पतला सा धागा जानलेवा क्यों है? पढ़िए चाइनीज मांझे की पूरी कहानी
चाइनीज मांझे की खरीद और बिक्री पर पूरी तरह से रोक है। इसके बावजूद ये धड़ल्ले से बिकता है। हर साल चाइनीज मांझे की वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है।

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पतंगबाजी का शौक किसी के लिए जानलेवा भी हो सकता है। खासकर तब जब उस पतंग को चाइनीज मांझे से उड़ाया जा रहा है। ये मांझा किसी की गर्दन में फंस सकता है, जिससे उसकी मौत भी हो सकती है।
11 जनवरी की ही बात है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में बाइक से जा रहे पुलिस कॉन्स्टेबल के गले में चाइनीज मांझा फंस गया। इससे उसकी मौत हो गई। कॉन्स्टेबल का नाम शाहरुख खान था। शाहरुख अपनी बाइक से कहीं जा रहे थे। इसके बाद 14 जनवरी को इसी मांझे की वजह से गुजरात में 4 और महाराष्ट्र में 1 व्यक्ति की मौत हो गई। गुजरात में राजकोट, पंचमहल, मेहसाणा और सुरेंद्रनगर में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। मरने वालों में एक 4 साल का बच्चा भी शामिल है। वहीं, महाराष्ट्र के नासिक में बाइक चलाते समय मांझे से गला कटने से 23 साल के युवक की मौत हो गई।
ये तो कुछ ही मामले हैं। देशभर में आए दिन इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। कई बार मांझे से गला कटने से मौत हो जाती है। कई बार इसी मांझे के कारण लोग बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं।
चाइनीज मांझा क्या चीन से आता है?
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जो मांझा चीन से आ रहा है, वही चाइनीज मांझा या चीनी मांझा है। मगर ऐसा होता नहीं है। इसे भारत में ही बनाया जाता है। इसे प्लास्टिक या नाइलॉन से बनाया जाता है। इसकी बिक्री ज्यादा हो, इसलिए इसे चाइनीज मांझा कहकर बेचना शुरू कर दिया गया।
कितना खतरनाक है ये मांझा?
इसे प्लास्टिक या नाइलॉन से बनाया जाता है। इस पर कांच के टुकड़े, धातु और लोहे के बुरादे को गोंद में मिलाकर चढ़ाया जाता है। इस कारण ये धारदार हो जाता है। इसमें एल्युमिनियम ऑक्साइड और लेड जैसे केमिकल भी मिलाए जाते हैं।
इतना ही नहीं, इसमें इलेक्ट्रिक कंडक्टर भी होता है। इस कारण इसमें करंट भी दौड़ जाता है। हाल ही में राजस्थान के सीकर में चाइनीज मांझे में करंट दौड़ने से 15 साल के बच्चे की मौत हो गई थी।
आमतौर पर मांझे की मोटाई 0.70 मिलीमीटर से 0.80 मिलीमीटर होती है। यानी, इंसान के एक बाल से ये 10 गुना ज्यादा ही मोटा होता है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि इंसान के 7 या 8 बाल के बराबर इसकी मोटाई होती है।
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आम मांझे से कितना अलग होता है चाइनीज मांझा?
आम मांझा धागे से बना होता है। ये जल्दी टूट जाता है। ये धारदार नहीं होता। आम धागे से पतंगबाजी करते समय उंगलियों पर भी ज्यादा कट नहीं आता है। वहीं, चाइनीज मांझा मजबूत होता है। ये जल्दी टूटता नहीं है। पतंग उड़ाते समय उंगलियां कट जाती हैं। अगर किसी की गर्दन में ये फंस जाए तो उससे गर्दन भी कट सकती है।
चाइनीज मांझा बैन फिर भी बिक रहा!
भारत में चाइनीज मांझे पर पूरी तरह से बैन है। इसकी बिक्री करना और इससे पतंग उड़ाना, दोनों ही प्रतिबंध है। इसके बावजूद चाइनीज मांझा खुलेआम बिकता और धड़ल्ले से इससे पतंगबाजी की जाती है। पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत, चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध है। इसे खरीदने और बेचने वालों को 5 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। जुलाई 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT ) ने आदेश जारी कर नाइलॉन या सिंथेटिक मटैरियल से बने मांझे की खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी थी।
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इतना बिकता क्यों है?
प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मांझे की धड़ल्ले से बिक्री होती है। हाल ही में हरिद्वार में चाइनीज मांझे से एक बाइक सवार की मौत होने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने 11 FIR दर्ज की हैं। इस महीने उत्तराखंड पुलिस ने चाइनीज मांझे के 150 से ज्यादा बक्सों को नष्ट किया है।
पर सवाल उठता है कि बैन के बावजूद चाइनीज मांझे की इतनी बिक्री क्यों होती है? दरअसल, धागे वाले मांझे की तुलना में चाइनीज मांझा काफी सस्ता और टिकाऊ होता है। धागे वाले मांझे का एक बंडल लगभग 2,500 रुपये का आता है। इसका वजन लगभग 750 ग्राम होता है। वहीं, चाइनीज मांझे का एक किलो वाला बंडल 300-400 रुपये में आसानी से मिल जाता है।
चाइनीज मांझे की वजह से धागे का मांझा बनाने वालों का कारोबार ठप हो गया है। अनुमान है कि पहले धागे के मांझे का सालाना कारोबार 50 करोड़ रुपये का था। अब ये घटकर 20 करोड़ रुपये हो गया है।
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