आधिकारिक भाषा से नई आरक्षण नीति तक, आंदोलन से लद्दाख को क्या मिला?
लद्दाख के लोग सरकारी नौकरियों में आरक्षण, राज्य और आदिवासी दर्जे की मांग एक अरसे से कर रहे हैं। सरकारी नौकिरियों में आरक्षण की मांग पूरी हुई है। अब इससे क्या बदलेगा, विस्तार से समझते हैं।

लद्दाख में साल 2020 से ही पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग हो रही है। (Photo Credit: PTI0
5 अगस्त 2019 को जब गृहमंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा, तब लद्दाख के लोग बहुत खुश हुए थे। वहां के लोग एक अरसे से खुद के लिए अलग राज्य के दर्जे का मांग कर रहे थे। तमाम वजहों में से से एक वजह यह भी कि जम्मू और कश्मीर से उनकी सांस्कृतिक विविधता। अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के कुछ साल तक, वहां सब सामान्य रहा लेकिन धीरे-धीरे कुछ प्रदर्शन होने लगे। यह आंदोलन साल 2024 में ज्यादा मुखर हो गया। लोग सड़कों पर उतरे और पूर्वोत्तर के राज्यों की तरह संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को राज्य और आदिवासी राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करने लगे। उनकी एक मांग पूरी हो गई है।
लद्दाख के लोग सरकारी नौकरियों में आरक्षण की भी मांग कर रहे थे। उनकी एक मांग पर केंद्र सरकार की मुहर लग चुकी है। लद्दाख के 2.74 लाख लोगों के लिए यह राहत की खबर है। जम्मू और कश्मीर से विभाजित होने के बाद लद्दाख के लोगों के नाराज होने के साल भर के भीतर ही उनकी एक मांग पूरी कर दी गई है। लद्दाख के लोगों की शिकायत थी कि जम्मू और कश्मीर के नेता करगिल और लद्दाख की उपेक्षा करते रहे हैं।
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लद्दाख के लोग क्या चाहते हैं?
- पूर्ण राज्य का दर्जा
- आदिवासी दर्जा
- स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण
- लेह और कारगिल जिलों के लिए संसदीय सीट
लद्दाख के लिए क्या बदला?
3 जून 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र के लिए चार नए नियमों को अधिसूचित किया। ये नियम सरकारी नौकरियों में आरक्षण, आधिकारिक भाषाओं, डोमिसाइल सर्टिफिकेट और हिल काउंसिल से जुड़े हैं।
ये नए नियम हैं-
- इसमें द लद्दाख ऑफिशियल लैंग्वेज रेगुलेशन 2025
- द लद्दाख सिविल सर्विस डिसेंट्रलाइजेशन एंड रिक्रूटमेंट (एमेंडमेंट) रेग्युलेशन 2025
- द यूनियन टेरिटरी ऑफ लद्दाख (एमेंडमेंट) रेग्युलेशन एक्ट 2025

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लद्दाख के लिए बने नए नियम क्या हैं
- 85% आरक्षण: लद्दाख के स्थानीय निवासियों को सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण मिलेगा। गैर-स्थानीय लोगों को 5% कोटे के लिए 15 साल तक लद्दाख में रहने का प्रमाण देना होगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण दिया जाएगा। कुल मिलाकर, लद्दाख में सरकारी नौकरियों में 95% आरक्षण होगा, जो देश के किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में सबसे अधिक है।
- डोमिसाइल सर्टिफिकेट: तहसीलदार को डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार दिया गया है।
- हिल काउंसिल में महिलाओं के लिए आरक्षण: लेह की हिल काउंसिल में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसे अलग-अलग क्षेत्रों में क्रमानुसार लागू किया जाएगा।
- आधिकारिक भाषाएं: लद्दाख की आधिकारिक भाषाएं अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, भोटी और पुर्गी होंगी।
क्यों लद्दाख में लाए गए हैं ये बदलाव?
साल 2019 में जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म हुआ और राज्य को दो हिस्सों में बांटा गया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना, जिसकी कोई विधानसभा नहीं होगी। लद्दाख के लोग बाद में अपनी जमीन, संसाधनों और नौकरियों की सुरक्षा के लिए प्रदर्शन पर उतर आए। वहां के स्थानीय लोगों में बाहरी लोगों की दखल और नौकरियों में बाहरियों के हस्तक्षेप की आशंका पनपी। लोगों ने आंदोलन किया। लद्दाख के लोगों ने अनुच्छेद 35A की तरह सुरक्षा मांगी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को जमीन और नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती थी।
साल 2020 में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और 2021 में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया और कई अहम मांगों को उठाया। इनमें कुछ प्रमुख रहे, जैसे-
- लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करना
वजह: जनजातीय क्षेत्र मानकर स्वायत्तता दी जाए - लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा
वजह: लद्दाख की अपनी विधानसभा हो, अपनी सरकार हो, बाहरी हस्तक्षेप न होने पाए। - लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें
वजह: संसद में लद्दाख का प्रतिनिधित्व बढ़ाना - सरकारी नौकरियों की रिक्तियां भरना और लद्दाख सेवा आयोग
वजह: युवाओं को रोजगार मिले

लद्दाख के लिए सरकार ने क्या किया?
साल 2023 में गृह मंत्रालय ने नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई, लेकिन इसे स्थानीय संगठनों ने खारिज कर दिया। स्थानीय संगठनों का कहना था कि इसमें केवल सरकार के समर्थन वाले वाले लोग हैं। नवंबर 2023 में समिति का पुनर्गठन हुआ। मार्च 2024 में एक बार फिर बातचीत टूट गई।
आंदोलन ने कैसे तैयार की बदलाव की जमीन?
अक्टूबर 2024 में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने दिल्ली अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे। गृह मंत्रालय ने बातचीत फिर शुरू की। 3 दिसंबर 2024 और 15 जनवरी 2025 को समिति की बैठकें हुईं। 27 मई 2025 को डोमिसाइल और आरक्षण नीति को अंतिम रूप दिया गया।
किन मुद्दों पर नहीं बन सकी है अभी तक बात
- राज्य का दर्जा
- छठी अनुसूची में शामिल होने की मांग
- लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें
- सरकारी नौकरियों की रिक्तियां भरना
- लद्दाख सेवा आयोग
कैसे पूरी होगी लद्दाख की मांग?
लद्दाख की आबादी 2,74,289 है। यहां 80 फीसदी जनजातीय आबादी है। लेह बौद्ध बाहुल इलाका है, वहीं कारगिल में मुस्लिम ज्यादा हैं। लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन के कार्यकर्ता, केंद्र सरकार से बातचीत कर रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने लद्दाख समिति के सदस्यों से यह कहा है कि बाकी मुद्दों पर चर्चा होगी। अभी लद्दाख की एक अहम मांग केंद्र सरकार ने पूरी की है।
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