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बिजनेस से लेकर मार्केट वैल्यू तक; स्विगी और जोमैटो में कौन कितना बड़ा?

देश की दो बड़ी फूड डिलीवरी ऐप्स- स्विगी और जोमैटो ने प्लेटफॉर्म फीस बढ़ा दी है। इसका मतलब हुआ कि अब खाना ऑर्डर करना महंगा हो गया। ऐसे में जानते हैं कि दोनों में से कौन कितनी बड़ी कंपनी है?

swiggy vs zomato

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

घर बैठे खाना मंगाना अब महंगा हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जिस स्विगी और जोमैटो से खाना ऑर्डर करते हैं, उन्हें प्लेटफॉर्म फीस बढ़ा दी है। अब स्विगी से खाना ऑर्डर करने पर 15 रुपये और जोमैटो पर 12 रुपये प्लेटफॉर्म फीस देनी होगी। पहले स्विगी पर 12 रुपये और जोमैटो पर 10 रुपये की फीस लगती थी।
 
2023 में जब स्विगी और जोमैटो बाजार में आई थी, तब दोनों पर प्लेटफॉर्म फीस 2 रुपये लगती थी। उसके बाद से अब तक ढाई साल में दोनों की प्लेटफॉर्म फीस बढ़कर 12 रुपये और 15 रुपये हो गई है।
 

कैसे बढ़ती गई प्लेटफॉर्म फीस?

स्विगी अप्रैल 2023 और जोमैटो अगस्त 2023 से प्लेटफॉर्म फीस ले रहे हैं। उस समय दोनों पर 2 रुपये प्लेटफॉर्म फीस लगती थी। यह एक तरह का सर्विस चार्ज होता है, जिसका इस्तेमाल कंपनी खुद को चलाने और नुकसान कम करने के लिए लगाती है।
 
जनवरी 2024 में जोमैटो ने अपनी प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाकर 4 रुपये कर दी थी। पिछले साल अक्टूबर में इसे 10 रुपये कर दिया था। इसी हफ्ते जोमैटो ने प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ाकर 12 रुपये कर दिया गया है।
 
इसी तरह सालभग में स्विगी की प्लेटफॉर्म फीस भी तीन गुना बढ़ गई है। पिछले साल मई में स्विगी ने प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाकर 5 रुपये कर दी थी। जून में इसे बढ़ाकर 6 रुपये किया गया और फिर अक्टूबर में 10 रुपये कर दिया गया। स्विगी ने पिछले महीने ही 14 अगस्त को प्लेटफॉर्म फीस 10 से बढ़ाकर 14 रुपये की थी। अब फिर इसे बढ़ाकर 15 रुपये कर दिया है। हालांकि, कुछ चुनिंदा जगहों पर ही यह फीस बढ़ाई गई है।
 

मगर ऐसा क्यों किया गया?

फेस्टिव सीजन में डिमांड और नुकसान को देखते हुए कंपनियों ने प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाई है। स्विगी तो जबरदस्त घाटे में चल रही है, जबकि जोमैटो दो साल से प्रॉफिट में है।
 
स्विगी की फाइनेंशियल रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 में कंपनी को 15,623 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था। हालांकि, कंपनी का खर्च, कमाई से कहीं ज्यादा रहा। 2024-25 में स्विगी ने 18,725 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इस हिसाब से उसे कुल 3,117 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
 
2025-26 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच भी उसे बहुत घाटा हुआ है। पहली तिमाही में स्विगी को 1,197 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह 2024-25 की पहली तिमाही की तुलना में हुए घाटे से 96 फीसदी ज्यादा है। 2024-25 की पहली तिमाही में स्विगी को 611 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
 
वहीं, जोमैटो को 2024-25 में 527 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। यह 2023-24 के मुकाबले 50% ज्यादा है। 2023-24 में जोमैटो को 351 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। 2024-25 में जोमैटो का रेवेन्यू 21,320 करोड़ रुपये था। वहीं, उसका खर्च 20,623 करोड़ रुपये रहा। सारा खर्च और टैक्स चुकाने के बाद कंपनी को 527 करोड़ का फायदा हुआ।
 
इस साल की पहली तिमाही में जोमैटा का मुनाफा थोड़ा कम हो गया है। 2025-26 की पहली तिमाही में जोमैटो का रेवेन्यू सालाना आधार पर 70% बढ़कर 7,167 करोड़ रुपये हो गया। 2024-25 की पहली तिमाही में जोमैटो का कुल रेवेन्यू 4,206 करोड़ रुपये था। हालांकि, इसके बावजूद कंपनी का मुनाफा काफी कम हो गया है। पहली तिमाही में जोमैटा का मुनाफा 25 करोड़ रुपये ही रहा, जबकि पिछले साल पहली तिमाही में कंपनी को 236 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
 
 

कितनी बड़ी कंपनियां हैं स्विगी और जोमैटो?

स्विगी और जोमैटो दोनों ही फूड डिलिवरी सेक्टर में बड़ी कंपनियां हैं। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक, आज के समय में स्विगी का मार्केट शेयर 42 से 45% तो जोमैटो का 55 से 58% है।
 
दोनों ही कंपनियां क्विक कॉमर्स में भी है। स्विगी का इंस्टामार्ट और जोमैटो का ब्लिंकिट है। इंस्टामार्ट और ब्लिंकिट 10 मिनट में डिलिवरी करती हैं। दोनों ही कंपनियां अपनी क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भारी निवेश कर रही हैं। स्विगी के घाटे में रहने और जोमैटो के मुनाफा घटने की एक वजह यह भी है। 
 
जोमैटो 2015 तो जोमैटो 2014 में शुरू हुई थी। आज के समय में जोमैटो 800 से ज्यादा शहरों में है। जोमैटो 3 लाख से ज्यादा रेस्टोरेंट से जुड़ा है। इसके 5 लाख से ज्यादा डिलीवरी पार्टनर हैं। वहीं, स्विगी की पहुंच 600 से ज्यादा शहरों में है और इससे 2.80 लाख रेस्टोरेंट जुड़े हैं। आज स्विगी की मार्केट वैल्यू 1 लाख करोड़ और जोमैटो की 3 लाख करोड़ रुपये है।
 

प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाकर कितना कमाएंगी?

मैटो की तुलना में स्विगी प्लेटफॉर्म फीस से ज्यादा कमाता है। 2025-26 की पहली तिमाही में प्लेटफॉर्म फीस से जोमैटो ने 89 करोड़ और स्विगी ने 109 करोड़ रुपये कमाए थे।
 
अब दोनों ने ही प्लेटफॉर्म फीस बढ़ा दी है। स्विगी हर दिन लगभग 20 लाख और जोमैटो 23 से 25 लाख ऑर्डर डिलीवर करती है। अनुमान है कि प्लेटफॉर्म फीस बढ़ने से स्विगी को हर दिन 3 करोड़ रुपये की कमाई ज्यादा होगी। जोमैटो की भी इतनी ही कमाई बढ़ने का अनुमान है।
 
प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाकर एक तरफ कंपनियों की कमाई बढ़ेगी तो दूसरी तरफ लोगों के लिए खाना ऑर्डर करना थोड़ा सा महंगा हो जाएगा। अब स्विगी से खाना ऑर्डर पर 15 रुपये और जोमैटो पर 12 रुपये देने होंगे।
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