इसी साल जून में दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक होने के शक में सुनाली खातून को गिरफ्तार करके पड़ोसी देश बांग्लादेश भेज दिया था। मगर, सुनाली पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मुराराई की रहने वाली हैं, जो बंगाल से दिल्ली रहने आई थीं। सुनाली इस समय गर्भवस्था के आखिरी समय में हैं। सुनाली को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को मालदा जिले में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर के रास्ते वापस भारत ला आया गया। सुनाली के साथ में उसका नाबालिग बेटा साबिर भी लौटा है।
बांग्लादेश की जेल में 103 दिन बिताने के बाद सुनाली खातून की घर वापसी हुई है। सुनाली ने बताया कि बांग्लादेश की जेल के अकेले सेल में रहना बहुत तकलीफदेह था। उन्होंने चपई नवाबगंज सुधार गृह में 'घुसपैठिए' के तौर पर रहने पर मजबूर होना पड़ा।
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रामपुरहाट अस्पताल में भर्ती
सुनाली शातून को शनिवार को बीरभूम के रामपुरहाट अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में वह इस महीने के आखिर में या अगले महीने की शुरुआत में होने वाली डिलीवरी तक डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगी।
बांग्लादेशी जेल की एकांत कोठरी की यादें
सुनाली ने बताया, 'बांग्लादेशी जेल की एकांत कोठरी में रहना यातनापूर्ण था। उन्होंने साबिर को मेरे साथ रहने दिया, लेकिन मेरे पति दानिश को कहीं और ले गए। मुझे उनकी चिंता है क्योंकि उन्हें अभी तक वापस नहीं लाया गया है। मुझे स्वीटी बीबी और उनके बच्चों की भी चिंता है क्योंकि उनका भविष्य भी अनिश्चित है। स्वीटी बीबी और उनके बच्चों को बांग्लादेश की कोर्ट ने जमानत दे दी है, लेकिन अभी तक वापस नहीं लाया गया है।'
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सुनाली खातून और उनके बेटे साबिर को घुसपैठियों के रूप में बांग्लादेश की जेल में 103 दिन बिताना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाने के बाद सुनाली और उनके बेटे की घर वापसी हुई है।