रजिस्टर्ड संपत्तियों को जब्त किया है।

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