प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उपहार में मिली 1,300 से अधिक चीजों को बुधवार 17 सितंबर को शुरू हुई ई-नीलामी में रखा गया है। इन वस्तुओं में देवी भवानी की एक मूर्ति, अयोध्या के राम मंदिर का एक मॉडल और 2024 पैरालंपिक खेलों की खेल संबंधी यादगार चीजें शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि ऑनलाइन नीलामी के सातवें संस्करण की शुरुआत मोदी के जन्मदिन के साथ हो रही है, जो 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो गए। यह ई-नीलामी 2 अक्टूबर तक जारी रहेगी।
‘पीएम मेमेंटोज’ की वेबसाइट के अनुसार, देवी भवानी की मूर्ति का बेस प्राइस 1,03,95,000 रुपये है जबकि राम मंदिर के मॉडल का आधार मूल्य 5.5 लाख रुपये है। संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ये दोनों वस्तुएं, पैरालंपिक पदक विजेताओं के तीन जोड़ी जूते के आधार मूल्य के साथ शीर्ष पांच की श्रेणी में हैं। प्रत्येक जोड़ी जूते का आधार मूल्य 7.7 लाख रुपये है।
2025 के ई-ऑक्शन में शामिल चीजें
ई-नीलामी में शामिल अन्य वस्तुओं में जम्मू-कश्मीर का कढ़ाई वाला पश्मीना शॉल, राम दरबार की एक तंजौर पेंटिंग, एक धातु की नटराज प्रतिमा, जीवन वृक्ष को दर्शाती गुजरात की एक रोगन कला और एक हाथ से बुना हुआ नागा शॉल शामिल हैं। इस संस्करण का एक विशेष आकर्षण पेरिस पैरालंपिक 2024 में भाग लेने वाले भारतीय पैरा-एथलीटों द्वारा उपहार में दिए गए खेलों के स्मृति चिह्न हैं।
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केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री को मिले 1,300 से अधिक उपहारों की ऑनलाइन नीलामी की जाएगी। पिछले वर्षों की तरह, ई-नीलामी से प्राप्त समस्त आय नमामि गंगे परियोजना में दी जाएगी, जो गंगा नदी और उसके पारितंत्र के पुनरुद्धार, संरक्षण और सुरक्षा के लिए भारत सरकार की प्रमुख पहल है।
अब तक नीलाम हो चुकी चीजें
- 2019 में 1,805 वस्तुएं बेची गई थीं
- 2020 में 2,772 वस्तुओं की नीलामी हुई थी
- 2021 की तीसरी नीलामी में 1,348 वस्तुएं बेची गई थीं
- 2022 की चौथी नीलामी में 1,200 वस्तुएं बेची गई थीं
- पांचवीं नीलामी में 912 स्मृति चिह्न बिक्री के लिए रखे गए थे
ई-ऑक्शन से मिलने वाला पैसा कहां जाता है?
प्रधानमंत्री को मिलने वाले तोहफों के ई-ऑक्शन (ऑनलाइन नीलामी) से जो पैसा आता है, वह सीधे भारत सरकार के खजाने (Consolidated Fund of India) में जमा होता है। बाद में इस धन का उपयोग सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं में करती है। प्रधानमंत्री को मिलने वाले तोहफों के ई-ऑक्शन के लिए केंद्र सरकार ने एक औपचारिक व्यवस्था बनाई है लेकिन इसके लिए कोई अलग से कानून नहीं है।
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मुख्य प्रावधान और प्रक्रिया:
- केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय इस नीलामी का आयोजन करता है
- नीलामी ई-ऑक्शन पोर्टल पर होती है, जहां कोई भी इच्छुक व्यक्ति लॉगिन करके बोली लगा सकता है
- नीलामी से मिलने वाली राशि सीधे नमामि गंगे मिशन और अन्य जनकल्याण योजनाओं में खर्च होती है
- उपहार वस्तुओं की सूची, उनकी बेस प्राइस और नीलामी की तिथि पोर्टल पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाती है
- पारदर्शिता के लिए प्रक्रिया ऑनलाइन और ट्रैक करने योग्य रखी जाती है
तोहफों का वर्गीकरण:
सरकारी संपत्ति के रूप में ये ऐसे तोहफे हैं जो विदेशी सरकारों, राजदूतावासों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों या उच्च मूल्य के होते हैं। इनकी कीमत निर्धारित सीमा (जैसे ₹5,000 से अधिक) से ऊपर होने पर ये स्वतः सरकारी संपत्ति बन जाते हैं। प्रधानमंत्री इन्हें व्यक्तिगत रूप से रख नहीं सकते।
अन्य नियम:
- प्रधानमंत्री या कोई सरकारी अधिकारी ₹5,000 तक के साधारण तोहफे रख सकता है लेकिन उच्च मूल्य वाले तोहफों को रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
- सभी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी होती है। बोली जीतने पर वस्तु डाक या कूरियर से डिलीवर की जाती है।
- ये नियम CCS (Conduct) Rules, 1964 के तहत आते हैं, जो सरकारी कर्मचारियों और मंत्रियों पर लागू होते हैं। कोई अपवाद केवल राष्ट्रपति की अनुमति से संभव है।
ई-नीलामी का पहला संस्करण जनवरी 2019 में आयोजित किया गया था। 2019 से पहले जितने भी तोहफे देश के प्रधानमंत्रियों को मिलें है वे भी सरकारी खजाने में ही जाते थे लेकिन इन तोहफों का ऑनलाइन ऑक्शन नहीं किया जाता था।