जम्मू-कश्मीर में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पिछले दो हफ्तों से बारिश और भूस्खलन की वजह से बंद है। इस हाईवे के बंद होने से कश्मीर घाटी में जरूरी सामान की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है, खासकर सेब की फसल को भारी नुकसान हो रहा है। इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को अपनी बात रखी।
फारूक अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ये मुश्किलें, बारिश और भूस्खलन अल्लाह के गुस्से का नतीजा हैं। उन्होंने कहा, 'हम अल्लाह से दूर हो गए हैं। हम नमाज़ नहीं पढ़ते, इसलिए ऐसी मुश्किलें आ रही हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी परेशानियां हमें अल्लाह की ओर लौटने के लिए जागरूक करती हैं। फारूक ने गाजा में हो रही हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, 'वहां हजारों लोग मर रहे हैं, लेकिन कोई मुस्लिम देश इस पर आवाज़ नहीं उठा रहा।'
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उमर अब्दुल्ला ने लिया जायजा
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को हाईवे के थरद इलाके में चल रहे मरम्मत कार्य का जायजा लिया। इस इलाके में सड़क को काफी नुकसान हुआ है। उमर ने अधिकारियों को जल्द से जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हाईवे के बंद होने से जरूरी सामान, खासकर ताजे फल, की सप्लाई रुक गई है।
मंगलवार को उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए NH-44 की स्थिति पर चर्चा की। उमर ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने इस संकट को हल करने के लिए कुछ निर्देश दिए हैं, जिन्हें तुरंत लागू किया जाएगा ताकि ट्रकों की आवाजाही फिर से शुरू हो सके।
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सेब किसानों को नुकसान
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में कई राजनीतिक दलों ने हाईवे पर एक महीने से फंसे सेब से लदे ट्रकों को जल्द से जल्द निकालने की मांग को लेकर प्रदर्शन किए। यह संकट न केवल सेब किसानों के लिए, बल्कि पूरे कश्मीर घाटी के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। सरकार और प्रशासन इस समस्या को जल्द हल करने की कोशिश में जुटे हैं।