• NEW DELHI 01 Oct 2025, (अपडेटेड 01 Oct 2025, 12:39 PM IST)
NCRB ने आत्महत्या के आंकड़ों को लेकर साल 2023 की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि पिछले 10 सालों में छात्रों में आत्महत्या के मामले 65 प्रतिशत बढ़े हैं।
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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने ऐक्सीडेंटल डेथ और सुसाइड को लेकर 2023 की रिपोर्ट जारी कर दी है। इसमें सामने आया है कि 2023 में 1.7 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की थी। इनमें 13,892 छात्र भी शामिल हैं। इस आंकड़े ने हर किसी को चौंका दिया है। एक साल में ही छात्रों में आत्महत्या के मामले 6.5 प्रतिशत बढ़े हैं। साल 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की थी। पिछले एक दशक में 1,17,849 छात्रों ने आत्महत्या की है। छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है।
NCRB के डेटा के अनुसार, 2023 में कुल 1,71,418 लोगों ने आत्महत्या की है, जो 2022 से 494 ज्यादा हैं। 2023 में जितने लोगों आत्महत्या की थी, उनमें से 8 फीसदी से ज्यादा छात्र थे।
साल 2023 में छात्रों की आत्महत्या के मामले अब तक के सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच चुके हैं। पिछले एक दशक में छात्रों की आत्महत्या के मामले 65 प्रतिशत बढ़ गए हैं। साल 2014 में कुल 8,032 छात्रों ने आत्महत्या की थी और 2023 में यह आंकड़ा 13,892 तक पहुंच गया। 2014 से हर साल छात्रों की आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। 2018 में पहली बार 10 हजार का आंकड़ा पार कर गया और 2021 में यह आंकड़ा 13,089 तक पहुंच गया। 2023 में भी आंकड़े बढ़ गए हैं।
किस राज्य में सबसे ज्यादा मामले
छात्रों की आत्महत्या की सबसे ज्यादा खबरें राजस्थान से आती हैं लेकिन इसके विपरीत छात्रों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं। कुल आत्महत्या के मामलों में भी महाराष्ट्र टॉप पर है। 2023 में कुल आत्महत्या के मामलों में 14.7 प्रतिशत मामले महाराष्ट्र में ही आए हैं।
छात्रों की आत्महत्या के जो मामले सामने आए हैं उन मामलों में 7,330 छात्र और 6,559 छात्राएं शामिल थीं। इसके साथ ही तीन ट्रांसजेंडर ने भी साल 2023 में आत्महत्या की थी। इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि आत्महत्या करने वालीं महिलाओं में दूसरे स्थान पर छात्राएं ही हैं।
परीक्षा में फेल होने पर आत्महत्या
इस रिपोर्ट में आत्महत्या के कारणों का भी खुलासा हुआ है। साल 2023 में छात्रों की आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण परीक्षा में फेल होना रहा है। इसके अलावा छात्रों ने पारिवारिक समस्या और बीमारी के कारण भी आत्महत्या की है। शराब की लत, नशीली दवाओं की लत, प्रेम संबंध, दिवालियापन, बेरोजगारी भी आत्महत्या के बड़े कारण हैं।
आत्महत्या के कारण
सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
सुप्रींम कोर्ट ने इसी साल मार्च में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर नेशनल टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया था। इस टास्क फोर्स का उद्देश्य छात्रों में बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने के लिए रणनीति बनाना और उसे लागू करना था। इस टास्क फोर्स का गठन तो हो गया है लेकिन अभी तक टास्क फोर्स ने कोई रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं की है।
कोर्ट ने इसी साल जुलाई में आत्महत्या के एक मामले में सुनवाई करते हुए शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि आत्महत्या की रोकथाम के लिए देश में कोई माकूल कानून देश में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की और कहा कि यह तब तक जारी रहेंगी जब तक कानून नहीं बन जाता। इन गाइडलाइंस में शिक्षण संस्थानों को छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए कहा गया है।