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कहां लापता था जेहनपोरा का बौद्ध स्तूप? मन की बात में PM मोदी ने किया जिक्र

जेहनपोरा का बौद्ध स्तूप और बौद्ध तीर्थयात्रियों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। क्या है इनमें, इन्हें किसने बनवाया था, आइए इन्हें जानते हैं।

Jammu and Kashmir

जेहनपोरा का बौद्ध स्तूप। Photo Credit: ANI

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में जम्मू और कश्मीर के बारामूला में जेहनपोरा के बौद्ध स्तूपों का जिक्र किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि यहां जिसे लोग आम पहाड़ी समझ रही थी, वह बौद्ध स्तूप था, जिसमें अतीत के कई निशान दबे हैं। उन्होंने कहा कि इन टीलों को प्रकृति ने नहीं बनाया था, इंसानों ने बनाया था, जिनके बारे में लोग अनजान थे। एक संयोग की वजह से जेहनपोरा के बौद्ध स्तूप दुनिया के सामने आए थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के बारामूला में, जेहनपोरा नाम की एक जगह है। वहां लोग बरसों से कुछ ऊंचे-ऊंचे टीले देखते आ रहे थे। साधारण से टीले किसी को नहीं पता था कि ये क्या है? इन टीलों का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया गया। और फिर कुछ हैरान करने वाली बातें सामने आने लगी। पता चला ये टीले प्राकृतिक नहीं हैं। ये इंसान द्वारा बनाई गई किसी बड़ी इमारत के अवशेष हैं।' 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:-
कश्मीर से हजारों किलोमीटर दूर, फ्रांस के एक म्यूजियम के आर्काइव में एक पुराना, धुंधला सा चित्र मिला। बारामूला के उस चित्र में तीन बौद्ध स्तूप नजर आ रहे थे। यहीं से समय ने करवट ली और कश्मीर का एक गौरवशाली अतीत हमारे सामने आया। 

जेहनपोरा में आखिर है क्या?

कश्मीर के बारामूला जिले के जेहनपोरा गांव में पुरातत्वविदों ने कुषाण काल का एक बड़ा बौद्ध बस्ती का पता लगाया है। कश्मीर घाटी में यहां के बारे में पुरातत्व विभाग और जानकारी जुटा रही है। यह क्षेत्र के प्राचीन इतिहास को नई समझ दे सकती है। यहां पुरातत्व विभाग के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के छात्र, कश्मीर विश्वविद्यालय के कुछ विभाग साथ मिलकर काम कर रहे हैं। सेंटर ऑफ सेंट्रल एशियन स्टडीज आर्काइव्स और आर्कियोलॉजी एंड म्यूजियम्स विभाग भी इस स्टडी में शामिल है। 

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पांच महीने की खुदाई में तीन स्तूप, दीवारें, मिट्टी के बर्तन, तांबे की चीजें और अप्सिडल स्तूप मिले हैं, जो लगभग 2000 साल पुराने हैं। साइट की पहचान राजतरंगिणी जैसे पुराने ग्रंथों, यात्रा वर्णनों और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार से हुई है। ड्रोन सर्वे और मैपिंग से भी पुष्टि हुई कि बड़े टीले प्राचीन स्तूपों के अवशेष मिले हैं। अभी यहां और खोज किया जाना बाकी है।


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