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कफ सिरप, मौत और हंगामा, जांच के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या बताया?

कफ सिरप से बच्चों की मौत के हंगामे के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। मंत्रालय ने बताया कि सिरप की जांच में क्या मिला? इस बीच स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने 2 वर्ष से छोटे बच्चों को सिरप नहीं देने की सलाह दी है।

cough syrup case,

सांकेतिक फोटो।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में सात और राजस्थान में तीन बच्चों की मौत हुई है। आरोप है कि कथित तौर पर उनकी मौत कफ सिरप पीने से हुई है। अब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का बयान सामने आया है। मंत्रालय ने कहा कि कई रिपोर्ट में बताया गया कि मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत कफ सिरप के पीने से हुई है।इसके बाद राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के प्रतिनिधियों की एक साझा टीम ने घटनास्थल का दौरा किया। प्रदेश सरकार के अधिकारियों के साथ समन्वय करके कई कफ सिरप के नमूने जुटाए।

 

मंत्रालय ने आगे कहा कि टेस्ट रिजल्ट के मुताबिक किसी भी नमूने में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) व एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) नहीं मिला है। मध्य प्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी तीन नमूनों की जांच की। इसमें भी डीईजी और ईजी नहीं मिला है। पुणे स्थित एनआईवी ने ब्लड/सीएसएफ नमूनों की जांच की। इसमें एक केस में लेप्टोस्पायरोसिस पॉजिटिव मिला है। बता दें कि डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल को खतरनाक माना जाता है। इनकी वजह से किडनी डैमेज होने का खतरा होता है। कई मौकों पर मरीज की जान तक चली जाती है।

 

 

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि नीरी, एनआईवी पुणे और अन्य लैब में पानी, कीटविज्ञान संबंधी वेक्टर और श्वसन नमूनों की जांच की जा रही है। मौत के पीछे की कारणों की एनसीडीसी, एनआईवी, आईसीएमआर, एम्स नागपुर और मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों की एक टीम तलाश रही है। मंत्रालय आगे कहा कि राजस्थान में भी कफ सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं मिला है। 

 

 

दो साल से छोटे बच्चों को न दें सिरप: डीजीएचएस

स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने एक नई ए़़डवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए।  आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को इनकी अनुशंसा नहीं की जाती है। 

 

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इन बच्चों की गई जान

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के 13 बच्चों का अभी इलाज चल रहा है। इनमें से आठ बच्चे का इलाज नागपुर में चल रहा है। तीन बच्चे डायलिसिस पर हैं। छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर तामिया और कोयलांचल इलाकों में अधिकांश मौतें हुई हैं। जान गंवाने वाले बच्चों में शिवम (9), विधि (6), अदनान (6), उसैद (9), ऋषिका (10), हेतांश (11), विकास (9), चंचलेश (8) और संध्या भोसम (7) का नाम शामिल है। 

24 अगस्त को सामने आया पहला मामला

कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नरेश गुन्नाडे के मुताबिक छिंदवाड़ा में संक्रमण का पहला मामला 24 अगस्त को सामने आया था। वहीं 7 सितंबर को पहली मौत हुई। अधिकारियों के मुताबिक संक्रमण के शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार और पेशाब करने में तकलीफ आती है। छिंदवाड़ा कलेक्टर हरेंद्र नारायण का कहना है कि दो संदिग्ध सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

 

 

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