दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी पाए जाने के बाद सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने कुलदीप सिंह को मिली उम्रकैद की सजा पर रोक लगाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले पर ही स्टे लगा दिया है। एक तरफ पीड़ित पक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया है तो कुलदीप सिंह सेंगर की बेटी इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबी चिट्ठी लिख डाली है। इस चिट्ठी में इशिता ने लिखा है कि कोर्ट में तथ्यों और सबूतों को देखना चाहिए, प्रदर्शन करके बनाए जाने वाले दबाव को नहीं। इशिता का कहना है कि उनके पिता को सजा हुई लेकिन वे कभी सड़क पर नहीं उतरे और कभी शोर नहीं मचाया।
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे के महेश्वरी और एजी मसीह की बेंच ने सोमवार को सुनवाई की। CBI की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने पॉक्सो ऐक्ट की धारा 5 (सी) के तहत कुलदीप सेंगर को सार्वजनिक सेवक न मानकर गलत की। इससे पहले हाई कोर्ट ने इसी तर्क पर कुलदीप सेंगर की सजा पर रोक लगा दी थी कि कुलदीप सेंगर अपराध के वक्त सार्वजनिक सेवक नहीं था।
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कुलदीप सेंगर की बेटी ने क्या लिखा?
अब कुलदीप सेंगर की बेटी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद रोष प्रकट किया है। 'भारतीय गणतंत्र की माननीय संस्थाओं' को संबोधित डॉ. इशिता सेंगर की इस चिट्ठी में वह लिखती हैं, 'मैं एक ऐसी बेटी के रूप में यह चिट्ठी लिख रही हूं जो थक गई है, डरी हुई है और धीरे-धीरे भरोसा खो रही है। हालांकि, अभी भी उम्मीद नहीं हारी है क्योंकि कोई और रास्ता नहीं बचा है। 8 साल से मैंने और मेरे परिवार ने शांति से इंतजार किया है। हमने यह भरोसा किया है कि अगर हम सब कुछ 'सही तरीके से' करेंगे तो आखिर में सच खुद सामने आ जाएगा। हमने कानून पर भरोसा किया, संविधान पर भरोसा किया। हमने शोर, जनता के गुस्से और हैशटैग्स की बजाय देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा किया।'
वह आगे लिखती हैं, 'आज मैं लिख रही हूं क्योंकि भरोसा टूट रहा है। मेरे शब्दों को सुने जाने से पहले मेरी पहचान 'बीजेपी के एक विधायक की बेटी' तक सीमित कर दी जाती है। जैसे कि इससे मेरा इंसानी वजूद ही मिट जाएगा। जो लोग मुझसे कभी मिले तक नहीं, कभी एक भी दस्तावेज नहीं पढ़ा, एक भी कोर्ट रिकॉर्ड नहीं पढ़ा, उन लोगों ने तय कर लिया है कि मेरे जीवन का कोई मोल नहीं है।'
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अपने परिवार की शांति के बारे में वह लिखती हैं, 'हम ताकतवर थे इसलिए हमने शांति नहीं चुनी, हमने शांति चुनी क्योंकि हमें संस्थाओं पर भरोसा था। हमने धरना नहीं दिया, हम टीवी डिबेट में नहीं चिल्लाए। हमने पुतले नहीं जलाए, हैशटैग नहीं चलाए। हमने इंतजार किया क्योंकि हमें भरोसा था सच को तमाशबीनों की जरूरत नहीं होती।'
क्या चाहती हैं इशिता सेंगर?
इशिता ने आगे लिखा है, 'हम न्याय मांग रहे हैं क्योंकि हम इंसान हैं। कृपया बिना डर के कानून को बोलने दें। कृपया बिना किसी दबाव के सबूतों की जांच होने दें। कृपया सच को सच रहने दें भले ही वह बहुत लोकप्रिय न हो। मैं एक ऐसी बेटी हूं जिसे आज भी इस देश पर भरोसा है। कृपया मुझे अपने इस भरोसे पर पछताने के लिए मजबूर न करें।'
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब तक कुलदीप सेंगर की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जाता, उसे किसी भी मामले में राहत नहीं दी जा सकती। आपको बता दें कि कुलदीप सिंह को रेप के अलावा हत्या के मामले में भी दोषी पाया गया था।