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राजस्थान के बाद MP में बच्चों की मौत, क्या कफ सिरप है इसकी वजह?

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर कफ सिरप लेने के बाद कुछ बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। जिन कफ सिरप का नाम सामने आया है, उनकी जांच की जा रही है।

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कोल्डरिफ कफ सिरफ। (Photo Credit: PTI)

मध्य प्रदेश में कुछ हफ्तों में 6 बच्चों की मौत हो गई है। इससे पहले राजस्थान में भी 3 बच्चों की मौत की खबर आई थी। कफ सिरप की वजह से बच्चों की मौत की खबर सामने आई है। इस पूरे मामले में तीन कफ सिरप- डेक्सोट्रोमीथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड, कोल्डरिफ और नेक्स्ट्रो का नाम सामने आ रहा है। 


एमपी के छिंदवाड़ा में जिन 6 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है, उन्होंने कथित तौर पर कोल्डरिफ सिरप ली थी। कोल्डरिफ को चेन्नई की एक कंपनी बनाती है। मामला सामने आने के बाद तमिलनाडु सरकार ने कोल्डरिफ की बिक्री पर रोक लगा दी है।


बताया जा रहा है कि एमपी में जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से कुछ कोल्डरिफ और कुछ ने नेक्स्ट्रो सिरप ली थी। वहीं, राजस्थान में जिन 3 बच्चों की मौत हुई थी, उन्होंने डेक्सोट्रोमीथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप ली थी।

 

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जबलपुर में फार्मा कंपनी के प्लांट पर छापा

एमपी के छिंदवाड़ा में 6 बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद जबलपुर में ड्रग इंस्पेक्टर ने कटारिया फार्मास्यूटिकल के प्लांट में छापा मारा है। कटारिया फार्मा ने ही कोल्डरिफ की सप्लाई की थी। 


ड्रग इंस्पेक्टर शरद कमार जैन ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया, 'हमारी जांच में सामने आया है कि कटारिया फार्मा ने चेन्नई की कंपनी को 660 बोतल कोल्डरिफ सिरप का ऑर्डर दिया था। इनमें से 594 बोतल की सप्लाई छिंदवाड़ा में की गई थी। बाकी बची 66 बोतल रखी हुई थीं, जिनमें से 16 को लैब टेस्ट के लिए भोपाल भेजा गया है।'

 


डिस्ट्रीब्यूटर राजपाल कटारिया ने बताया कि 'हमने छिंदवाड़ा में कफ सिरप की सप्लाई की थी। इसे लेने के बाद 30 से ज्यादा बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी। तबीयत बिगड़ने के बाद बच्चों नागपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 6 बच्चों की मौत हो गई है।'


उन्होंने बताया कि उन्होंने ये कफ सिरप न्यू अपना एजेंसी, आयुष फार्मा और छिंदवाड़ा के जैन मेडिकल एंड जनरल स्टोर को सप्लाई की थी।

 

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राजस्थान में क्या हुआ था?

राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत की खबर है। हालांकि, न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, भरतपुर और सीकर जिले में 1-1 बच्चे की मौत हुई है। दावा किया गया था कि इन बच्चों ने डेक्सोट्रोमीथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप ली थी। इसके बाद इनकी किडनी फेल हो गई और मौत हो गई।


दावा था कि इन बच्चों को सरकार की तरफ से चलाई जा रही फ्री मेडिकल स्कीम के तहत दवा मिली थी। हालांकि, अब स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बच्चों को सरकारी स्कीम के तहत दवा नहीं दी गई थी।


राजस्थान के पब्लिक हेल्थ डायरेक्टर ने एक बयान जारी कर बताया कि प्रोटोकॉल के हिसाब से छोटे बच्चों को डेक्सोट्रोमीथॉर्फन सिरप नहीं दी जा सकती। उन्होंने दावा किया कि दोनों मामलों में डॉक्टर ने यह दवा लेने को नहीं कहा था।


हालांकि, सीकर के मामले में एक बच्चे को गलती से एक ऐसी कफ सिरप प्रिस्क्राइब कर दी थी, जिसमें डेक्सोट्रोमीथॉर्फन मिला हुआ था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में संबंधित डॉक्टर और फार्मासिस्ट के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को प्रोटोकॉल के हिसाब से प्रिस्क्रिप्शन देने का निर्देश दिया है। साथ ही लोगों से भी बिना डॉक्टरी सलाह के दवाएं न लेने की अपील की गई है।

 

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डॉक्टर ने पी तो कार में मिले थे बेहोश

राजस्थान में परिजनों ने दावा किया था कि कफ सिरप लेने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ रही है और मौत हो रही है। 


इसके बाद बयान कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के डॉ. ताराचंद योगी ने कफ सिरप को सेफ बताने के लिए खुद ही पी ली। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कफ सिरप लेने के 8 घंटे बाद डॉ. ताराचंद योगी कार में बेहोश मिले थे।

 


ड्रग कंट्रोलर अजय पाठक ने बताया कि सीकर, झुनझुनू और भरतपुर से सैंपल ले लिए हैं और इन्हें जांच के लिए भेज दिया है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट आने में 2-3 दिन लग जाएंगे।


इस बीच तमिलनाडु सरकार ने कोल्डरिफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है। सरकार ने सिरप के स्टॉक को भी सीज कर लिया है। 


वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसकी जांच शुरू कर दी है, क्योंकि रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इन सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल नाम का केमिकल हो सकता है, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला माना जाता है। बच्चों से भी सैंपल लेकर जांच के लिए पुणे स्थित वारोलॉजी इंस्टीट्यूट भेज दिया गया है।

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