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युद्ध में कैसे काम आता है धोखा? सटीक प्लान से घुटनों पर आ जाता दुश्मन

युद्ध में धोखा अपने दुश्मन को घुटनों पर लाने की सबसे अहम रणनीति में से एक है। इसमें नकली पहचान से लेकर फर्जी खबरों व हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

Air Defense System

एयर डिफेंस सिस्टम की प्रातीकात्मक फोटो।Photo credit- AI generated

युद्ध सिर्फ सैनिकों, गोला-बारूद से नहीं लड़ा जाता है। जमीनी लड़ाई के इतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी नैरेटिव की वार छिड़ी होती है। रूस-यूक्रेन के बाद भारत और पाकिस्तान के संघर्ष में भी दुनिया ने सोशल मीडिया वार को देखा है। युद्ध में साम, दाम, दंड, भेद की उतनी ही अहमियत है, जितनी की आधुनिक हथियारों की। कई बार छल, कपट और झूठ ने पूरे युद्ध के परिदृश्य को ही बदल दिया। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने नकली फाइटर जेट का इस्तेमाल करके युद्ध में दुश्मन को धोखा देने की कला का एक नायाब उदाहरण पेश किया। इससे पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम और सेना दोनों को चकमा खाना पड़ा। आइए कुछ ऐसे ही उदाहरण के बारे में जानते हैं जब कई अनोखे आईडिया से दुश्मन की सेना को धोखा दिया गया।

 

चीन के एक प्राचीन सैन्य दार्शनिक सन-त्ज़ु का कहना था कि सभी युद्ध धोखे पर आधारित होते हैं। युद्ध धोखे का मार्ग है। सक्षम होने के बावजूद खुद को अक्षम दिखाए। जब अपनी सेना को काम पर लगाने जा रहे हो तो निष्क्रियता का प्रदर्शन करें। जब आपका लक्ष्य नजदीक हो तो उसे दूर बताएं।

ऑपरेशन मिंसमीट

द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर के खिलाफ ब्रिटेन के ऑपरेशन मिंसमीट की चर्चा दुनियाभर की सेनाओं में आज भी होती है। मित्र राष्ट्रों को इटली के द्वीप सिसिली पर आक्रमण करना था। इससे पहले ब्रिटिश खुफिया एजेंसी ने हिटलर को मूर्ख बनाने का प्लान तैयार किया। स्पेन के तट पर एक मजदूर का शव रखा गया। उसके साथ में हमले का प्लान भी एक कागज में लिखकर रखा गया। इसमें लिखा था कि अगला हमला ग्रीस और सार्डिनिया में किया जाएगा। शव को ब्रिटेन की रॉयल मरीन के मेजर के कपड़े पहनाए गए। उसकी झूठी पहचान विलियम मार्टिन के रूप में गढ़ी गई। पहचान पत्र और मंगेतर की तस्वीर को भी रखा गया। 

 

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जब यह शव स्पेन के अधिकारियों को मिला तो उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी जर्मनी के खुफिया विभाग को दी। हिटलर ने इस झूठ को सच मान लिया। उसने सार्डिनिया में सैनिकों की संख्या दोगुनी कर दी। जर्मनी से भी सैनिकों को ग्रीस भेजा गया। इसके बाद 9 जुलाई 1943 को मित्र राष्ट्रों ने सिसिली पर हमला किया तो जर्मनी की सेना हैरत में पड़ गई थी।  

 

जब रूस ने खाया धोखा


2022 में रूस ने दावा किया कि उसने यूक्रेन के 44 HIMARS रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम को तबाह कर दिया है। मगर खास बात यह रही कि तब तक यूक्रेन के पास HIMRS के सिर्फ 16 यूनिट ही थे। बाद में पता चला कि रूस ने असली की जगह नकली HIMRS यूनिटों को तबाह किया था। इस रणनीति ने यूक्रेन को अपने असली यूनिट को बचाने में मदद की। 

 

उधर, अमेरिका खुलकर यूक्रेन की मदद कर रहा था। उसके सैटेलाइट रूस की हर हरकत की जानकारी जेलेंस्की की सेना को भेजने में जुटे थे। तभी रूस ने एक शातिर चाल चली। उसने अमेरिकी सैटेलाइट से बचने की खातिर नकली S-400 और टैंकों की तैनाती की।  

 

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हमास को इजरायल ने कैसे जाल में फंसाया?

इजरायल की सेना ने एक धोखा देने वाली यूनिट ही बना रखी है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि इजरायल के सैन्य प्रवक्ताओं ने मीडिया के माध्यम से यह जानकारी फैलाई कि इजरायल ने गाजा में जमीनी हमला शुरू कर दिया है। मगर ऐसा बिल्कुल नहीं किया गया था। इसका लक्ष्य यह था कि हमास जल्द से जल्द अपनी एंटी-टैंक टीमों को तैनात करे। हमास ने जैसे अपनी टीमों की तैनाती किया, वैसे ही इजरायल ने हवाई हमला कर दिया। जब इजरायल की सेना ने एक सही रिपोर्ट जारी की तो उसके बाद इजरायली सैनिक गाजा में घुसे। 

सेनाओं के सामने चुनौती क्या?

पिछले कुछ वर्षों में दुनिया तेजी से बदली है। हर हाथ में मोबाइल वाला कैमरा है। सड़क, दुकान और घरों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। दुश्मन सैटेलाइट से भी हर हरकत पर नजर रखने लगे हैं। आधुनिक सेंसर की सहायता से असली और नकली को पकड़ना थोड़ा आसान हो चुका है। ऐसे में किसी भी प्लान को गोपनीय रखना बेहद मुश्किल है। इन सभी बदलावों ने सैन्य धोखा देने की कला में सैनिकों के सामने एक नई चुनौती पेश की है। मगर इस कला में भी नवाचार हो रहा है। सेनाएं नए-नए आईडिया खोज रही हैं। तकनीक का भी सहारा लिया जा रहा है।

नकली सैन्य उपकरण भी बन रहे

कहा जाता है कि युद्ध में धोखा उतना ही पुराना है, जितना की सैन्य संघर्ष। द्वितीय विश्व युद्ध में भी हवाई टोही से बचने में नकली टैंक और विमान का इस्तेमाल किया गया था।  दुश्मन को धोखा देने में सेनाएं नकली ट्रक, विमान, रबर के टैंक और फर्जी खबरों की मदद लेती हैं। दुनिया भर में कंपनियां नकली सैन्य उपकरण तैयार करती हैं। ड्रोन से जेट और टैंक से नकली सैनिक तक बनाए जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान पर हमले से पहले भारतीय वायुसेना के लिए नकली जेट विमान डीआरडीओ ने तैयार किए थे।

क्यों अहम है धोखे की रणनीति? 

युद्ध में धोखे की कला से दुश्मन सेना में खौफ भरा जा सकता है। दुश्मन आपकी अगली रणनीति को समझ नहीं पाएगा। उसे गलत मोर्चे पर न केवल भेजा जा सकता बल्कि बढ़ा नुकसान भी पहुंचाया जा सकता है। धोखे की कला से सेना अपने सैनिकों की जान और महंगे उपकरणों की हिफाजत कर सकती है। गलत जानकारी से दुश्मन के गोला-बारूद और हथियारों की खपत को बढ़ाया जा सकता है। अगर यह रणनीति बेहद सटीक रही तो दुश्मन को गोला-बारूद की कमी भी झेलनी पड़ सकती है। 

 

 

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