कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र से चर्चा में आया गुलियन बेरी सिंड्रोम अभी तक 5 लोगों की जान ले चुका है। लोग इससे उबर भी रहे हैं लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग आईसीयू पर या फिर वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। इसके मामले महाराष्ट्र के पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और पुणे ग्रामीण क्षेत्र में सामने आए हैं। अब महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी मॉनिटरिंग भी तेज कर दी है। बताया गया है कि गुलियन बेरी सिंड्रोम लोगों के इम्यून सिस्टम और नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है जिसके चलता लोगों को लकवा भी मार जाता है। फिलहाल, इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं खोजा जा सका है जिसके चलते अलग-अलग तरीकों और दवाओं से ही मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
महाराष्ट्र के इन जिलों में गुलियन बेरी सिंड्रोम के केस आने के बाद प्रभावित इलाकों में रैपिड रेस्पॉन्स टीमें तैनात की गई हैं। पुणे के कई इलाकों से पानी के सैंपल लिए गए हैं और उनकी जांच के लिए उन्हें लैब में भी भेजा गया। इसमें से 33 जगह का पानी दूषित पाया गया। प्राइवेट अस्पतालों और डॉक्टरों से भी अपील की गई है कि अगर उनके पास आने वाले मरीजों में गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण दिखें तो वे स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें। अभी तक पुणे नगर निगम क्षेत्र के 45034, पिंपरी चिंचवाड़ के 19232 और पुणे ग्रामीण क्षेत्र के 13089 घरों का सर्वे किया जा चुका है।
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अब तक कितने बीमार?
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक कुल 170 लोग ऐसे पाए गए हैं जिनमें गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण पाए गए हैं। इसमें से 5 लोगों की मौत भी हो चुकी है। कुल 132 लोग ऐसे हैं जिनमें गुलियन बेरी सिंड्रोम की पुष्टि हुई है। इसमें से 62 लोग ठीक हो चुके हैं और उन्हें डिस्चार्ज भी किया जा चुका है। 61 लोग ICU में हैं और 20 लोग अभी वेंटिलेटर पर हैं।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, कुल केस में से 86 केस पुणे नगर निगम क्षेत्र से हैं, 22 पिंपरी चिंचवाड़ से हैं और 21 पुणे ग्रामीण से और 8 अन्य जिलों से हैं। संक्रमित लोगों में से 22 की उम्र 9 साल से कम, 23 की उम्र 10 से 19 साल के बीच, 38 की उम्र 20 से 29 साल के बीच है। 3 लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 80 साल से भी ज्यादा है।
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लोगों को सलाह
स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को सलाह दी गई है कि पीने के पानी को लेकर खास सजग रहें और पानी उबालकर ही पिएं। खाने-पीने की चीजों में भी साफ-सफाई का ध्यान दें। कम पके हुई चीजों और चिकन-मटन को खाने से बचें। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि लक्षण दिखने पर वे घबराएं नहीं।