कैश कांड में फंसे हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर संसद में महाभियोग चलाए जाने की तैयारी कर ली गई है। इसको लेकर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने जानकारी दी है। रिजिजू ने रविवार को दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में जानकारी देते हुए बताया कि अब तक 100 से ज्यादा सांसदों ने महाभियोग को लेकर हस्ताक्षर कर दिए हैं। ऐसे में साफ हो गया है कि सभी पार्टियों के सांसद जस्टिस वर्मा को लेकर आने वाले महाभियोग की प्रक्रिया को लेकर एक साथ हैं।
इसके साथ ही लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए जरूरी समर्थन हासिल हो गया है। सर्वदलीय बैठक के बाद रिजीजू ने मीडिया से कहा कि हस्ताक्षर की प्रक्रिया जारी है। 100 से अधिक सांसद पहले ही हस्ताक्षर कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्य मंत्रणा समिति (BAC) को तय करना है कि प्रस्ताव कब पेश किया जाएगा।
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महाभियोग का नियम क्या है?
बता दें कि किसी जज को हटाने के प्रस्ताव पर लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए। यह प्रस्ताव सबसे पहले लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। सोमवार (21 जुलाई) से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र के साथ, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह संसद के इसी सत्र में यह प्रस्ताव लाएगी और 'न्यायपालिका में भ्रष्टाचार' के खिलाफ इस कदम में उसे विपक्ष समेत विभिन्न दलों का समर्थन मिल रहा है।
कुछ कहना मुश्किल- रिजीजू
जब किरण रिजीजू से पूछा गया कि क्या मॉनसून सत्र के पहले हफ्ते में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है, तो उन्होंने कहा, 'मैं प्राथमिकता के आधार पर किसी भी कार्य पर टिप्पणी नहीं कर सकता, क्योंकि जब तक यह प्रस्ताव अध्यक्ष की अनुमति से बीएसी की ओर से पारित नहीं हो जाता, मेरे लिए कुछ कहना मुश्किल है।'
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क्या है पूरा मामला?
उन्होंने इससे पहले बताया था कि जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दल सहमत हैं। उन्होंने कहा, 'न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामला है। न्यायपालिका ही वह जगह है, जहां लोगों को न्याय मिलता है। अगर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, तो यह सभी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर होने चाहिए।'
मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस वर्मा के सरकारी घर में आग लगने की घटना के बाद नोटों की गड्डियां बरामद हुई थीं। तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा नियुक्त तीन हाई कोर्ट के जजों की एक समिति ने उन्हें दोषी पाया था। खन्ना ने यह मामला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष भेजा था और वर्मा के इस्तीफा देने से इनकार करने पर उन्हें हटाने की सिफारिश की थी।