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'भारत में कभी नहीं होगा मुस्लिमों का नरसंहार', ऐसा क्यों बोले मदनी?

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि भारत में मुस्लिमों का नरसंहार होगा लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सकता।

maulana mahmood madani

मौलाना महमूद मदनी। (Photo Credit: Social Media)

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि विदेशों में ऐसी कहानी बुनी जा रही है कि भारत में मुस्लिमों का नरसंहार होगा लेकिन मैं कहूंगा कि ऐसा कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पहलगाम अटैक के बाद भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हमारा दुश्मन हमें बांटना चाहता है।


न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में मौलाना मदनी ने मोदी सरकार की नीतियों की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि इस सरकार की सुरक्षा नीतियां पिछली सरकार की तुलना में ज्यादा बेहतर है।


मौलाना मदनी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ को लेकर भारत की प्रतिक्रिया पर भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि टैरिफ पर भारत को मजबूत रहना चाहिए, हम आधी रोटी खा लेंगे लेकिन झुकेंगे नहीं। उन्होंने कहा कि टैरिफ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो रुख अपनाया, हम उसका समर्थन करते हैं।

 

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मुस्लिमों का नरसंहार कभी नहीं हो सकताः मदनी

जब पूछा गया कि भारतीय मुस्लिमों के हालात पर विदेशों में जो कुछ कहा जाता है, क्या आपने कभी बताया कि यहां ऐसा कुछ नहीं होता? इस पर जवाब देते हुए मौलाना मदनी ने कहा, 'बार-बार लोग कहते हैं कि यहां के हालात ऐसे हो रहे हैं कि मुस्लिमों का नरसंहार होगा। कई मर्तबा मुझसे भी कहा जाता है। मैं इसको मानने को तैयार नहीं हू कि ऐसी कोई सिचुएशन होगी।'

 


उन्होंने कहा, 'पहलगाम में जो हुआ था तो उसके बाद आराम से हो सकता था। थोड़ा सा तो जरूर हो सकता था। नहीं हुआ। इसके पीछे किसी सरकार का कमाल नहीं है। सरकार का कमाल है। मैं उसको खारिज नहीं कर सकता। बड़ा कमाल तो सिविल सोसायटी का है। उसने समझा है कि साजिश क्या है? हमारा दुश्मन यह चाहता है कि मुल्क में अराजकता फैले, लड़ाई हो, झगड़ा हो।'


उन्होंने आगे कहा, 'कुछ विदेशी ताकतें भारत को अस्थिर करना चाहती हैं। सारी दुनिया में ही ऐसा करती हैं, जहां उनके पैसे का मसला हल नहीं हो।'

 

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अमेरिकी टैरिफ पर क्या बोले मदनी?

भारत पर ट्रंप की ओर से लगाए गए 50% टैरिफ पर मौलाना मदनी ने कहा कि सरकार ने जो रुख अपनाया है, उस पर ही बरकरार रहना चाहिए।


उन्होंने कहा, 'एक बात बिल्कुल साफ है कि इंडिया को स्टैंड करना चाहिए। तकलीफ उठा लेंगे। आधी रोटी खाएंगे, सूखी रोटी खा लेंगे पर झुकेंगे नहीं।'

 

 

मौलाना मदनी ने कहा कि 'झुकना नहीं है। अगर कोई समझौता होता है बराबरी पर तो बिल्कुल करना चाहिए लेकिन झुकना नहीं है।' उन्होंने यह भी कहा कि 'आज उन्होंने गुलाम बनाने की कोशिश की और फिर अस्थिर करने की भी कोशिश करेंगे। लेकिन इंडिया, इंडिया है, हम जवाब देंगे। पर यही है कि झुकना नहीं है।'

भारत की सुरक्षा पहले से ज्यादा मजबूतः मदनी

इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सुरक्षा पहले से मजबूत हुई है, इस बात को मानना पड़ेगा।


उन्होंने कहा, 'कानून प्रवर्तन एजेंसियों में प्रोफेशनलिज्म बढ़ा है। अगर हम ओवरऑल देखेंगे तो कहीं-कहीं कोई शिकायत कर सकता है कि फलां जगह पर ऐसा हुआ है तो मानते हैं कि हुआ है। लेकिन जब पिछले 10 साल और उसके पिछले 10 साल को देखेंगे तो जमीन-आसमान का फर्क है। मोटे तौर पर यह बात माननी बढ़ा है और काम के तरीके में भी बेहतरी आई है।'

 

ओवैसी से नाराज क्यों रहते हैं?

उनसे जब पूछा गया कि आप AIMIM सांसद ओवैसी से नाराज क्यों रहते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि मैं उनसे नाराज नहीं हूं। मैं उनकी तारीफ करता हूं। ऑपरेशन सिंदूर पर उन्होंने जो रुख अपनाया, मैं उसकी तारीफ करता हूं।


मौलाना मदनी ने कहा, 'असहमति जताना विरोध नहीं होता। ये बात हमारे प्रधानमंत्री साब को भी समझना चाहिए। सरकार में बैठे हुए लोगों को भी और विपक्ष में बैठे हुए लोगों को भी समझनी चाहिए कि अगर कोई ऐतराज जता रहा है तो इसका यह मतलब नहीं है कि वह तुम्हारा विरोधी है।'


उन्होंने कहा, 'मैं ओवैसी साहब का विरोधी नहीं हूं लेकिन उनकी बहुत सारी बातों से असहमत हूं। उन्हें भी यह हक होना चाहिए कि वह मेरी किसी बात से प्यार से असहमति जता दें। मनभेद न हो। मतभेद रखना तो एक समाज के जिंदा रहने का सबूत होता है।'

 

 

उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के साथ कई बातों पर असहमति है लेकिन खत्म भी हो सकती है। मौलाना मदनी ने कहा, 'मुख्यमंत्री हैं असम के, बड़े आदमी हैं, गार्जियन हैं राज्य के लेकिन कैसे शब्दों का उपयोग करते हैं। उनसे मैं कहना चाहता हूं कि भाई शब्दों का प्रयोग ठीक से करें। हां, हमारे बीच कई असहमतियां हैं लेकिन जरूरी नहीं कि रहे, खत्म भी हो सकता है। बहुत सारी बातों पर हमारी असहमतियां खत्म हो सकती हैं।'


मौलाना मदनी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का समर्थन भी किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि काशी-मथुरा के लिए राम जन्मभूमि जैसे आंदोलन की जरूरत नहीं है। उन्होंने मुस्लिम संगठनों और आरएसएस के बीच बातचीत का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि किंतु-परंतु बहुत हैं लेकिन बातचीत होनी चाहिए।

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