फ्रंटफुट पर खेलने वाली BJP डिफेंसिव कैसे हो गई? कांग्रेस ने क्या किया
चुनाव बाद यह समझ में आया कि बीजेपी के सामने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, डीएमके, आरजेडी, शिवसेना (UBT), एनसीपी (SCP) आदि पार्टियों ने अपनी खोई हुई ताकत वापस पाई।

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी। Photo Credit- PTI
पिछले 11 साल के भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सत्ता में बरकरार है। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज की, जिसके बाद पार्टी अपने दम पर पहली और दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही। इन दोनों चुनावों में भगवा पार्टी ने जैसे चाहा, वैसे विपक्ष उसके मुद्दों के इर्द-गिर्द घुमता रहा। यही वजह है कि दशकों तक भारत में सरकार चलाने वाली कांग्रेस को 2014 में 44 और 2019 में महज 52 सीटें आईं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के पास मुद्दे नहीं थे। विपक्षा के पास मुद्दे थे लेकिन बीजेपी उस वक्त देश के सामने जो मुद्दे उठा रही थी उसको देश अधिकतर जनता पसंद कर रही थी।
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जिन भी मुद्दों को केंद्र में लेकर आते थे उसपर देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस और अन्य दल जवाब देते थे लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद की स्थितियां अब पहले जैसी सामान्य नहीं रही हैं। अब समय बदल गया है। पिछले चुनाव से बीजेपी और पीएम मोदी के पास अब वो ताकत कम हो गई है, जब वो कोई भी मुद्दा उठा दें और कांग्रेस देखती रह जाए।
आंकड़े क्या कह रहे हैं?
दरअसल, यह बात हम नहीं बल्कि पिछले लगभग साढे तीन महीनों के आंकड़े कह रहे हैं। देश की केंद्र की राजनीति को देखने के बाद तो ऐसा ही लगता है। वर्तमान में देश की राजनीति सिर्फ 'बीजेपी मय' नहीं है, अब कांग्रेस और अन्य क्षेत्रिय पार्टियों की बात भी जनता सुन रही है। कांग्रेस इस तरह से अपनी बात देश के पटल पर रख रही है कि जनता उसकी बातों को तरजीह दे रही है।
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देश की राजनीति का पैटर्न बदला
देश की राजनीति में 11 साल पीछे जाने पर हमें 2014 का लोकसभा चुनाव दिखाई देता है। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर वहां का विकास और सपने लेकर चुनाव में उतरे थे। वह अपना विजन देश को दिखाने में कामयाब रहे। देश की जनता ने उनके विजन पर विश्वास किया और बीजेपी की झोली में 282 लोकसभा सीटें डाल दीं। इतिहास में पहली बार बीजेपी ने केंद्र में अपने अकेले के दम पर सरकार बनाई। इसके बाद अगले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भारत की जनता ने एक बार फिर से पीएम मोदी पर भरोसा बरकरार रखते हुए 303 सीटें जीताने में मदद की।
मगर, 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद देश की राजनीति का पैटर्न बदला है। जो जनता नरेंद्र मोदी की बात को ज्यादा तरजीह देती थी, वही जनता अब कांग्रेस की बातों पर भी ध्यान देने लगी है। जिस उत्तर भारत में बीजेपी का जलवा था, अब उसी उत्तर भारत में कांग्रेस धीरे-धीरे मजबूत होने लगी है। ऐसे में आइए जानते हैं कि पिछले 11 साल से फ्रंटफुट पर खेलने वाली बीजेपी बीते एक साल में डिफेंसिव कैसे हो गई? कांग्रेस ने ऐसा क्या किया है?
2024 के लोकसभा चुनाव पर एक नजर
सबसे पहले 2024 के लोकसभा चुनाव पर एक नजर डाल लेते हैं फिर उसके बाद आगे की कहानी पर बढ़ते हैं। 2024 के चुनाव में बीजेपी ने देश के सामने मोदी सरकार की पिछले 10 सालों में किए गए विकास कार्यों और विकसित भारत का विजन सामने रखा। वहीं, कांग्रेस और विपक्ष ने मोदी सरकार की 10 सालों में नौकरी, महंगाई पर विफलता और संविधान के मुद्दे को जनता के सामने रखा। दोनों खेमों के मुद्दों को देखकर जनता ने वोट किया। जब चुनावी रिजल्ट सामने आए तो जो बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने में आसानी से सफलता हासिल कर रही थी, उसी को 240 सीटें आईं और कांग्रेस 52 से आगे निकलकर 99 सीटों पर पहुंच गई। बाद में बीजेपी ने जेडीयू और टीडीपी के समर्थन से केंद्र में तीसरी बार सरकार बनाई।
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चुनाव बाद यह समझ में आया कि बीजेपी के सामने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, डीएमके, आरजेडी, शिवसेना (UBT), एनसीपी (SCP) आदि पार्टियों ने अपनी खोई हुई ताकत वापस पाई। मगर, समय के साथ में विपक्ष को बीजेपी को घेरने में अभूतपूर्व सफलता मिली है। खासतौर से इसी साल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के बाद से।
ऑपरेशन सिंदूर पर घिरी सरकार?
22 अप्रैल को पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की मौत हो हुई थी। हमले के बाद भारत ने 7 मई की रात को पाकिस्तान के उपर ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के महत्वपूर्ण ठिकानों के धवस्त कर दिया। भारत के हमलों से तिलमिलाए पाकिस्तान ने भी भारत के उपर ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए। दोनों देशों में संघर्ष होने लगा, जो तीन दिन (10 मई की शाम) तक चला। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक से ऐलान किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहा संघर्ष खत्म हो गया है। ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच 'सीजफायर' हो गया है।
पाकिस्तान के साथ हुए इस सीजफायर के बाद देश की जनता को धक्का लगा। सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई कि इस बार तो पीएम मोदी को पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए था। मगर, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने यह सीजफायर करवाने के लिए भारत और पाकिस्तान को 'ट्रेड' की धमकी दी। इसके बाद ट्रंप ने दर्जनों बार इस बात को दोहराया है कि उन्होंने सीजफायर के लिए भारत को व्यापार को लेकर धमकी दी थी।
कांग्रेस ने बीजेपी को घेर लिया?
कांग्रेस ने इन्हीं बातों को लेकर मोदी सरकार और बीजेपी को घेर लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी सवाल पूछ रहे हैं कि जब उनकी पार्टी सहित समूचे विपक्ष ने सरकार का साथ दिया था तो प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम क्यों किया?
संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार से अपेक्षा बहुत थी। पहलगाम का सच कब सामने आएगा? राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कब जिम्मेदारी लेंगे? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर क्यों डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में रोक दिया? दहशतगर्दों को सरकार पकड़ क्यों नहीं पाई? अंतिम परिणाम से सरकार क्यों पीछे हटी?
इसके साथ ही सांसद गौरव गोगोई ने मोदी सरकार से पूछा, 'सरकार ने कभी यह नहीं बताया कि पाकिस्तान से आतंकवादी कैसे पहलगाम तक पहुंचे गए और वहां 26 लोगों का कत्ल कर दिया। 26 लोग जो मारे गए हैं, उनकी जान लेने वाले दहशतगर्दों को सरकार पकड़ नहीं पाई है। सरकार जवाब चाहती है। आपके पास पेगासस है, केंद्रीय एजेंसियां हैं, सेटेलाइट है, सारे संसाधन हैं फिर भी आप दुश्मनों को पकड़ नहीं पाते हैं।'
डोनाल्ड ट्रंप-सीजफायर और टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ सीजफायर भारत को कथित ट्रेड धमकी देकर करवाया था। डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच सीजफायर तो करवा लिया लेकिन उन्होंने इसके बावजूद भारत के उपर भारी-भरकम टैरिफ लाद दिया है। ट्रंप ने इसी महीने भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ और 25 फीसदी अतिरिक्त पेनाल्टी लगातार मोदी सरकार को बड़ा झटका दिया। इस तरह से ट्रंप ने कुल मिलाकर भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा चुके हैं। हालांकि, ट्रंप अब भी शांत नहीं हुए हैं। जब ट्रंप से पूछा गया कि रूस के साथ कारोबार करने पर सिर्फ भारत पर ही क्यों टैरिफ लगाया जा रहा है? इस पर ट्रंप ने कहा कि अभी और भी कई सेकंडरी सैंक्शंस लगाए जाएंगे।
ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लाद दिया
हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप भारत पर टैरिफ लाद रहे हैं, दूसरी तरफ चीन पर टैरिफ लादने के लिए ट्रंप ने 90 दिन की समय सीमा और बढ़ा दी है। इस मामले में कांग्रेस पीएम मोदी के द्वारा अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप का नाम ना लेने पर चुप्पी साधने पर भी घेरा है।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, भारत सरकार ने इसे 'अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक' करार दिया। भारत ने साफ किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदना और व्यापार करना पूरी तरह से देश के 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
विदेश नीति पर सरकार
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर टैरिफ को दोगुना कर 50 फीसदी कर दिया। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की 'नाकामी' करार दिया। खरगे ने कहा कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकता है और मोदी सरकार इस चुनौती से निपटने में नाकाम साबित हो रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम नरेंद्र मोदी को कहा कि यह 70 साल के कांग्रेस शासन का दोष नहीं है, बल्कि पीएम मोदी की नाकामी का नतीजा है। खरगे ने कहा कि ट्रंप भारत को डरा-धमका रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री चुप बैठे हैं। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिकी फंडेड विश्व बैंक से पाकिस्तान को भारी-भरकम लोन मिल गया। भारत ने इस लोन को रोकने की भरसक कोशिश की थी लेकिन इस के बावजूद पाकिस्तान को लोन मिला।
विदेश नीति को एक और झटका
इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के फौरन बाद भारत की विदेश नीति को एक और झटका जब लगा जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को लंच के लिए आमंत्रित कर दिया। इस मुलाकात को भारत के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा गया। इसको लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा करने की मांग की थी।
कांग्रेस ने इसपर कहा है कि यह भारतीय कूटनीति के लिए तिहरा झटका है। फील्ड मार्शल मुनीर, जिनके भड़काऊ बयानों ने पहलगाम आतंकी हमले की पृष्ठभूमि तैयार की है, उसके साथ ट्रंप ने लंच किया।। एक सैन्य अधिकारी जो सरकार का प्रमुख नहीं है, उसे ट्रंप ने मिलने के लिए बुलाया। यह भारत के लिए बड़ा झटका है।
कई देशों का पाकिस्तान को साथ
साथ ही कांग्रेस ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ आए कई देशों को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई देश पाकिस्तान के समर्थन में आए जबकि किसी भी देश ने पाकिस्तान की निंदा नहीं की। यह सरकार की विदेश नीति की नाकामी है। इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार और बीजेपी को लगातार घेर रही है।
वोट चोरी के मुद्दे पर कांग्रेस ने क्या किया?
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि यह काम सरकार और बीजेपी ने मिलकर चुनाव आयोग के साथ किया है। राहुल गांधी यह भी कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी वोट चोरी से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं।
राहुल गांधी ने 7 अगस्त को चुनाव आयोग के खिलाफ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने दस्तावेजों पेश किए थे। दस्तावेज में दावा किया गया था कि बड़े स्तर पर देशभर में धांधली हुई है। उन्होंने आरोप लगाया था, 'नए वोटर रजिस्टर में भी भारी गड़बड़ी देखने को मिली है, जैसे- 'शकुन रानी' नाम की महिला 2 महीने में 2 बार रजिस्टर हुई। यह काम इतनी चालाकी से किया गया कि किसी में नाम एक साथ लिखा गया।'
राहुल ने हमले और तीखे किए
चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाकर राहुल गांधी ने अपने हमले और तीखे कर दिए हैं। 17 अगस्त से उन्होंने बिहार के सासाराम से 'वोट अधिकार यात्रा' की शुरुआत कर दी। इस यात्रा राहुल जनता को यह बताते की कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव आयोग ने चुनावों में वोट चोरी की है और इसका सीधा फायदा बीजेपी और पीएम मोदी को मिला है।
कांग्रेस सांसद ने पिछले दिनों बेंगलुरु में वोट अधिकार रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर चुनाव आयोग डिजिटल डेटा उन्हें दे दे तो वह साबित कर देंगे कि नरेंद्र मोदी वोट चोरी के दम पर प्रधानमंत्री बने हैं। राहुल गांधी सबूतों के साथ पुख्ता तौर पर कह रहे हैं कि देश में वोट चोरी हुई है। इसमें खास बात ये है कि बीजेपी राहुल गांधी और कांग्रेस की काट उस लिहाज से नहीं कर पा रही है जैसे 2024 से पहले किया करती थी।
इसलिए यह बात उठ रही है कि फ्रंटफुट पर खेलने वाली बीजेपी डिफेंसिव कैसे हो गई है?
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