यूपी में कितने असरदार हैं ब्राह्मण? आंकड़े और संख्या से सब जान लीजिए
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के दर्जनों विधायकों ने पार्टीलाईन के खिलाफ जाकर एक छत के नीचे बैठक की है। यह बैठक यूपी में चर्चा का विषय बनी हुई है, जिससे इस समाज की ताकत की बात होने लगी है।

लखनऊ में ब्राह्मण विधायकों की बैठक। Photo Credit- Social Media
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की शुरुआत में होने हैं। इससे पहले सूबे की सियासत करवट लेने लगी है। नेता सियासी चालें चलकर विरोधी दल को पटखनी देने की पूरी रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस बीच जातियों की भी गोलबंदी होने लगी है, नेता अपनी-अपनी जातियों की बात करके हक-हिसाब दिलाने की बात करने लगे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार (23 दिसंबर 2025) को यूपी की राजधानी में बीजेपी के तीन दर्जनभर से ज्यादा ब्राह्मण विधायकों ने बैठक की। यह बैठक कुशीनगर के बीजेपी विधायक पंचानंद पाठक के लखनऊ वाले आवास पर हुई थी। बताया जा रहा है कि बैठक में बीजेपी के लगभग 40 ब्राह्मण विधायक और विधान परिषद सदस्य (MLC) शामिल हुए, जिसमें ज्यादातर बुंदेलखंड और पूर्वांचल के थे। यही नहीं इस बैठक में अन्य दूसरे दलों के ब्राह्मण विधायक भी हिस्सा लेने आए थे।
ब्राह्मण विधायकों की इस बैठक में समाज की एकजुटता बढ़ाने की बात हुई, साथ ही एकजुटता का स्पष्ट संदेश देने पर चर्चा हुई। बैठक में पिछले कुछ समय से राजनीति दलों, उनके नेताओं, सरकार में ब्राह्मण समाज को निशाना बनाने का मुद्दा उठाया गया। इसके अलावा पिछले दिनों हुई समाज से संबंधित घटनाओं पर बात हुई। यही नहीं बीजेपी सरकार होने और पार्टी की सफलता के पीछे ब्राह्मणों की बड़ी भूमिका होने के बावजूद पार्टी संगठन से लेकर सरकार तक में उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान न मिलने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई।
खबर यहां तक भी आई है कि ब्राह्मणों के मुकाबले दूसरी जातियों को ज्यादा तवज्जो दिया जा रहा है। इस बैठक ने पूरे राज्य की राजनीति को हिला दिया है। बीजेपी अपने ब्राह्मण विधायकों की इस बैठक पर सफाई पर सफाई पेश कर रही है। वहीं, विपक्षी समाजवादी पार्टी योगी आदित्यनाथ सरकार में ब्राह्मणों की उपेक्षा होने का आरोप लगा रही है। ऐसे में आइए जानते हैं कि यूपी में ब्राह्मण समाज राजनीतिक लिहाज से कितने असरदार हैं...
यह भी पढ़ें: 'दम है तो कसम खाओ...', CM रेवंत रेड्डी को चुनौती क्यों देने लगे KTR?
बैठक में कौन-कौन शामिल हुआ?
इस बैठक में शामिल होने वालों में विधायकों में मीरजापुर विधायक रत्नाकर मिश्रा, देवरिया सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, ऋषि त्रिपाठी, प्रेमनारायण पांडेय, प्रकाश द्विवेदी, रमेश मिश्रा, अंकुर राज तिवारी और विनय द्विवेदी, एमएलसी साकेत मिश्रा आदि शामिल थे। खबर है कि इस बैठक में समाजवादी पार्टी के भी ब्राह्मण विधायक शामिल हुए। इस बैठक से बाहर जनता के बीच एक संदेश ये भी जा रहा है कि पक्ष-विपक्ष के विधायक आगामी चुनाव में उसी का साथ देंगे तो ब्राह्मण समाज के हक की बात करेगा।
यूपी में ब्राह्मण आबादी
दरअसल, यूपी में ब्राह्मण आबादी पर तमाम चर्चाएं होती रही हैं, मगर इसमें कोई दोराय नहीं रही है कि देश की सबसे बड़ी ब्राह्मण आबादी सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश में है। आनुपातिक रूप से दावा भले ही बढ़ा चढ़ाकर किया जाता हो। मगर जाटव और यादव आबादी के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मण है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 10 से 12 फीसदी है लेकिन आखिरी जातिगत जनगणना 1931 के हिसाब से देखें तो समाज की वर्तमान एस्टीमेट आबादी 5-6 फीसदी है।
आबादी से दोगुना असर इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि जिस राज्य में अयोध्या मथुरा काशी जैसे तीर्थ स्थल हों, प्रयागराज जैसे कुंभ महाकुंभ स्थल, वहां पर ब्राह्मणों की सांस्कृतिक सामाजिक दखल बड़े स्तर पर दिखेगी। और इसी सामाजिक परिवेश में राजनीति होती है तो उसपर भी इसका असर साफ दिखता है।
हक-हिस्सेदारी की बात
शुरुआत में कांग्रेस ने अधिकतर मुख्यमंत्री ब्राह्मण बनाए इसलिए एकाधिकार था मगर अब समय के साथ बदली राजनीति में एकाधिकार खत्म हुआ है। दरअसल, देश और उत्तर प्रदेश में आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा तबका ओबीसी वर्ग है। इस वर्ग में ओबीसी की तमाम जातियां आती हैं। यही ओबीसी वर्ग यूपी और देश में बीजेपी की सफलता की चाबी बना हुआ है। भगवा पार्टी ओबीसी वर्ग की राजनीति ताकत जानती है, यही वजह है कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाने से लेकर सरकार में मंत्री बनाना हो या आयोगों में हिस्सेदारी देनी हो, इस वर्ग को मिल रही है।
यह भी पढ़ें: 'जर, जंगल, जमीन' बचाने का दावा कर क्या नियम ले आए हेमंत सोरेन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ओबीसी वर्ग को ध्यान में रखकर पार्टी की रणनीति बना रहे हैं। चुनावों में टिकट बंटवारे में बीजेपी दिल खोलकर मैदान में उतार रही है और ओबीसी नेता विधानसभाओं से लेकर संसद में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। यूरी में जो ब्राह्मण जाति कभी कांग्रेस का वोटर हुआ करती थी, वह बाद से समय में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ रही लेकिन वर्तमान समय में ब्राह्मण समाज पूरी तरह से बीजेपी के लिए लॉयल है।
बीजेपी का विधायकों को सख्त संदेश
मगर, लखनऊ में हुई बीजेपी विधायकों की ये बैठक बीजेपी के लिए गले की फांस बन गई है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से लेकर प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने ब्राह्मण विधायक भोज मामले पर बयान जारी करके सफाई दी है। प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी तो इस बैठक से काफी नाराज हैं। उन्होंने शुक्रवार को सख्त संदेश जारी करते हुए कहा, 'जनप्रतिनिधि नकारात्मक राजनीति का शिकार न बने, बीजेपी परिवार और वर्ग विशेष की राजनीति नहीं करती है।' उन्होंने कहा कि ऐसी कोई भी गतिविधि बीजेपी की परंपरा के अनुकूल नहीं है। साथ ही कहा कि सभी विधायक सतर्कता बरतें, ऐसे मामलों से गलत संदेश जाता है।
पंकज चौधरी ने ब्राह्मण विधायकों से कहा कि भविष्य में ऐसे मामले दोहराए गए तो इसे अनुशासनहीनता माना जाएगा।
सपा का ब्राह्मणों को ऑफर
वहीं, इस बीच सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने बीजेपी विधायकों को अपनी पार्टी में आने का ऑफर दे दिया है। शिवपाल यादव ने ऐलान करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण समाज को उचित सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के लोग जातिवाद में बांटते हैं। अगर बीजेपी से नाराज ब्राह्मण विधायक सपा में आ जाएं, पूरा सम्मान मिलेगा।
यूपी में ब्राह्मण जाति की ताकत कितनी?
उत्तर प्रदेश में आबादी के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मण लगभग 110 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं। यह सीटें ऐसी हैं, जहां ब्राह्मण मतदाता निर्णायक रूप से प्रभावी माने जाते हैं। इस सीटों पर ब्राह्मण वोट बैंक जीत-हार तय करते हैं। इसका मतलब है कि यह समाज कुल मतदाताओं का छोटा प्रतिशत भले हो लेकिन कई सीटों पर मजबूत मौजूदगी और मतदान पैटर्न जीत के नतीजे पर असर डाल सकते हैं।
राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक महत्व
ब्राह्मण वोट बीजेपी के लिए बहुत मायने रखते हैं। लंबे समय से ब्राह्मण वोटरों ने बीजेपी पर भारी भरोसा किया है, खासकर 2014, 2017, 2019, 2022 और 2024 जैसे चुनावों में। अनुसार इन चुनावों में ब्राह्मणों का 72% से 82% से ज्यादा वोट बीजेपी को मिला था। इसलिए बीजेपी के लिए ब्राह्मण वोट बैंक रणनीतिक लिहाज से बेहद खास है। यह वोटबैक खासकर तब और खास हो जाता है, जिन जिलों में ब्राह्मणों की संख्या 15 फीसदी से ऊपर है। ताजा घटनाक्रम को देखते हुए यूपी की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा ब्राह्मण समाज को अपनी ओर आकर्षित कर रही है क्योंकि 2027 के चुनाव में इस समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap


