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हर महीने पहलगाम जैसी साजिश! पूरे कश्मीर में फैला लश्कर का नेटवर्क

नियंत्रण रेखा के आस पास पाकिस्तान ने आतंकी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। अब एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। पढ़ें रिपोर्ट।

Jammu and Kashmir

जम्मू और कश्मीर में तैनात सेना के जवान। (Photo Credit: PTI)

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद हाल के दिनों में तेजी से बढ़ा है। दिसंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार पाकिस्तान ने कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया है। इस अवधि के दौरान हर महीने औसतन 120 से अधिक आतंकी भारत में घुसपैठ के लिए तैयार थे। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने यह दावा किया है। 

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2024 में 167, जनवरी 2025 में 146, फरवरी में 138 और मार्च में 122 आतंकी LoC के पार लॉन्च पैड्स पर मौजूद थे। ये आतंकी जम्मू और कश्मीर घाटी में घुसपैठ कर नियमित गोलीबारी, बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) हमले और IED विस्फोट करने की योजना बना रहे थे।

पहलगाम को दहलाने वाले पाकिस्तानी
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भी पाकिस्तान के इशारे पर हुआ, जिसमें 26 लोगों ने दम तोड़ा। पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। यह हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के दौरान हुआ। भारत ने सिग्नल इंटेलिजेंस के जरिए हमले में इस्लामाबाद की भूमिका मानी है। 3 आतंकियों की पहचान भी की गई है। 

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हिंदुस्तान टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा, 'पिछले साल दिसंबर से पाकिस्तानी सेना और ISI ने अपनी पूरी आतंकी मशीनरी को सक्रिय कर दिया। गुरेज, उरी, केरन, भिंबर गली, पुंछ, कृष्णा घाटी और सांबा जैसे सेक्टरों में 167 से अधिक आतंकी हथियारों के साथ घुसपैठ के लिए तैयार थे।'

2024 में जनवरी से मार्च के बीच हर महीने 40-50 आतंकी घुसपैठ की कोशिश करते थे, लेकिन इस साल यह संख्या तीन गुना बढ़ गई। खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि LoC के पार मौजूद 80% आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं, जबकि बाकी जैश-ए-मोहम्मद और अल-बद्र से संबंधित हैं। अधिकारियों का कहना है कि 55-60 पाकिस्तानी आतंकी जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों में छिपे हो सकते हैं। 

गुरिल्ला अटैक की तैयारी में पाकिस्तान
पाकिस्तान की BAT टीमें, जिनमें 5-6 नियमित सैनिक और आतंकी शामिल होते हैं, रात में गुरिल्ला हमले कर भारतीय सैनिकों को निशाना बनाती हैं, अक्सर उनका सिर काटकर। हमले के बाद ये टीमें पाकिस्तानी सेना के पोस्ट्स पर लौट जाती हैं, जो आतंकी लॉन्च पैड्स के रूप में भी काम करते हैं। 

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सुरंगों पर सेना की खास नजर

BSF और सेना को 22 अप्रैल के हमले के बाद निर्देश दिए गए हैं कि उन सुरंगों पर भी नजर रखी जाए, जो घुसपैठ के केंद्र हो सकते हैं। पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ के लिए सुरंगे भी खोदी जाती हैं, जिससे घुसपैठ आसान हो जाए।
 
पहले भी मिल चुकी हैं सुरंगें
2020 में सेना को एक 500 मीटर लंबी सुरंग मिली थी। यह सुरंग 500 मीटर लंबी थी और 3 मीटर गहरी थी। इसमें ऑक्सीजन पाइप तक लगी थी। 2019 के पुलवामा हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के भतीजे उमर फारूक ने 2018 में सांबा सेक्टर में सुरंग के जरिए भारत में एंट्री ली थी।

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2016 के नगरोटा कैंप हमले में भी चार हमलावरों ने सुरंग का इस्तेमाल किया था। 2001 से अब तक भारत ने 22 ऐसी सुरंगों का पता लगाया है, लेकिन और सुरंगों की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता। 

'घास' की आड़ में घुसपैठ
पाकिस्तान ने अपनी सीमा पर कुछ इलाकों में लंबी हाथी घास को जानबूझकर रखा है जिसे आतंकियों की आवाजाही छिपाई जा सके। भारत पाकिस्तानी सुरंगों पर भी नजर रख रहा है।

पाकिस्तान में सक्रिय कई लॉन्च पैड 
फरवरी 2021 में LoC और सीमा पर संघर्षविराम की घोषणा के बावजूद, खुफिया एजेंसियों ने दावा किया था कि पाकिस्तान के आतंकी लॉन्च पैड सक्रिय हैं। भारत आतंकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है। 

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